लक्ष्य से पिछड़ गए किसान : दलहन एवं तिलहन फसलों की ज्यादा बिजाई के बाद भी किसानों का बाजरा से मोहभंग नहीं हो पाया

हरिभूमि न्यूज : नारनौल
खरीफ फसल बिजाई में फसल विविधिकरण लागू करने के बावजूद किसानों को बाजरा की फसल से ज्यादा मोहभंग नहीं हो पाया है। हालांकि इस योजना के आने के बाद से किसानों ने जिले में दलहन एवं तिलहन फसलों को बढ़ावा दिया है। इससे सरकार द्वारा शुरू की गई योजना का मामूली तौर पर असर दिखाई देने लगा है।मगर गौर करने वाली बात यह है कि जिले के किसान खरीफ बिजाई के लक्ष्य 1.20 लाख हेक्टेयर से काफी पीछे रह गए हैं। अबकी बार महज 97110 हेक्टेयर में ही बिजाई हो पाई है, जो लक्ष्य से 22890 हेक्टेयर यानि 57225 एकड़ खेत खाली रह गए हैं।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा सरकार ने खरीफ फसल की बाजरा की पैदावार कम करने के लिए फसल विविधिकरण योजना लागू की है। जो किसान बाजरा की जगह दूसरी फसल बोएंगे, उन्हें सरकार द्वारा चार हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि के रूप में प्रदान किए जाएंगे।सरकार ने जिले के किसानों को 19400 एकड़ में बाजरा की जगह तय छह फलों की बिजाई करनी थी, लेकिन किसानों ने इस लक्ष्य की तुलना में महेंद्रगढ़ 16377 में बिजाई की है, जो लक्ष्य का करीब 84.42 प्रतिशत है।
97110 हेक्टेयर में बाजरा की बिजाई की गई
हालांकि कृषि विभाग ने जिले में बाजरा का लक्ष्य 1.20 लाख हेक्टेयर तय किया था, जिसकी तुलना में अबकी बार 97110 हेक्टेयर में बाजरा की बिजाई की गई है। योजना आने से यह पिछले साल की तुलना में हालांकि घटा है। पिछले साल 2020 में जिला में किसानों ने 116891 हेक्टेयर में बाजरा की बिजाई किया था। उस समय सरकार ने बाजरा का समर्थन मूल्य बढ़ाकर सीधे 1950 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया था, जबकि मार्केट में यह मात्र 1200-1400 रुपये प्रति क्विंटल था।
समय पर बरसात नहीं होने से घट गया रकबा
जिला महेंद्रगढ़ कृषि प्रधान जिला है, लेकिन अबकी बार मानसून में करीब एक माह की देरी हुई। 25 जून की बजाए करीब 19 जुलाई को पहली बरसात हुई। जबकि फसल बिजाई एक जुलाई या इससे पहले के पीरियड में ही होती है। अबकी बार फसलों का रकबा बढ़ाकर 145760 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन इसकी तुलना में 133640 हेक्टेयर में ही खरीफ की बिजाई हो पाई है। कम फसलें खासकर बाजरा घटने से पशुचारा महंगा होने का भय रहेगा। खरीफ को पशुचारा आधारित फसलें ही मानी जाती हैं, लेकिन अबकी बार बदलाव आ रहा है।
अबकी बार बढ़ा है दलहन फसलों का क्षेत्रफल
फसल विविधिकरण योजना के चलते जिले में अबकी बार किसानों ने पिछले साल की तुलना में कपास की भी कम बिजाई की है। पिछले साल 18389 हेक्टेयर में कपास थी, लेकिन अबकी बार यह 16990 हेक्टेयर ही रह गई है। मूंग का क्षेत्रफल बढ़ा है। पिछले 396 हेक्टेयर की तुलना में अबकी बार अधिकाधिक मूंग की बिजाई की है और इसका क्षेत्रफल बढ़कर 8245 हेक्टेयर को पार कर गया है। एक हेक्टेयर में करीब ढाई एकड़ जमीन होती है। 16 एकड़ में अरहर, मूंग 606 हेक्टेयर, तिल 185 हेक्टेयर, 8 हेक्टेयर में अरंडी, 5700 हेक्टेयर में ग्वार, 3760 में पशुचारा तथा 1020 में ढैंचा की बिजाई की गई है।
सरकार की योजना से मिल रहा बढ़ावा
कृषि विभाग नारनौल के उप निदेशक डा. वजीर सिंह ने बताया कि बाजरा का उत्पादन घटाकर दलहन एवं तिलहन फसलों का रकबा बढ़ाना सरकार का लक्ष्य रहा है। किसानों ने भी फसल विविधिकरण योजना का लाभ लेना चाहा है। इसी कारण अबकी बार बाजरा का रकबा घटा है, लेकिन दलहन एवं तिलहन फसलें एकदम से बढ़ गई हैं। सरकार भी यही चाहती है कि किसानों को अधिक आय वाली फसलें पैदा करके अपनी आय बढ़ानी चाहिए। अबकी बार फसल विविधिकरण योजना लागू हुई है, इसके आगे चलकर और भी फायदे होंगे।
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