Kisan Mahapanchayat : करनाल में किसानों का लघु सचिवालय में डेरा

हरिभूमि न्यूज : करनाल
बीती 28 अगस्त को बस थोड़ा टोल प्लाजा पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में किसानों ने करनाल के लघु सचिवालय का घेराव किया। सभी आंदोलनकारी वेरीकेट तोड़ते हुए आसानी से सचिवालय में घुसे और नारेबाजी की वहीं धरना देकर बैठ गए। पिछली बार लाठीचार्ज के कारण और तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के वीडियो वायरल होने के बाद हुई किरकिरी के कारण इस बार सरकार ने नरमी दिखाई। जिसके चलते पुलिस प्रशासन के सामने आंदोलनकारी बैरिकेड हटाते हुए सचिवालय का घेराव करने में कामयाब रहे हालांकि पुलिस प्रशासन ने वाटर कैनन से पानी की बौछार छोड़ते हुए आंदोलनकारियों को तितर-बितर करने की कोशिश की।
इससे पहले सचिवालय का घेराव करने के लिए निकले निकले प्रदर्शनकारियों को तीन नाके पार करने के बाद रोक लिया था। नमस्ते चौक पर लगे चौथे नाके पर प्रशासन ने रोडवेज बसें बुलाईं थी। आंदोलनकारी गिरफ्तारी के लिए तैयार हो गए। वहीं आधे से ज्यादा फ्लाईओवर से होकर नमस्ते चौक से आगे निकल गए। वहीं गिरफ्तारी के बाद बसों में बैठाए किसानों को अन्य किसानों ने जाने नहीं दिया। जब किसानों को हाईवे पर नीचे हिरासत में लेकर बसों बैठाया जा रहा था उसी दौरान फ्लाईओवर पर कुछ अराजक तत्त्वों ने वाहनों को डंडे दिखाकर रोक लिया। वहां मौजूद अन्य किसानों ने तीनों बसों की हवा निकाल दी, उसके बाद सभी उतर आए। डीसी और एसपी किसानों समेत बसों को निकालने के लिए कहते रहे पर विरोध में किसान सड़क पर ही बैठ गए। इसके बाद हिरासत में लिए गए सभी किसानों को रिहा कर दिया गया। घेराव की रूपरेखा अनाज मंडी मैं तैयार की गई जहां 11 सदस्य नेताओं ने मीटिंग करके घेराव का फैसला लिया उसके बाद मंच से किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल के जिला सचिवालय घेराव का ऐलान कर दिया।
तीन बार चली वार्ता नहीं निकला समाधान फिर लिया घेराव का फैसला
सुरक्षा के तमाम इंतजाम करने के बाद प्रशासन किसानों को मनाने में जुटा हुआ था कि किसी तरह से विवाद का हल बातचीत से निकले इसके लिए प्रशासन के अनुरोध पर 11 सदस्य कमेटी का गठन किया गया। चढूनी-टिकैत समेत 11 सदस्य प्रशासन से बातचीत करने पहुंचे।पहली बार तो के बाद बात नहीं बनी तब दूसरे दौर की वार्ता शुरू हुई लेकिन इसमें भी कोई हल नहीं निकला किसान उठकर बाहर आ गए प्रदर्शनकारियों ने कहा कि प्रशासन हमारी मांगे मानने को तैयार नहीं है जो वह चाहता है वह हमें मंजूर नहीं और जो हम चाहते हैं वह उन्हें स्वीकार नहीं है कुछ देर के लिए बाहर आए थे। हालांकि कुछ ही देर बाद प्रशासन ने किसान नेताओं को तीसरे दौर की वार्ता के लिए भीतर बुला लिया। लेकिन यह भी विफल रही। जिसके बाद किसान वापस अनाज मंडी पहुंचे और कुछ देर की मीटिंग के बाद मंच से घेराव का ऐलान कर दिया।
किसान संगठनों द्वारा लघु सचिवालय के घेराव के आह्वान को मद्देनजर रखते हुए उपायुक्त निशांत कुमार यादव और पुलिस अधीक्षक गंगाराम पुनिया ने संयुक्त रूप से मंगलवार को 15 सदस्सीय कमेटी में शामिल किसान नेताओं के साथ लघु सचिवालय के सभागार में बातचीत हुई। उपायुक्त ने कहा कि प्रशासन किसानों के साथ टकराव नहीं चाहता, शांतिपूर्ण ढंग से बातचीत के माध्यम से हल निकालना चाहता है लेकिन किसान नेता तत्कालीन एसडीएम आयुष सन्हिा के गैर कानूनी रूप से सस्पेंड करने पर अडिग रहे क्योंकि किसी भी अधिकारी को बिना जांच के निलंबित नहीं किया जा सकता और तत्कालीन एसडीएम के खिलाफ जांच चल रही है। प्रशासन और किसानों के बीच की बैठक तीन राऊंड की बातचीत के बाद भी बेनतीजा रही।
किसी को कार्यालय में आने से रोका तो होगी सख्त कार्रवाई
जिला उपायुक्त एवं पुलिस अधीक्षक ने संयुक्त रूप से कहा कि किसी भी व्यक्ति को शांति व्यवस्था भंग करने नहीं दिया जाएगा। क्षेत्र की जनता को निर्बाध सेवाएं देना जिला प्रशासन का कार्य होता है, इसलिए आम जनता को किसी भी कीमत पर सरकारी कार्यालयों में आने से रोकने वालों पर सख्त कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने कहा कि जनता के जानमाल एवं सरकारी सम्पत्ति की सुरक्षा के लिए प्रशासन द्वारा पर्याप्त संख्या में पुलिसबल तैनात किया गया है।
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