Farmers Protest : सिंघु बॉर्डर पर SKM ने 36 लाख में लगवाया था पंडाल, अब इतने रुपये में बिका

हरिभूमि न्यूज. सोनीपत
शनिवार को जब से सिंघु बॉर्डर ( Singhu Border ) से किसानों ने प्रस्थान शुरू किया है। तभी से जीटी रोड पर कई तरह के काम जोर पकड़ गए हैं। सबसे बड़ा फायदा तो कबाड़ी और कचरा बीनने वालों को हो रहा है। हर तरह की जरूरत का सामान रखने वाले किसानों ने सामान बांटा भी था और छोड़ कर भी चले गए। छोड़े गए सामान को आसपास के जरूरतमंदों में बांटा गया। वहीं अधिकतर जगहों पर जीटी रोड पर गाड़े गए लोहे के बड़ी कीलें और टैंट के लिए गाड़े गए बेस को वहीं छोड़ दिया गया।
इन्हें निकालने की होड़ शनिवार को ही लग गई थी, जोकि रविवार को भी जारी रही। वहीं एसकेएम ( Skm ) के मुख्य मंच और पंडाल को एसकेएम ने एक दिन पहले ही नरेला के किसी कबाड़ी को बेच दिया था। इस मंच और पंडाल को उखाड़ने के लिए कबाड़ी के कारिंदें रविवार को काम करते दिखाई दिए। बता दें कि इस मंच और पंडाल को तैयार करने में एसकेएम ने लगभग 36 लाख रुपये खर्च किए थे, लेकिन आंदोलन समाप्ति की घोषणा के बाद कमेटी ने निर्णय लेकर इस मंच को एक कबाड़ी को 15 लाख रुपये में बेच दिया।
लोहे के बेस निकालने में जोर-आजमाइश
रविवार को सिंघु बॉर्डर के बिल्कुल पास में जहां निहंगों का एक जत्था रूका हुआ था, वहां से वे लोग रविवार सुबह ही हट गए थे। क्योंकि दिल्ली जाने के लिये बॉर्डर के पास से ही एक गली में रास्ता खोलकर उन्हें दिल्ली जाने दिया गया था। इसी वजह से निहंग वहां से चले गए। यहां पर उनके द्वारा घोड़ों का अस्थायी अस्तबल भी बनाया गया था। सभी चीजों के लिए जीटी रोड पर लोहे के बेस लगाए गए थे। इन्हें निकालने के लिए आसपास के लोग जोर-अजमाईश करते रहे। वहीं कचरा बीनने वालों को भी जीटी रोड से काफी सामान मिल गया।
एनजीटी के नियम ताक पर, लगा दी आग
जीटी रोड पर सफाई के दौरान तीन जगहों पर आगजनी भी की गई। यहां पर सफाई के बाद इकट्ठा किया गया कूड़ा-कर्कट और झोपड़ियों में इस्तेमाल किए गए फूस को आग के हवाले कर दिया गया। बता दें कि दिल्ली एनसीआर में एनजीटी ( Ngt ) के आदेशों के चलते प्रदूषण नियंत्रण किया जा रहा है। ऐसे में आगजनी और निर्माण कार्यों पर पाबंदी है। इसके बावजूद इस तरह से जीटी रोड पर एनजीटी के आदेशों की धज्जियां उड़ाना चिंताजनक है।
जिसको जो मिला उठा रहा
जीटी रोड पर रविवार को भी सभी के लिए लाभ का दिन ही दिखाई दिया। क्योंकि जो भी व्यक्ति आया, उसे जो मिला वो उठा लिया। मसलन कोई ट्रैक्टर-ट्राली लेकर जीटी रोड पर पक्के निर्माण में इस्तेमाल की गई ईंटों को उठा रहा है तो कोई बचे हुए टैंटों और झोपडि़यों के सामान को उठा रहा है। कई लोहे के टैंटों से लोहे का सामान निकाल रहे हैं। इस काम में अधिकतर लोग आसपास के ही रहने वाले हैं। इनमें से भी अधिकतर लोग अपने बच्चों को भी साथ लेकर काम कर रहे हैं।
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