किसानों को मिलेगा रोजगार : राजस्थान व पंजाब की फैक्ट्रियों में 165 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिकेगी पराली

किसानों को मिलेगा रोजगार : राजस्थान व पंजाब की फैक्ट्रियों में 165 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिकेगी पराली
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कृषि विभाग की ओर से साथ लगते सिरसा जिला के राजस्थान व पंजाब में पराली से विभिन्न प्रोडक्ट बनाने वाली फैक्ट्रियों से अनुबंध किया गया है। किसानों को इस योजना के तहत जहां पराली जलानी नहीं पड़ेगी, बल्कि आर्थिक रूप से लाभ भी मिलेगा, वहीं राजस्थान में तूड़ी की भरपाई भी हो सकेगी। गौशालाओं को भी तूड़ी की कमी से नहीं जूझना पड़ेगा।

महाबीर गोदारा-सिरसा। पराली जलाने से होने वाले नुकसान से निपटने के लिए कृषि विभाग इस बार व्यापक प्रबंध कर रहा है। सुरक्षित वातावरण व जमीन के संरक्षित हेतु किसान पराली जलाने की बजाय इसका आर्थिक लाभ कैसे ले सके, इस पर योजना तैयार की गई है। इसके लिए बाकायदा कृषि विभाग की ओर से साथ लगते सिरसा जिला के राजस्थान व पंजाब में पराली से विभिन्न प्रोडक्ट बनाने वाली फैक्ट्रियों से अनुबंध किया गया है। किसानों को इस योजना के तहत जहां पराली जलानी नहीं पड़ेगी, बल्कि आर्थिक रूप से लाभ भी मिलेगा, वहीं राजस्थान में तूड़ी की भरपाई भी हो सकेगी। गौशालाओं को भी तूड़ी की कमी से नहीं जूझना पड़ेगा।

उल्लेखनीय है कि सिरसा जिला में 2 लाख 64 हजार एकड़ में धान की बिजाई की गई है। कृषि विभाग के अनुमान के मुताबिक इस बार करीबन सिरसा जिला में 22-23 लाख क्विंटल गांठों का उत्पादन होगा जो किसान जलाने की बजाय बेच सकेगा। इसके लिए कृषि विभाग डिलोइड इंडिया कंपनी का भी सहयोग ले रहा है जो 6 महीने के लिए अपने खर्चे पर जमीन लीज लेकर एजेंसियों को उपलब्ध करवाएगी। पंजाब व राजस्थान के अलावा जिला की मंडी कालांवाली की इन फैक्ट्रियों मंे 165 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से पराली खरीदी जाएगी।

पंजाब के बठिंडा की बीसीएल व चन्नू तथा राजस्थान के संगरिया की संजोक कंपनी में सिरसा जिला से पराली की गांठें जाएगी। इसके अलावा कालांवाली के मालवा ग्रीन फ्यूल में भी गांठें जा सकेंगी। इन कंपनियों को अलग-अलग लक्ष्य दिया गया है जो सिरसा जिला के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों से पराली खरीदेंगी। यही नहीं विभाग ने पराली के जरिये लोगों को रोजगार भी देना का प्रयास किया है। इसके तहत किसान इकट्ठी करके तूड़ी बनाकर राजस्थान के गौशालाओं को भेजेंगे जिससे उन्हें भी आर्थिक लाभ होगा, वहीं गौशालाओं में तूड़ी की कमी भी पूरी होगी। विभाग ने इसके लिए मल्लेकां, कुमथला, बुढ़ीमेड़ी, सिकंदरपुर, फरवाई व कासनखेड़ा गांव में कोलेक्शन सेंटर बनाए हैं, जहां पर एजंेसियां व बड़े किसान पराली को इकट्ठी कर गांठें व तूड़ी के रूप में आगे भेजेंगे। किसी प्रकार की जमीन संबंधी समस्या न आए इसके लिए कृषि विभाग को निजी कंपनी डिलोइड भी सहयोग कर रही है। कंपनी 6 महीने के लिए किसान को प्रति एकड़ 40 हजार रुपये सहायता देगी।

267 गांवों में 11 रेड जोन, 56 येलो जोन घोषित

सिरसा जिला में धान उत्पादक गांवों में 11 गांवों को रेड जोन में जबकि 56 को येलो जोन में लिया गया है। इन पर प्रशासन की विशेष नजर है। पराली न जलाई जाए इसके लिए ग्राम स्तर से लेकर ब्लॉक, तहसील स्तर पर कमेटी बनाई गई है जो इस पर लगातार नजर रखेगी। कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. सुखदेव सिंह के मुताबिक विभाग की ओर से किसानों को 3300 सुपर सीडर उपलब्ध करवाए गए हैं ताकि कचरे समेत किसान पराली जलाने की बजाय गेहूं की बिजाई कर सके। इसके अलावा 47 बेलर्स भी उपलब्ध करवाए गए हैं जिन से गांठें बनाकर फैक्ट्रियों में बेची जा सकेगी। उन्होंने बताया कि किसान सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का 'यादा से 'यादा फायदा उठाकर आर्थिक लाभ कमाएं। साथ ही उन्होंने किसानों से अपील की कि वे पराली जलाने की बजाय गांठें बनाकर जमीन की उपजाऊ शक्ति को संरक्षित रखें।

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