Farmers Protest : कृषि कानून निरस्त होने पर किसानों ने बदली रणनीति, अब 4 को नहीं 1 को होगी SKM की बैठक, सरकार को चेतावनी

हरिभूमि न्यूज. सोनीपत
तीन कृषि कानूनों को निरस्त ( agriculture law repealed ) करने का बिल सोमवार को संसद में रखा गया है और निरस्त बिल बिना चर्चा के ही पास हो गया। इसको देखते हुए किसानों ने अब नरम रूख अपनाते हुए अपनी रणनीति में बदलाव किया है। पंजाब के सभी 32 जत्थेबंदियों ने सोमवार को सिंघु बॉर्डर ( Singhu Border ) पर अहम बैठक की। बैठक के बाद फैसले के बारे में किसान नेताओं ने बताया कि 4 दिसंबर को प्रस्तावित संयुक्त किसान माेर्चा ( Skm ) की बैठक को अब 1 दिसंबर को बुलाया जा रहा है। इसी आपात बैठक को अहम बैठक बताते हुए किसान नेताओं ने संकेत दिया है कि इस बैठक में बड़ा निर्णय लिया जा सकता है। इसी बीच किसानों ने सरकार को चेताया कि एक दिन का समय है, सरकार को बाकि सभी मांगों को लेकर भी अपना रूख स्पष्ट करना होगा। सरकार के आज उठाए जाने वाले कदमों के आधार पर ही किसान मोर्चा आगामी फैसला लेगा।
सोमवार को सिंघु बार्डर पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए किसान जत्थेबंदियों के नेताओं ने बताया कि सोमवार का दिन किसानों के लिए ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि इस दिन किसानों की सबसे बड़ी जीत हुई है। सरकार को झुकना पड़ा और अपने बनाए काले कानून वापस लेने पड़े। अब सरकार को चेतावनी दी जाती है कि वह एमएसपी गारंटी ( MSP Guarantee ) , शहीद किसानों को मुआवजा, किसानों पर दर्ज केस वापस लेने समेत सभी 6 मांगों पर मंगलवार को अपना फैसला दे। इसी के आधार पर संयुक्त किसान मोर्चा 1 दिसम्बर को अहम बैठक करेगा और आगे की रणनीति तय करेगा। किसानों का आंदोलन खत्म करना या आंदोलन जारी रखवाना अब सरकार के हाथ में है। किसान जत्थेबंदियों के नेताओं ने साफ किया कि वे मांगें पूरी होने से पहले यहां से जाने वाले नहीं हैं।
पंजाब के किसान किसी भी मांग पर पीछे नहीं हटेंगे : किसान
किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल व सुरजीत सिंह फूल ने साफ किया कि बार-बार एक अफवाह फैलाई जा रही है कि कृषि कानून वापस होते ही पंजाब के किसान वापस लौटने लगे हैं, उनके तंबू उखड़ने लगे हैं, लेकिन सरकार ऐसे किसी मुगालते में न रहे। पंजाब के किसान किसी भी मांग पर पीछे नहीं हटेंगे। ऐसा कहा जा रहा है कि एमएसपी गारंटी कानून से पंजाब को कोई जरूरत नहीं है, पर यह गलत है। पंजाब को भी एमएसपी की उतनी की जरूरत है, जितनी की दूसरे राज्यों को। ऐसे में सभी किसान एकमत हैं और सभी मांगे पूरी होने के बाद ही यहां से वापस जाने के बारे में विचार करेंगे।
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