प्रतिबंध के बाद भी पराली जला रहे किसान, कुरुक्षेत्र जिला प्रशासन ने 19 किसानों पर लगाया जुर्माना

तरुण वधवा. कुरुक्षेत्र। जिला प्रशासन के पराली व धान के अवशेष जलाने पर प्रतिबंध लगाने के उपरांत भी किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने का सिलसिला लगातार जारी है। खेतों में अवशेष जलाने से पूरे खेत में आग फैलने से मित्र कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। धुएं के कारण पर्यावरण भी दूषित होता है और पशु के चारा जलने से पशुओं के लिए पैरा महंगा हो जाता है।
कृषि अधिकारियों की मानें तो खेतों में पराली जलाने को लेकर प्रतिबंध जारी किया गया है। पराली जलाते हुए पाए जाने पर जमीन मालिक पर दंडात्मक कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए हैं, परन्तु इस कानून का पालन करने को लेकर किसान काफी लापरवाही बरत रहे हैं। प्रशासन ने किसानों को धान के फानों में आग लगाने से रोकने के लिए बाकायदा निगरानी समितियों का गठन भी किया हुआ है जो बेअसर साबित हो रही है। कृषि अवशेष जलाने पर कारगर ढंग से रोक आज तक भी रोक नहीं लग सकी है जिससे प्रदूषण फैल रहा है। दूसरी ओर किसानों का कहना है कि उन्हें पराली व फानों में लगाने का कोई शौक नहीं है और वे इसके प्रदूषण के दुष्प्रभावों से भी वाकिफ हैं।
किसानों का कहना है कि वे मजबूरीवश फानों में आग लगा रहे हैं क्योंकि फानों को खेत में नष्ट करना न केवल महंगा है बल्कि इसमें समय की भी भारी बर्बादी है। किसानों का कहना है कि आलू और चारा की फसल तैयार करने के लिए फानों का जलाना जरूरी है और यदि किसान ट्रैक्टर व अन्य यंत्रों से फानों को नष्ट करते हैं तो उन्हें 6-7 हजार रुपए तक का अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है जो किसानों के लिए घाटे का सौदा है।
उपायुक्त शांतनु शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार के निदेर्शानुसार कुरुक्षेत्र जिले में फसल अवशेषों में आग लगाने के मामलों की हरसेक सेटेलाइट के माध्यम से निरंतर निगरानी की जा रही है। इतना ही नहीं जहां पर भी आग लगाने की सूचना मिलती है, वहां पर पहुंचकर मामले की जांच कर फसल अवशेषों में आग लगाने पर नियमानुसार जुमार्ना भी किया जा रहा है। अहम पहलू यह है कि अभी तक 27 जगहों पर आग लगने की सूचना प्राप्त हुई, जिनमें से 19 जगहों पर आग लगी पाई गई और कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा 19 चालान करते हुए 47500 रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।
फसल अवशेषों को जलाने की बजाय उसका निस्तारण करें
उपायुक्त शांतनु शर्मा ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि फसल अवशेषों को जलाने की बजाय उसका निस्तारण करें। फसल अवशेष प्रबंधन पर सरकार की ओर से न केवल सब्सिडी दी जा रही है, बल्कि फसल अवशेषों के निस्तारण करने के लिए किसानों को कृषि यंत्र भी मुहैया करवाए जा रहे है। कृषि विभाग की बेहतर फसल अवशेष प्रबंधन नीति जिले में नीति कारगर साबित हो रही है। पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने के मामलों में लगातार कमी आ रही है। किसानों की जागरूकता के चलते जिले में धान के अवशेषों को खेतों में आग लगाने के मामलों में कमी दर्ज की जा रही है। जिले में अभी तक महज 19 मामले ही सामने आए हैं। इसका कारण है कि किसानों को कृषि यंत्र मुहैया करवाए जा रहे है, जिसके जरिए वे आसानी से फसल अवशेषों को बिना जलाए ही खेतों में नष्ट कर रहे हैं और साथ ही उन निस्तारण भी किया जा रहा है। किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन करने पर प्रति एकड़ 1 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जा रही हैं। प्रशासन का लक्ष्य है कि किसान पराली का प्रबंधन करके प्रति एकड़ 1 हजार रुपए का आर्थिक लाभ हासिल करे। प्रशासन का यह मकसद नहीं है कि किसानों पर जुमार्ना किया जाए। इसलिए पर्यावरण को बचाने, भूमि के कीट मित्रों के साथ-साथ भूमि की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखने के लिए पराली में आग ना लगाकर पराली का प्रबंधन करने के प्रति किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है।
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