बेमौसम बरसात से डरे किसान, कच्ची-पक्की सरसों की फसल काटने में जुटे

बेमौसम बरसात से डरे किसान, कच्ची-पक्की सरसों की फसल काटने में जुटे
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किसानों को कभी भी मौसम बदल जाने का डर सता रहा है। जिसके चलते किसान अपने खेतों में सरसों की फसल काटने में जुट गए हैं।

देवेंद्र यादव : महेंद्रगढ़

बेमौसम बरसात ने किसानों को चिंतित कर दिया है। तीन दिन पूर्व हुई बारिश व ओलावृष्टि के कारण नारनौल क्षेत्र के किसानों की फसलों में 50 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। मगर महेंद्रगढ़ क्षेत्र की ओर कम बरसात होने तथा ओलावृष्टि नहीं होने की वजह से फसलें बच गई। अब यहां के किसान बेमौसम हुई बरसात व ओलावृष्टि की डर से अपनी सरसों की फसल की कटाई के धड़ाधड़ लग गए हैं। किसानों को कभी भी मौसम बदल जाने का डर सता रहा है। जिसके चलते किसान अपने खेतों में कच्ची पक्की सरसों की फसल काटने में जुट गए हैं।

इस बार सरसों व गेहूं की अच्छी फसल लहलहा रही थी। मगर नारनौल, नलवाटी, गुजरवाटी व दोहान क्षेत्र में शुक्रवार को हुई बारशि व ओलावृष्टि के बाद वहां पर सरसों व गेहूं की फसल को काफी नुकसान हो गया। हालांकि महेंद्रगढ़ क्षेत्र में हल्की बारिश होने तथा ओलावृष्टि नहीं पड़ने के कारण यहां की फसल बच गई, मगर बारिश के बाद किसान अपनी सरसांे की फसल की कटाई के लिए जोर-शोर से लग गए। महेंद्रगढ़ क्षेत्र में नारनौल में सरसों की फसल बौने के बाद ही सरसों की बिजाई की जाती है। वहीं इस क्षेत्र में पानी की भी ज्यादा कमी नहीं है। इसलिए यहां पर फसल कटाई का समय भी नारनौल क्षेत्र में फसल कटाई हो जाने के बाद ही आता है। नारनौल क्षेत्र में गत दिनों सरसों की कटाई जोर-शोर से चल रही थी। करीब 50 प्रतिशत किसानांे ने शुक्रवार तक अपनी सरसाें की फसल काट ली थी। वहीं महेंद्रगढ़ क्षेत्र में तीन-चार रोज पूर्व से ही सरसों की कटाई शुरू हुई थी। शुक्रवार को बरसात आ जाने के बाद शनिवार को वह कटाई का कार्य भी रूक गया था। शनिवार को मौसम साफ रहने के बाद लोग रविवार से कटाई से फिर से लग गए। मगर अब लोग अपनी सरसों की कच्ची फसल की ही कटाई कर रहे हैं।

किसानों को डर, कहीं फिर नहीं आ जाए बारिश

क्षेत्र के किसान रामधारी, गजराज, श्योताज, जयसिंह व ब्रह्मप्रकाश आदि ने बताया कि शुक्रवार को क्षेत्र में हल्की बारिश हुई थी। इससे पकी हुई सरसों की फसल में थोड़ा नुकसान जरूर है, मगर जो सरसों की फसल अभी कच्ची थी, उसमें नुकसान नहीं हुआ है। मगर अब मौसम के बदलते तेवरों के कारण वे भी कच्ची फसल की कटाई में ही लग गए हैं, ताकि कटाई के बाद कम से कम खाते के अंदर तो उनकी फसल बची रह जाए।

नहीं मिल रहे मजदूर, हो रही महंगी मजदूरी

फसल कटाई का एकदम जोर हो जाने के कारण क्षेत्र के किसानों को फसल काटने वाले मजदूर नहीं मिल रहे हैं। लोग प्रवासी मजदूरों के ही सहारे हैं, मगर 15 मार्च को शादियां ज्यादा होने के कारण प्रवासी मजदूर भी नहीं मिल पा रहे। वहीं रविवार को अवकाश का दिन होने के कारण किसानों का पूरा परिवार भी फसल कटाई करते हुए देखा गया। किसानाें का कहना है कि जो मजदूर अभी मिल रहे हैं, वे काफी महंगे हैं। वहीं यदि मौसम खराब हो जाएगा तो उनकी छह माह की मेहनत पर पानी फिर जाएगा। जिससे उनको काफी नुकसान होगा।

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