Farmers News : गेहूं में पीला रतुआ की लक्षण दिखने पर तुरंत कृषि विभाग को सूचित करें किसान

कुरुक्षेत्र। सहायक पौधा संरक्षण अधिकारी कुरुक्षेत्र डॉ अनिल कुमार ने बताया कि जिला कुरुक्षेत्र के खंड लाडवा के गांव बुढा में गेहूं की फसल में पीला रतुआ रोग के लक्षण पाये गए है। विभागीय टीम द्वारा प्रभावित छत का निरीक्षण किया गया है तथा किसान को पीला रतुआ रोग के उपचार की जानकारी भी दी गई है। गे
उन्होंने कहा कि यह मौसम पीला रतुआ के संक्रमण के लिए काफी अनुकूल है। इसलिए किसानों से अपील की जाती है कि वे नियमित रूप से खेतों में जाकर गेहूं में पीले रतुआ की जांच करे। शुरुआती संक्रमण फोसाई के रूप में 10-15 पौधी पर एक गोल दायरे में होता है और यह खेत में आगे फैलता है। पीबीडब्ल्यू 373, डब्ल्यूएच 147, पीबीडब्लू 550, एचडी 2967, डीबीडब्ल्यू 38 एचडी 3059, डब्लूएच 1021 और सी 305 जैसी किस्मों में पीले रतुआ का प्रकोप होने की संभावना है, क्योंकि ये किस्में पीले रतुआ के लिए अतिसंवेदनशील है और इन पर खेत में ठीक से नजर रखी जानी चाहिए। संक्रमण के मामले में रोगी पत्ती पर पीले पाउडर के साथ पीली पट्टीयों का विकास होता है। जब आप दो उंगलियों के साथ संक्रमित पती रगड़ते है, तो पीले रंग का पाउडर उंगलियों के टिप्स पर आता है।
उन्होंने कहा कि अगर पीले रंग का पाउडर अनुपस्थित है और 2-3 दिनों के भीतर पूरे खेत में पत्ते पीले होते हैं, तो ठंड के मौसम के प्रभाव के कारण हो सकते है और आपको फफूंदनाशक का फसल पर स्प्रे करने की आवश्यकता नहीं है। पीला रतुआ आने पर प्रोपिकोनाजोल 25 फीसदी ईसी 1 मिलीलीटर/प्रति लीटर पानी में मिलाकर अथवा 200 मिलीलीटर प्रोपिकोनाजोल 25 फीसदी ईसी को 200 लीटर पानी में मिला कर प्रति एकड़ प्रभावित फसल पर कोन अथवा कट नोजल से स्प्रे करवायें। इस बीमारी को रोकने के लिए 200 लीटर पानी प्रति एकड़ का छिड़काव करना आवयश्क है। रोग के प्रकोप तथा फैलाव को देखते हुए दूसरा छिड़काव 15 से 20 दिन के अन्तराल पर करें। अधिक जानकारी के लिए अपने क्षेत्र के सम्बन्धित कृषि विकास अधिकारी (पौधा संरक्षण)/कृषि विकास अधिकारी कृषि अधिकारी कार्यालय या कृषि विज्ञान केन्द्र से सम्पर्क करें।
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