Welcome to Farmers : फूलों की बारिश से किसानों का स्वागत, किसान एकता जिंदाबाद के नारे से गूंजा जींद

Welcome to Farmers : फूलों की बारिश से किसानों का स्वागत,  किसान एकता जिंदाबाद के नारे से गूंजा जींद
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किसानों के स्वागत के लिए जगह-जगह स्टाल लगाए गए थे। जींद पहुंचने पर भाकियू के नेतृत्व में किसान संगठनों ने किसानों की अगुवाई की।

हरिभूमि न्यूज. जींद/उचाना/नरवाना

सरकार द्वारा कृषि कानूनों (Agricultural laws) को वापस लिए जाने के बाद किसान शनिवार को वापस लौटना शुरू हुए। जैसे ही आंदोलनकारी किसान (farmers) जींद की सीमाओं में पहुंचे तो बाइक जत्थों द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया। किसान जिंदाबाद, किसानी जिंदाबाद के नारों से जींद गुंजायमान हो गया। किसानों के स्वागत के लिए जगह-जगह स्टाल लगाए गए थे। जींद पहुंचने पर भाकियू के नेतृत्व में किसान संगठनों ने किसानों की अगुवाई की।


दिल्ली में एक साल से अधिक समय तक विभिन्न मांगों को लेकर धरना दे रहे किसान अब घर वापस जा रहे हैं। हाईवे के रास्ते दिल्ली से पंजाब जा रहे किसानों का जोरदार स्वागत बांगर के लोगों द्वारा किया गया। खटकड़ टोल पर आस-पास के गांवों से भारी तादाद में किसान, युवा, मजदूर, महिलाएं पहुंची। यहां किसानों को फूलों की बारिश की गई। हाईवे पर उचाना की अतिरिक्त मंडी के पास आढ़ती एसोसिएशन द्वारा लगाए गए भंडारे में पहुंचे पर किसानों का स्वागत किया। यहां पर हरियाणा, पंजाब भाईचारा जिंदाबाद के नारे लगाते हुए पंजाब, हरियाणा के किसान आपस में गले मिले। हाईवे पर खड़े होकर पंजाब जाने वाले किसानों को भंडारे में लेकर लोग जा रहे थे।

हलवा के साथ चखा खीर, देशी घी की जलेबी का स्वाद

उचाना की अतिरिक्त मंडी में लगे भंडारे में किसानों के लिए स्पेशल देशी घी की जलेबी के अलावा खीर, हलवा, पूरी-सब्जी, पकौडे का प्रबंध किया हुआ था। लस्सी, कढ़ी, रायत भी बनाया हुआ था। यहां पर सुबह पांच बजे से ही किसान आने लगे थे। जैसे-जैसे समय बीतता गया किसानों की संख्या यहां पर बढ़ती गई। करीब दस हजार से अधिक किसानों के खाने की व्यवस्था की हुई थी। आस-पास के गांवों से पहुंचे किसान गांव से दूध लेकर यहां पहुंचे ताकि चाए, खीर में दूध की कमी न पड़े। दिल्ली से आ रहे किसानों ने अपने-अपने ट्रैक्टरों को फूलों, गुब्बारों से सजाया हुआ था।

हर चेहरे पर नजर आ रही थी खुशी

दिल्ली से वापिस आ रहे पंजाब के अलावा आस-पास के गांवों के किसानों के चेहरों पर अलग सी खुशी नजर आ रही थी। चेहरे पर आंदोलन में मिली जीत की अलग सी मुस्कान चेहरों पर थी। हरियाणा के किसानों द्वारा दिल्ली से लेकर बॉर्डर तक की गई भंडारे की व्यवस्था के पंजाब के किसान कायल हो गए। किसानों ने कहा कि इतना जोरदार स्वागत उनका होगा ये सोचा नहीं था। छोटे भाई हरियाणा ने बड़े भाई पंजाब का जो साथ दिया है उन्हें वो अपनी आने वाली पीढ़ियों को भी बताएंगे।

कई दिनों से चल रहा है भंडारा

उचाना मंडी आढ़तियों द्वारा यहां पर कई दिनों से किसानों के लिए भंडारा शुरू किया है। वीरेंद्र संदलाना, दलबीर श्योकंद, रमेश मखंड, सुरेश सुरबरा ने बताया कि आढ़तियों द्वारा एकत्रित किए गए चंदे से टिकरी बॉर्डर पर भी कई महीनों तक पीने के पानी, दूध, भंडारे की व्यवस्था की थी। अब यहां पर कई दिनों से भंडारा शुरू किया हुआ है। इस मौके पर सुरेश खरकभूरा, बलराज श्योकंद, गजे सिंह, जितेंद्र श्योकंद, रामदत्त शर्मा, सतपाल करसिंधु, राममेहर श्योकंद, जसमेर बड़ौदी, राजा बुडायन, लाभ काब्रच्छा, जोगिंद्र श्योकंद, अनूप श्योकंद सहित आढ़ती, मुनीम मंडी से पहुंचे।


युवा, बुजुर्ग, महिलाएं डीजे पर झूमी

अतिरिक्त मंडी में लगाए गए डीजे पर किसानी गाने पूरे दिन बजे। यहां पर युवा, बुजुर्ग, महिलाएं डीजे पर झूमी। बुजुर्ग महिला राजकौर, बलिंद्रकौर ने कहा कि अपनी जमीन, युवा पीढ़ी को लेकर लड़े गए इस आंदोलन में जीत किसानी की हुई। हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, यूपी के साथ-साथ सभी के भाईचारे की जीत इस आंदोलन में हुई। सरकार को झूकना पड़ा जो कानून सरकार ने बनाए थे उन्हें वापस लेना पड़ा। पंजाब से आ रहे किसानों ने हरियाणा के किसानों को पगड़ी बांध कर स्वागत भी किया।

आज का दिन दिवाली, होली जैसा

किसानों ने कहा कि एक साल तक धरनों पर ही हर पर्व मनाए गए। अब घर वापसी के बाद आज का दिन उनके लिए होली, दिवाली जैसा है। 700 से अधिक किसानों को इस आंदोलन में खोने का दर्द है। ये जीत आंदोलन में जो मौत का ग्रास बने किसान है उनको समर्पित है। आंदोलन में किसानों ने देखा कि कौन उनके साथ है कौन उनके खिलाफ।


जींद में किसानों का स्वागत करते हुए भाकियू नेता।



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