किसानों के तेवर हुए तीखे : गन्ने की छिलाई की बंद, बोले- सरकार को 450 रुपये प्रति क्विंटल भाव से कम गन्ना नहीं देंगे

हरिभूमि न्यूज . गोहाना। राज्य सरकार द्वारा गन्ने का भाव बढ़ाने पर किसानों के तेवर तीखे हो गए हैं। किसानों ने 17 जनवरी से अपने खेतों में गन्ने की छिलाई बंद कर दी है और 20 जनवरी से पूरे प्रदेश में चीनी मिलों के गेटों पर ताले लगा कर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने की चेतावनी दी है। धरने पर बैठने के लिए किसानों ने गांव आहुलाना स्थित चौ. देवीलाल चीनी मिल में भी टैंट लगा दिया।
सरकार द्वारा किसानों को गन्ने की अगेती किस्म का भाव 362 रुपये प्रति क्विंटल, मध्यम किस्म का 357 रुपये प्रति क्विंटल और पछेती किस्म का 352 रुपये प्रति क्विंटल भाव दिया जा रहा है। किसान सरकार से गन्ने की अगेती किस्म का भाव 450 रुपये प्रति क्विंटल मांग रहे हैं। अपनी इस मांग को पूरा करवाने के लिए किसानों द्वारा 12 दिसंबर 2022 से प्रदेश के सभी चीनी मिलों में 2 घंटे के लिए गन्ना तोलाई के कांटों को बंद किया गया था और 5 जनवरी से मिलों में धरने शुरू किए गए थे। किसानों ने 10 जनवरी करनाल में किसान महापंचायत भी की थी। भारतीय किसान यूनियन चढूनी ग्रुप के प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यवान नरवाल के अनुसार इस महापंचायत में किसानों को बातचीत के लिए 16 जनवरी को पंचकूला स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में बातचीत के लिए बुलाया गया था। प्रदेश उपाध्यक्ष के अनुसार किसान जब पंचकूला पहुंचे तो वहां सरकार की ओर से गठित कमेटी का कोई भी सदस्य मौजूद नहीं था बल्कि अन्य अधिकारी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को बरगला रही है। किसानों द्वारा गन्ने की छिलाई बंद कर दी गई है और 20 जनवरी से प्रदेश के सभी चीनी मिलों के गेटों पर ताले लगाकर अनिश्चितकालीन धरने शुरू किए जाएंगे। इस क्रम में मंगलवार को चौ. देवीलाल चीनी मिल में यूनियन के जिलाध्यक्ष अशोक मुंडलाना, गोहाना तहसील के चेयरमैन भगत सिंह, तकदीर मलिक, कृष्ण मलिक, भोला और लीलू बुटाना सहित अन्य किसान उपस्थित रहे।
प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यवान नरवाल के अनुसार पूरे प्रदेश में 14 चीनी मिल हैं। भाकियू द्वारा प्रत्येक चीनी मिल क्षेत्र में प्रचार के लिए 2-2 गाडि़यां लगाई गई हैं। ये गाडि़यां गांव-गांव जाकर किसानों को इस आंदोलन से जुड़ने के लिए प्रेरित करेंगी। धरनों पर पर भी भजन मंडलियों द्वारा भजनों के माध्यम से किसानों को जागरूक किया जाएगा। भजनों से किसानों का मनोरंजन भी होगा।
केवल लागत मूल्य मांग रहे किसान
जिलाध्यक्ष अशोक लठवाल ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 1 क्विंटल गन्ने के उत्पादन पर 450 रुपये खर्च आता है। किसान भी सरकार से गन्ने का 450 रुपये प्रति क्विंटल भाव मांग रहे हैं। ऐसे में किसान सरकार से लाभकारी मूल्य नहीं अपितु केवल लागत मूल्य मांग रहे हैं। इसके बावजूद भी सरकार गन्ने का भाव न बढ़ा रही है। इससे स्पष्ट है कि सरकार किसानों का उत्थान ही नहीं चाहती है।
आग लगा देंगे, लेकिन नहीं देंगे गन्ना
किसान नेता भगत सिंह ने कहा कि किसान सरकार को 450 रुपये प्रति क्विंटल से कम भाव पर गन्ना नहीं देंगे। अगर सरकार गन्ने का भाव नहीं बढाएगी तो वे मिलों को गन्ना देने की बजाए गन्ने की खड़ी फसल में आग लगाना अच्छा समझेंगे।
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