पराली जलाने की लोकेशन चेक करने आए अधिकारियों को किसानों ने बनाया बंधक, गाड़ी की हवा निकाली

हरिभूमि न्यूज. फतेहाबाद/ रतिया
रतिया क्षेत्र में पराली जलाने के मामले को लेकर प्रशासनिक टीमों (Administrative teams) का गांवों में लगातार विरोध जारी है। बीते दिन गांव बाड़ा में प्रशासनिक टीम का ग्रामीणों (Villagers) ने विरोध कर उन्हें वापस जाने को मजबूर कर दिया तो वहीं बुधवार को गांव बबनपुर में भी ऐसा ही विरोध देखने को मिला।
कृषि विभाग के सहायक तकनीकी प्रबंधक संदीप कुमार, पटवारी नरदेव सिंह, पंचायत सचिव अमित कुमार आज किसानों द्वारा पराली जलाने की सूचना पर लोकेशन का मुआयना करने के लिए खेत में पहुंचे तो वहां मौजूद किसानों ने उनका विरोध करना शुरू कर दिया। गुस्साए किसानों ने टीम के तीनों अधिकारियों को करीबन एक घंटे तक खेत में ही बंधक बनाकर रोके रखा और इतना ही नहीं अधिकारियों की गाड़ी के टायरों की हवा निकाल दी। ग्रामीणों ने इसके बाद गांव में आने पर नुकसान का खुद जिम्मेवार होने की चेतावनी देकर उन्हें जाने दिया और नारेबाजी की। बंधक बनाए जाने की सूचना टीम के सदस्यों ने विभाग के अधिकारियों को भी दे दी थी लेकिन किसी भी अधिकारी ने मौके पर जाना उचित नहीं समझा।
मिली जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन के पास गांव बबनपुर क्षेत्र में 6 किसानों द्वारा पराली जलाने की सूचना मिली थी। इसके बाद प्रशासन के निर्देशों पर कृषि विभाग की टीम पराली जलाने की घटना की लोकेशन चेक करने बबानपुर गए थे। उक्त तीनों अधिकारी अभी खेतों में पहुंचे ही थे कि इसकी सूचना गांव के किसानों को लग गई। इस पर दर्जनों किसान मौके पर खेत में ही पहुंच गए। जब किसानों ने अधिकारियों से बात की तो उन्होंने बताया कि वह तो उच्च अधिकारियों के निर्देशों पर ही पराली जलाने की लोकेशन चेक करने आए हैं। इस पर किसानों का गुस्सा बढ़ गया और किसानों ने नारेबाजी करते हुए उन्हें कहा कि जब तक उनके उच्च अधिकारी नहीं आते तब तक वह अधिकारियों को नहीं जाने देंगे और उन्हें यही खेत में ही बंधक बनाकर खड़ा रखा जाएगा। हालांकि मौके पर गए टीम के सदस्यों ने किसानों को काफी समझाने की कोशिश की लेकिन किसानों ने अधिकारियों की किसी भी बात को सुनने से इनकार कर दिया और कहा कि जब तक उच्च अधिकारी यहां गांव में नहीं आते, वह उन्हें बंधक बनाकर रखेंगे और खेत से नहीं जाने देंगे। किसानों ने अधिकारियों की गाड़ी की टायरों की हवा निकाल दी।
किसानों का कहना था कि वह प्रशासन से कई बार मांग कर चुके हैं कि पराली को निकालने के लिए उन्हें उपकरण उपलब्ध कराई जाए लेकिन प्रशासन ने कोई भी उपकरण उपलब्ध नहीं करा रहा जिस कारण किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही पराली बनाने व उसे उठाने के लिए लाखों रुपए खर्च करने पड़ते जो कि किसानों की बस की नहीं है। काफी देर तक जब कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा तो करीब 1 घंटे बाद किसानों ने उक्त अधिकारियों को चेतावनी दी कि अगर पराली जलाने के मुद्दे पर वह दोबारा से गांव में आए तो उन्हें दोबारा नहीं छोड़ा जाएगा उनके उनको इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा। बाद में अधिकारियों ने किसी ढंग से अपनी गाड़ी में टायरों में हवा भरवाई और वहां से वापस आए।
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