Kisan Mahapanchayat : करनाल लघु सचिवालय गेट के बाहर बैठे किसान, राकेश टिकैत बोले- अब यहीं डालेंगे महापड़ाव और चलाएंगे लंगर

Kisan Mahapanchayat : करनाल लघु सचिवालय गेट के बाहर बैठे किसान, राकेश टिकैत बोले- अब यहीं डालेंगे महापड़ाव और चलाएंगे लंगर
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आंदोलनकारी किसान देर शाम लघु सचिवालय में धरने पर बैठ गए जहां आंदोलनकारियों के नेता राकेश टिकैत ने कहा, सरकार से काफी बातचीत हो गई। प्रशासन की भी सुन लिया। अब किसानों की मांग है कि सरकार या तो बात मान ले, अन्‍यथा लघु सचिवालय में ही महापड़ाव जारी रहेगा। अब किसान पीछे नहीं हटेंगे। किसानों ने काफी वक्‍त सरकार और प्रशासन को दे दिया है।

हरिभूमि न्यूज :करनाल

सचिवालय का घेराव करने के बाद आंदोलनकारी किसान देर शाम लघु सचिवालय में धरने पर बैठ गए। किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, सरकार से काफी बातचीत हो गई। प्रशासन की भी सुन लिया। अब किसानों की मांग है कि सरकार या तो बात मान ले, अन्‍यथा लघु सचिवालय में ही महापड़ाव जारी रहेगा। अब किसान पीछे नहीं हटेंगे। किसानों ने काफी वक्‍त सरकार और प्रशासन को दे दिया है।

महापंचायत से बड़ी तादाद में लामबंद होकर जिला सचिवालय पहुंचे हजारों किसानों के बीच शाम करीब साढ़े सात बजे किसान नेता राकेश टिकैत मीडिया के रूबरू हुए। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अभी तक सरकार या प्रशासन की ओर से जितनी भी वार्ता की गई, उससे हम संतुष्ट नहीं हैं। हम यही चाहते हैं कि सरकार उस अधिकारी को सस्पेंड करने के साथ ही मुकदमा दर्ज करे, जिस पर इतने गंभीर आरोप लगे हैं। हम लंबे संघर्ष के लिए तैयार हैं। जिस तरह दल्लिी की सीमाओं पर हमारा आंदोलन कई माह से चल रहा है, उसी तरह एक पड़ाव यहां भी डाल देंगे। जहां तक जिला सचिवालय में प्रवेश की बात है तो इस गेट से नहीं जाने देंगे तो किसी और से चले जाएंगे। अगर पानी में एक डला भी डालते हैं तो हलचल होती है। रात में यहां भी हलचल हो जाएगी।

केवल एक मांग भी पूरी नहीं कर सका प्रशासन

पहले किसानों की मांग थी कि सरकार मृतक किसान सुशील काजल के स्वजनों को 25 लाख रुपये प्रदान करें और उनके पुत्र को सरकारी नौकरी दी जाए। लाठीचार्ज में घायल हुए किसानों को दो-दो लाख रुपये प्रदान किए जाएं। जबकि लाठीचार्ज को लेकर विवाद में आए तत्कालीन एसडीएम आयुष सन्हिा पर मामला दर्ज कर उन्हें निलंबित किया जाए। लेकिन प्रशासन इन मांगों पर सहमत नहीं हुआ। प्रतिनिमंडल में शामिल योगेंद्र यादव ने कहा कि उन्होंने प्रशासन के सामने सबसे न्यूनतम मांग यह रखी कि तत्कालीन एसडीएम आयुष सन्हिा को बर्खास्त किया जाए और फिर उन पर जांच करवाई जाए। इसके अलावा उनकी कोई और मांग नहीं है। सबसे न्यूनततम मांग भी प्रशासन ने खारिज कर दी और उलटे इस अधिकारी का बचाव किया जा जा रहा है।

ये नेता रहे कमेटी में शामिल

करनाल प्रशासन द्वारा मीटिंग की पेशकश पर किसान संयुक्त मोर्चा की ओर से राकेश टिकैत, बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, डा. दर्शनपाल, राम पाल चहल, अजय राणा, सुखवद्रिं सिंह, विकास सिसर, योगेंद्र यादव, कामरेड इंद्रजीत सिंह, सुरेश गोत को कमेटी में शामिल किया गया।

ऐसे चला वार्ता का दौर

महापंचायत में प्रशासन ने वार्ता के लिए संदेश भेजा। 11 सदस्‍यीय कमेटी, राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, योगेंद्र यादव के साथ लघु सचिवालय पहुंचे। यहां पर अधिकारियों के आदेश के बाद अंदर जाने दिया गया। लघु सचिवालय के बाहर ही समर्थकों को रोक लिया गया। करीब सौ लोगों की भीड़ जुट गई। करीब दो घंटे तक दो दौर की वार्ता चली। इसके बाद सभी किसान नेता बाहर आ गए। किसान नेता जोगेंद्र उगरहा और राकेश टिकैत प्रेस से बातीचत करने लगे। जोगेंद्र ने कहा, प्रशासन ने मांग नहीं मानी है। सरकार मांग नहीं मान रही है। अब हम अपना काम करेंगे, प्रशासन अपना काम करे। टिकैत ने कहा, फैसला महापंचायत स्‍थल में होगा। तभी प्रशासन की तरफ से तीसरे दौर की वार्ता के लिए बुलाया गया। करीब पांच मिनट के बाद‍फिर से किसान नेता बाहर आ गए। किसान नेताओं ने बताया कि वार्ता विफल रही है। प्रशासन से जो मांग की वो नहीं मान रहे।

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