किसान आंदोलन : 35 हजार करोड़ का नुकसान झेल चुके सोनीपत के उद्यमियों के चेहरे खिले, 5 हजार मजदूर कर चुके हैं पलायन

हरिभूमि न्यूज. सोनीपत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह जिस तरह से कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है। उससे किसान वर्ग तो खुश ही है साथ में जीटी रोड के आसपास के दुकानदार, ग्रामीणों और व्यापारियों के बीच भी खुशी का माहौल है। सालभर से बंद पड़े उद्योग-धंधों के फिर से फूलने-फलने के आसार हो गए हैं। आंदोलन से बुरी तरह से प्रभावित रहे सोनीपत जिले के उद्योगों को इस साल करीब 35 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। इस एक साल में तकरीबन 20 प्रतिशत उद्योग-धंधें बंद हो चुके हैं। कुंडली बॉडर बंद होने व जी.टी. रोड पर दोनों ओर किसानों के आशियाने बनने का सीधा असर न केवल दोनों ओर के दुकानदारों, शोरूम, रियल एस्टेट, मॉल्स व रेहड़ी-फड़ी वालों पर पड़ा है बल्कि दर्जनों गांवों भी दिल्ली से सीधे तौर पर कट गए। कुंडली व आसपास के क्षेत्रों में करीब 5 हजार मजदूर पलायन कर चुके हैं। इतना भारी नुक्सान झेलने के बाद अब व्यापारियों को प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद उम्मीद जगी है कि किसान जीटी रोड जल्द ही खाली कर देंगे। जिसके बाद उनके काम-धंधें फिर से सुचारू हो पाएंगें।
सबसे अधिक प्रभावित है कुंडली
26 नवंबर 2020 को किसान आंदोलन ने हरियाणा में प्रवेश किया था। 27 नवंबर दिल्ली बॉर्डर या फिर सिंघु बॉर्डर कहें, वहां पर किसान पहुंच गए थे। इसी दिन झड़प के बाद किसान सिंघु बॉर्डर पर ही डेरा जमा कर बैठ गए थे। इस घटनाक्रम को एक साल होने में 6 दिन बचे हैं। इस एक साल में किसान आंदोलन का सबसे अधिक प्रभाव कुंडली पर ही पड़ा। किसानों का पड़ाव कुंडली से लेकर केजीपी-केएमपी के पास तक है। ये पूरा क्षेत्र कुंडली के अंतर्गत आता है। किसानों के धरने की वजह से ढाई महीनों तक तो उद्योग-धंधें, बड़े शोरूम, छोटी दुकानें पूरी तरह से बंद रही। इसके बाद धीरे-धीरे प्रतिष्ठान खुलने शुरू हुए, लेकिन जीटी रोड पर रास्ता ना होने के कारण सभी तरह के काम-धंधें प्रभावित रहे। ढाई माह के बाद सड़क पर जब किसानों की संख्या कम हुई तो राई क्षेत्र में उद्योग-धंधें शुरू हो गए, लेकिन कुंडली में कुछ ज्यादा असर नहीं पड़ा। रास्ता ना होने के कारण उद्योग आज भी 50 प्रतिशत से कम संख्या में चल रहे हैं।
गांवों को टूटा लिंक, दिल्ली जाने में तीन गुणा समय
बॉर्डर बंद होने से एक ओर तो कुंडली व राई क्षेत्र के दर्जनों गांवों का लिंक दिल्ली से सीधे तौर पर टूट गया है, वहीं दूसरी ओर वाहनों को वैकल्पिक रास्तों का चयन करना पड़ा। जिसकी वजह से दिल्ली आवागमन का समय तीन गुणा हो गया। इससे समय और ईंधन की बर्बादी हुई। इसके साथ ही दिल्ली की तरफ वाहनों का आवागमन केएमपी (कुंडली-मानेसर-पलवल), केजीपी (कुंडली-गाजियाबाद-पलवल) एक्सप्रेस वे और ग्रामीण क्षेत्र की सड़कों से हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्र से आवागमन ज्यादा होने के कारण सड़कें काफी टूट गई हैं और यहां से परिवहन व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। जहां सोनीपत से आईएसबीटी (कश्मीरी गेट) जाने के लिए मात्र डेढ़ घंटा लगता था, अब सोनीपत से दिल्ली जाने के लिए तीन घंटे लग रहे हैं। सालभर से सीमा से लगते गांवों में न केवल कामकाज प्रभावित है बल्कि नौकरियों पर जाने वाले लोगों को बड़ा चक्कर लगाकर लिंक मार्गों से पहुंचना पड़ता है। ऐसे में न केवल खर्च बढ़ गया है बल्कि बहुत से लोगों की नौकरियां भी छूट गई हैं। गांव कुंडली, नांगल कलां, सबौली, नात्थुपुर, जाखौली, सेवली, प्रीतमपुरा, अटेरना, मनौली, बढ़खालसा, राई, बीसवांमिल, बढ़मलिक, जठेड़ी आदि गांवों के अधिकतर ग्रामीणों का कामकाज दिल्ली पर आधारित है, लेकिन सालभर से इन लोगों के लिए दिल्ली दूर हो गई है।
प्रधान ने बताया कि 20 प्रतिशत उद्योगपति कर चुके हैं पलायन
कुंडली औद्योगिक ऐसोसिएशन के प्रधान सुभाष गुप्ता ने बताया कि इस एक साल के दौरान उद्योगपतियों को करीबन 35 हजार करोड़ का नुकसान हो चुका है। इस दौरान तकरीबन 20 प्रतिशत उद्योगपति पालयन कर चुके हैं। 5 हजार के करीब मजदूर पालयन कर चुके हैं। सबसे ज्यादा नुकसान कुंडली को उठाना पड़ रहा है। शुरूआत में ट्रांसपोर्ट तो पूरी तरह से बंद था। जिसकी वजह से ना तो कच्चा माल पहुंचा और ना ही तैयार माल जा पाया। किसानों की संख्या कम हुई तो राई व बड़ी में अन्य रास्तों से सामान भेजना शुरू किया गया, इससे खर्चा बढ़ गया। कुंडली और नाथूपुर औद्योगिक क्षेत्र में उसके बाद भी वाहन नहीं जा सके। वहां करीब चार माह वाहन अंदर से घूमकर पहुंचना शुरू हुए। हालांकि दिक्कत अभी भी उठानी पड़ रही है। प्रधानमंत्री की घोषणा के बाद अब किसानों को जल्द ही जीटी रोड खाली कर देना चाहिये।
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