किसानों में खुशी : महेंद्रगढ़ जिले के अंतिम छोर पर पानी से लबालब अलीपुर माइनर

किसानों में खुशी : महेंद्रगढ़ जिले के अंतिम छोर पर पानी से लबालब अलीपुर माइनर
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अलीपुर माइनर के नवीनीकरण के कार्य पर लगभग 58 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है और इस नहर का कायाकल्प करने के लिए कार्य प्रगति पर है। इसमें 60 प्रतिशत कार्य पूर्ण किया जा चुका है और पिछले चार दिनों से इस नहर में स्वीकृत क्षमता के अनुसार औसतन तीन क्यूसिक पानी छोड़ा जा रहा है।

नारनौल। निरंतर गिर रहे भूमिगत जल स्तर में सुधार करने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से जिले की सभी नहरों का नवीनीकरण करवाया जा रहा है। इसी कड़ी में क्षेत्र के अंतिम छोर पर पड़ने वाली अलीपुर माइनर का भी नवीनीकरण करने का कार्य किया जा रहा है। वर्तमान में इस नहर का सीमेंट कंक्रीट से लाइनिंग करने का कार्य पूरा हो चुका है और पिछले चार दिनों से उपरोक्त माइनर में पानी छोड़ा जा रहा है। क्षेत्र के अंतिम गांव सैदअलीपुर में जोहड़ भरने का कार्य चल रहा है। किसान सरकार के इस कार्य से काफी खुश नजर आ रहे हैं।

किसानों ने बताया कि इस सूखाग्रस्त क्षेत्र में नहरी पानी पहुंचाने का श्रेय हलका नांगल चौधरी के विधायक डा. अभय सिंह यादव को जाता है। विधायक ने इस सूखाग्रस्त क्षेत्र में नहरी पानी पहुंचा कर क्षेत्र के सभी जोहड़ों को भरने का कार्य किया है। जिसके कारण भूमिगत जल स्तर में अभूतपूर्व फायदा हुआ है। इस नहरी पानी के कारण क्षेत्र की दशा और दिशा अवश्य बदलेगी।

इस विषय में सिंचाई विभाग के उपमंडल अधिकारी राजेश कुमार वर्मा ने बताया कि अलीपुर माइनर के नवीनीकरण के कार्य पर लगभग 58 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है और इस नहर का कायाकल्प करने के लिए कार्य प्रगति पर है। इसमें 60 प्रतिशत कार्य पूर्ण किया जा चुका है और पिछले चार दिनों से इस नहर में स्वीकृत क्षमता के अनुसार औसतन तीन क्यूसिक पानी छोड़ा जा रहा है। उप मंडल अधिकारी ने बताया कि इस नहर से गांव सैदअलीपुर व गंगूताना के जोहड़ को लिंक करके नहरी पानी से भरा जाएगा तथा गांव सैदअलीपुर में चार एकड़ रकबा में एक पक्का टैंक भी बनाया जाएगा। जिसमें बरसात के सीजन में जो फालतू पानी होता है उस पानी को इस प्रस्तावित स्टोरेज टैंक में इकट्ठा किया जाएगा। बरसात समाप्त होने के बाद रबी की फसलों में सिंचाई करने के लिए सदुपयोग किया जा सकेगा। उप मंडल अधिकारी ने लोगों से कहा है कि वह ऐसी फसलें उगाएं, जिनमें कम से कम पानी लगे और अधिक से अधिक पैदावार उनको मिल सकें। उन्होंने लोगों को अपने पूर्वजों की तरह प्राकृतिक खेती करने का आह्वान किया और अपने घरों की छतों का पानी का संरक्षण करने के लिए प्रत्येक घर में सोखता गड्ढे बनाने का भी आह्वान किया, ताकि जल संरक्षण में क्षेत्र के सभी लोगों का भी योगदान हो सकें।

200 एकड़ में हो सकेगी सिंचाई

इस प्रस्तावित टैंक से लगभग 200 एकड़ में फव्वारा संयंत्र सैटों से सिंचाई हो सकेगी और सिंचित क्षेत्र का भी रकबा बढ़ेगा, जिससे सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी और निरंतर गिर रहे भूमिगत जल स्तर में सुधार होगा। बरसात के सीजन में बरसाती पानी का संचयन एवं संरक्षण करने के लिए सैदअलीपुर गांव में गत वर्ष भी एक बांध का स्टोन पीचिंग करके नवीनीकरण किया गया था। जिसमें बरसाती पानी को इकट्ठा करके निरंतर गिर रहे भूमिगत जल स्तर में सुधार होगा। बरसाती पानी से जो नुकसान होता था, उसे भी रोका जाएगा।

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