पराली की बेल बनाने पर किसानों को मिलेंगे एक हजार रुपये प्रति एकड़, ऐसे करें पंजीकरण

हरिभूमि न्यूज. कुरुक्षेत्र
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डा. प्रदीप मिल ने कहा कि धान कटाई का सीजन चल रहा है। कंबाइन हार्वेस्टर से धान कटाई के बाद फसल अवशेषों को स्ट्रा बेलर के माध्यम से बंडल बनाकर स्वयं या बेलर मालिक के माध्यम से फैक्ट्रियों में बेचा जा सकता है। इससे अवशेषों को आग लगाने से बचाया जा सकता है। प्रदेश सरकार के निर्णय अनुसार जो किसान धान की पराली के बंडल स्ट्रा बेलर की मदद से बनवाएगा, उसे एक हजार रुपये प्रति क्विंटल से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके लिए किसान विभागीय पोर्टल एग्रीहरियाणा.जीओवी.इन पर पराली की गांठ के उचित निष्पादन के लिए पंजीकरण करें और लिंक पर पंजीकरण करवाएं।
उन्होंने कहा कि इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन से पहले किसान का मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पहले से रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य है। किसान को बेलर मालिक या गौशाला व गत्ता मिल द्वारा जारी की गई रसीद प्रार्थना पत्र के साथ जमा करवानी होगी। कमेटी सत्यापन के समय रसीद में अंकित क्षेत्र का सत्यापन इनके इंद्राज रजिस्टर से मिलान करेगी।
वहीं उपायुक्त मुकुल कुमार ने कहा कि किसानों को फसल के अवशेषों का प्रंबधन करने के लिए कृषि यंत्रों का उपयोग करना चाहिए। इन यंत्रों को उपलब्ध करवाने के लिए कस्टमर हायरिंग सेंटर बनाने के साथ साथ व्यक्तिगत किसानों को अनुदान राशि पर कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए गए है। इसलिए किसानों को इन यंत्रों का प्रयोग करके पर्यावरण को बचाने व भूमि के मित्र किटों को भी बचाया जा सकता है।
उपायुक्त मुकुल कुमार ने कहा कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ओर से फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर जिला के गांव-गांव में पहुंचकर किसानों को खेतों में फसल अवशेष न जलाने बारे जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे फसल अवशेषों का समुचित प्रबंधन करने के लिए आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग करें, कहीं पर भी खेतों में फसल अवशेष न जलाएं। उपायुक्त ने फसल अवशेषों में आग लगाने की घटनाओं का जिक्त्र करते कहा कि मानव स्वास्थ्य से जुड़े इस मुद्दे को लेकर अब सर्वोच्च न्यायालय, एनजीटी और प्रदूषण नियंत्रण विभाग गम्भीर है और ऐसे मामलों में भारी जुर्माना और सजा का प्रावधान भी किया गया है। अगर कोई फसल अवशेष में आग लगाते हुए पाया जाता है तो वह पर्यावरण के नुकसान की भरपाई देने के लिए उत्तरदायी होगा। उन्होंने कहा कि 2 एकड़ भूमि तक 2500 रुपये प्रति एकड़ घटना, 2 से 5 एकड़ भूमि तक 5 हजार रुपये प्रति घटना, 5 एकड़ से ज्यादा भूमि 15 हजार रुपये प्रति एकड़ घटना जुर्माने का प्रावधान है।
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