आलू की खेती : आलू की बुआई अक्टूबर माह में करें किसान, ये हैं उन्नत किस्में

आलू की खेती : आलू की बुआई अक्टूबर माह में करें किसान, ये हैं उन्नत किस्में
X
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से सेवानिवृत सब्जी विशेषज्ञ डा. सीबी सिंह ने बताया कि सामान्यत: अगेती फसल की बुआई अक्टूबर के प्रथम सप्ताह तक, मुख्य फसल की बुआई मध्य अक्टूबर के बाद हो जानी चाहिए।

हरिभूमि न्यूज. कुरुक्षेत्र

आलू रबी सीजन की प्रमुख फसलों में से एक है। उत्पादन के मामले में आलू की फसल की उपज क्षमता दूसरे फसलों से ज्यादा है। भारत में आलू की खेती सबसे अधिक उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश राज्य में होती है। अधिक उपज के कारण आलू की खेती किसानों की पहली पसंद है।

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से सेवानिवृत सब्जी विशेषज्ञ डा. सीबी सिंह ने बताया कि आलू ऐसी फसल है जिसकी सारा साल भारत में खेती की जा सकती है। हालांकि देश के विभिन्न भागों में उचित जलवायु की उपलब्धता के अनुसार ही विभिन्न समय पर आलू की खेती की जा सकती है। हरियाणा में काफी बड़े क्षेत्र में आलू की खेती की जाती है। डा. सिंह ने बताया कि सामान्यत: अगेती फसल की बुआई अक्टूबर के प्रथम सप्ताह तक, मुख्य फसल की बुआई मध्य अक्टूबर के बाद हो जानी चाहिए।

डा. सीबी सिंह ने बताया कि आलू की फसल के लिए माध्यम ठंडा मौसम उपयुक्त रहता है। आलू की वृद्धि एवं विकास के लिए 15-20 डिग्री तापमान उपयुक्त है। इसके अंकुरण के लिए 25 डिग्री सेंटीग्रेड, संवर्धन के लिए 20 डिग्री सेंटीग्रेड और कंद के विकास के लिए 17-19 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान की आवश्यकता होती है। आलू के लिए मिट्टी का वीएच मान 5.2 से 6.5 उपयुक्त माना जाता है। डा. सिंह ने बताया कि भूमि एवं भूमि प्रबंधन आलू की फसल विभिन्न प्रकार की भूमि, जिसका पी.एच. मान 5 से 7 के मध्य हो, उगाई जा सकती है, लेकिन बलुई दोमट तथा दोमट उचित जल निकास की भूमि उपयुक्त होती है। कृषि वैज्ञानिक ने किसानों को बताया 3-4 जुताई डिस्क हैरो या कल्टीवेटर से करें। प्रत्येक जुताई के बाद पाटा लगाने से ढेले टूट जाते है तथा नमी सुरक्षित रहती है। वर्तमान में रोटावेटर से भी खेत की तैयारी शीघ्र व अच्छी हो जाती है। आलू की अच्छी फसल के लिए बोने से पहले पलेवा करना चाहिए। बुआई का समय आलू तापक्रम के प्रति सचेतन प्रकृति वाला होता है।

उन्नत किस्में और उपयुक्त समय

अक्तूबर के पहले सप्ताह से लेकर 20 अक्तूबर तक उगाई जाने वाली किस्मों में कुफरी मोहन, कुफरी लुम्बी, कुफरी गंगा, कुफरी पुष्कर, कुफरी सतलुज, कुफरी बादशाह, कुफरी अशोक, कुफरी अरुण, कुफरी जवाहर, कुफरी ज्योति, कुफरी बहार, कुफरी लालिमा, कुफरी सदा बहार, कुफरी लवकर आदि हैं। कुफरी मोहन आलू की नई किस्म है।

कंद लगाने के तरीके

डा. सीबी सिंह ने बताया कि अगर आलू का आकार / वजन 100 ग्राम तक हो तो उन्हें बिना काटे खेत में लगाया जा सकता है। यदि इससे बड़ा आकार हो तो काट कर लगाया सकता है। लेकिन कटे हुए कंदों की बीजाई 15 अक्तूबर के बाद ही करें। कटे हुए कंदों के प्रत्येक भाग में 2-3 आंखें जरूर होनी चाहिएं। कटे हुए कंद का वजन 30 ग्राम से कम नहीं होना चाहिए। कटे हुए कंदों को 0.25 प्रतिशत इंडोफिल एम. 45 के घोल में 5-6 मिनट तक डुबोकर जरूर उपचरित करें।

Tags

Next Story