Farmers Protest: पंजाब और हरियाणा के 58 संगठनों ने सिंघु बॉर्डर पर की बैठक, किया ये ऐलान

Farmers Protest: पंजाब और हरियाणा के 58 संगठनों ने सिंघु बॉर्डर पर की बैठक, किया ये ऐलान
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प्रधानमंत्री मोदी ( Pm Modi ) द्वारा कृषि कानून रद्द ( agriculture law repealed ) करने की घोषणा के बाद से ही लगातार किसानों की बैठकों का दौर जारी है। 4 दिसंबर को प्रस्तावित एसकेएम ( Skm ) की बैठक से पहले भी 2 दिसंबर को एक और बैठक करने का निर्णय लिया गया है।

हरिभूमि न्यूज. सोनीपत

सिंघु बॉर्डर ( Singhu Border ) पर बुधवार को एक तरफ तो पंजाब की 32 जत्थेबंदियों ने बैठक की। दूसरी तरफ हरियाणा किसान मोर्चा के बैनर तले हरियाणा के 26 संगठनों ने भी बैठक की। बैठक के उपरांत दोनों की ओर से अलग-अलग पत्रकारवार्ता कर स्पष्ट किया गया कि जब तक सभी मांगें पूरी नहीं हो जाती, तब तक आंदोलन वापस नहीं लिया जाएगा। दोनों ओर से किसान आंदोलन ( Farmers Protest ) को लेकर एकमत होने का दावा किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी ( Pm Modi ) द्वारा कृषि कानून रद्द ( agriculture law repealed ) करने की घोषणा के बाद से ही लगातार किसानों की बैठकों का दौर जारी है। 4 दिसंबर को प्रस्तावित एसकेएम ( Skm ) की बैठक से पहले भी 2 दिसंबर को एक और बैठक करने का निर्णय लिया गया है। हालांकि सरकार के रवैये के अनुसार आंदोलन के रूख को स्पष्ट करने का फैसला 4 दिसंबर की बैठक में ही लिया जाएगा।

32 जत्थेबंदियों ने ऐलान किया है कि सभी मांगें पूरी होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा, लेकिन वे इसका तरीका बदलने पर विचार कर सकते हैं। साथ ही किसानों की मौत के आंकड़ों पर सरकार के जवाब को शर्मनाक बताते हुए कहा है कि शहीद किसानों का आंकड़ा सरकार किसानों से ले सकती है। पंजाब के जत्थेदारों ने साफ कहा है कि पंजाबियों को बदनाम करने की साजिश हो रही है, लेकिन वे आंदोलन छोड़कर जाने वाले नहीं हैं, बल्कि हरियाणा व अन्य राज्यों के किसानों के साथ यहां आखिरी तक डटे रहेंगे।

जत्थेबंदियों व हरियाणा किसान मोर्चा ने अलग-अलग पत्रकारवार्ता के दौरान कहा कि संयुक्त मोर्चा में कोई दो मत नहीं है। सभी फैसले सर्वसम्मति से लिए जा रहे हैं। मीडिया में जानबूझकर अफवाह फैलाई जा रही है। किसानों ने सरकार को 6 मुद्दे लिखकर दिए थे, जिनपर सभी किसान संगठन आज भी कायम हैं। फंड के सवाल पर जत्थेबंदियों ने कहा कि मोर्चा के पास जो भी पैसा बकाया है वह उन परिवारों का है, जिनके सदस्य किसान आंदोलन में शहीद हो गए हैं, लेकिन पैसा उन्हें किस हिसाब से देना है, यह फैसला संयुक्त किसान मोर्चा करेगा।

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