किसानों की बढ़ी टेंशन : धान की फसल पर तेले का अटैक, तेजी से फसल को पहुंचा रहा नुकसान

किसानों की बढ़ी टेंशन : धान की फसल पर तेले का अटैक, तेजी से फसल को पहुंचा रहा नुकसान
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  • किसान बोले, 2018 में भी धान की फसल में आई थी बीमारी, हुआ था आर्थिक तौर पर भारी नुकसान
  • तेले से बचाव के लिए किसानों को दी दवाई का छिड़काव करने की सलाह

Ambala : धरती पुत्र कहे जाने वाले किसान पर इस वर्ष एक के बाद एक आपदाएं टूट रही हैं । मुलाना-बराड़ा व साहा क्षेत्र का किसान पहले ही इस बार बेगना व मारकंडा नदी में आई बाढ़ के कारण भारी नुकसान झेल चुका है। इसके बाद बेमौसमी बारिश ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। अब तेले की बीमारी ने धान की फसल को चपेट में ले लिया है। इसी वजह से इलाके के किसानों की टेंशन बढ़ गई है।

तेले की बीमारी का ज्यादा असर हमीदपुर में देखने को मिल रहा है। यहां दर्जनों किसानों की सैकड़ों एकड़ धान की फसल पर तेले नाम के कीट ने अटैक कर दिया है। यह समस्या तेजी से बढ़ रही है। किसान इस समस्या से निजात पाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। धान की फसल में आई इस समस्या बारे किसान कृषि विभाग के अधिकारियों से भी बातचीत कर हल निकालने का प्रयास कर रहे है। हमीदपुर के पूर्व सरपंच एवं प्रगतिशील किसान सरदार जसबीर सिंह ने बताया कि उनके गांव के किसान इस समय धान की फसल में तेले के आने से काफी चिंतित है। धान की फसल में तेले का आना धान की फसल के लिए काफी घातक है। उनका कहना है कि धान की फसल जो हाल में ही निसार पर आई है ओर उसमें दूधिया पड़ना शुरू हुआ है, उसमें भारी मात्रा में तेले का प्रकोप है।

ज्यादातर फसल पर तेले का अटैक

हमीदपुर गांव के रहने वाले किसान जसबीर सिंह ने बताया कि कृषि विभाग द्वारा सबसे ज्यादा बढ़ावा दिए जाने वाली डीएसआर विधि से बोए जाने वाले धान में तेले का प्रकोप ज्यादा देखने को मिल रहा है। उन्होंने इस बार 48 एकड़ में धान की बिजाई की है। इसमें 26 एकड़ में तेले का अटैक है। 26 एकड़ में से 18 एकड़ में डीएसआर से धान की बिजाई की हुई है। तेला आने का सबसे बड़ा कारण धान की फसल में पानी का खड़ा होना है। जिन खेतों में धान की फसल में यूरिया की मात्रा अधिक रही है, उन खेतों में तेले का प्रकोप अधिक देखने को मिल रहा है। 2018 में भी उनके गांव में धान की फसल में तेले का प्रकोप आया था। उस समय काफी फसल खराब हुई थी। तेला नाम का यह कीट धान के पौधे का रस चूस लेता है और पौधे की खुराक धान की बाल तक नहीं जाने देता । कुछ समय बाद यह पौधा सुखी पराली का रूप ले लेता है । तेले का प्रकोप बहुत तेजी से खेत में बढ़ता है । अगर ध्यान न दिया जाए तो तेला तीन से चार दिन में धान के पूरे खेत को अपनी चपेट में ले लेता है। इससे बचने के लिए पेस्टीसाइड का छिड़काव किया जाता है लेकिन अभी मौसम साफ न होने के चलते किसानों के लिए धान की फसल में छिड़काव करना मुश्किल है।

तेले से बचाव के लिए दवाई का करे छिड़काव : जसविंद्र

कृषि विभाग के डीडीए जसविंद्र सिंह ने बताया कि किसान घबराए नहीं, तेले से बचाव के लिए दवाई का छिड़काव करें। खेतों में खड़े पानी व अधिक यूरिया डालने से तेला आता है। धान की फसल में पानी न खड़ा होने दें। अधिक जानकारी के लिए किसान इस समस्या बारे कृषि विभाग से संपर्क कर सकते है।

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