किसानों ने बदली रणनीति, अब दिल्ली जाने की बजाए बार्डर पर ही धरना देंगे, जानें क्यों

हरिभूमि न्यूज : सोनीपत
कुंडली बार्डर के रास्ते दिल्ली में दाखिल होने की कोशिश के दौरान दिल्ली पुलिस से झड़प और पथराव के बाद किसानों ने हाईवे पर डेरा जमा दिया है। किसानों ने साफ कर दिया है कि अब वह दिल्ली नहीं जाएंगे, बल्कि हाईवे पर ही लंगर लगा दिया गया है। किसानों का कहना है कि किसी मैदान में धरना करने से कहीं बेहतर है कि किसान हाईवे पर ही बैठ जाएं, इससे उनकी समस्या का जल्दी हल निकलने की उम्मीद है।
इधर, इससे पहले दोपहर करीब एक बजकर 53 मिनट पर किसान उग्र हो गए और दिल्ली में प्रवेश करने का प्रयास करते हुए बैरिकेड तोड़ डाले। किसानों ने अभी एक ही सुरक्षा घेरा तोड़ा था कि दूसरी तरफ खड़ी दिल्ली पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स ने मोर्चा संभाल लिया। इसी दौरान किसी ने पथराव कर दिया और फिर करीब पौने घंटे तक दोनों ओर से पथराव होता रहा। पुलिस ने वाटर कनने का प्रयोग कर किसानों को खदेड़ने का प्रयास किया, तो हलका बल भी प्रयोग किया गया। इस दौरान करीब आठ से दस किसान घायल हो गए।
पुलिस की ओर से सुबह से ही रह-रह कर आंसू गैस के गोले दागे जा रहे थे। इससे किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। बाद में मामला बिगड़ते देख किसान नेताओं ने मोर्चा संभाला और पथराव बंद कराकर शांति कायम की। इसी बीच दिल्ली पुलिस की ओर से भी निरंकारी मैदान बुराडी तक जाने की अनुमति दिए जाने की बात किसानों के सामने रखी गई। हालांकि किसान पहले तो इस पर सहमत थे, परंतु बाद में उन्होंने दिल्ली जाने का मुद्दा ही छोड़ दिया।
दिल्ली से ज्यादा कारगर हाईवे पर धरना
आंदोलनकारी किसानों का कहना था कि दिल्ली के किसी मैदान में वह कितने दिनों तक भी बैठे रहें, सरकार पर दबाव नहीं बनेगा। वे अब दिल्ली जाने की बजाए बार्डर पर ही हाईवे पर धरना देंगे। ऐसे में सरकार तक उनकी बात जल्दी पहुंचेगी और तीनों कानून को रद करने का फैसला हो सकेगा। यह रणनीति बनाकर किसान फिर से बार्डर से करीब 500 मीटर पीछे हरियाणा की सीमा में ही धरना देकर बैठ गए। देर रात तक किसानों का यही निर्णय था कि दिल्ली बार्डर तक वह पहुंच गए हैं, सारे अवरोध उन्होंने तोड़ दिए हैं। अब वह दिल्ली की बजाए सड़क से ही आंदोलन संचालित करेंगे।
किसानों ने साफ कर दिया कि एक या दो दिन, सप्ताह का मामला नहीं है, बल्कि जब तक कानून रद्द नहीं होते हैं, वे यहां से नहीं हटेंगे। अगर सरकार ने जबरदस्ती करनी चाही,तो वह उग्र आंदोलन करने पर विवश होंगे। उन्होंने दोहराया कि वह किसी का विरोध या किसी दल के नुमाइंदे नहीं है, बल्कि देश के किसान है और अपनी सरकार से अपनी समस्या का हल चाहते हैं।
ऐसे चला सुबह से रात तक कारवां
दरअसल, आधी रात के बाद करीब 25 से 30 ट्रैक्टर ट्राली के साथ किसानों का पहला जत्था हलदाना बार्डर पर पहुंच गया था। प्रशासन ने इस जत्थे को यहां से निकलने दिया। इसके बाद सुबह करीब साढे सात बजे सैंकड़ों की संख्या में किसान आ पहुंचे और पुलिस के बैरिकेड और पत्थरों को उठाकर एक किसाने फेंक दिया। इसके बाद नारेबाजी करते हुए किसान हसनपुर (मुरथल के पास) पहुंचे और भी चंद मिनटों में प्रशासन के इंतजाम धराशायी करते हुए आगे बढ़ चले। सुबह करीब दस बजे यह जत्था राजीव गांधी एजूकेशन सिटी के पास पहुंचा और यहां बनाई गई दीवार गिराते हुए बार्डर की ओर बढ़ लिया।
सुबह साढे दस बजे तक दिल्ली बार्डर पर किसान पहुंच चुके थे
शुक्रवार सुबह साढे दस बजे तक दिल्ली बार्डर पर करीब एक हजार किसान पहुंच चुके थे। यहां पर किसान धरना जमाकर बैठ गए और पीछे से आ रहे अपने साथियों का इंतजार करने लगे। इसी बीच पानीपत से चलकर भाकियू नेता गुरनाम चढूनी का काफिला साढे 12 बजे के करीब बार्डर पर पहुंचा। इस दौरान बीच-बीच में दिल्ली पुलिस की ओर से दर्जनों बार आंसू गैस के गोले दागे किए, लेकिन किसान शांत बैठे रहे। दोपहर को करीब एक बज कर 53 मिनट पर किसान उग्र हुए और बैरिकेड तोड़कर दिल्ली में प्रवेश का प्रयास किया। इसी दौरान दोनों ओर से पथराव होने लगा। करीब पौने घंटे तक हंगामे के बाद यहां शांति बहाल हो सकी और फिर करीब 500 मीटर पीछे हरियाणा की सीमा में किसान धरने पर बैठ गए। इधर, किसानों के वाहनों की वजह से हाईवे की दोनों ओर दिल्ली बार्डर से प्याऊ मनियारी तक केवल ट्रैक्टर-ट्राली ही दिख रहे हैं। हाईवे पूरी तरह से जाम है और अब किसान यहां पर डेरा जमाए बैठे हैं।
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