सरकारी पोर्टल पर खेला जा रहा मोटा खेल : दूसरों की जमीन का अपने नाम रजिस्ट्रेशन करा डकार रहे राशि

- भावांतर भरपाई योजना के बाद अब मुआवजा राशि हड़पने के चक्कर में फर्जी किसान
- गांव भांडोर निवासी एक व्यक्ति ने दूसरों की जमीन पर रजिस्ट्रेशन कराकर भावांतर भरपाई योजना के तहत हड़पी थी मोटी राशि
हरिभूमि न्यूज महेंद्रगढ़। किसानों की फसल के रजिस्ट्रेशन के बनाए गए मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर भी ठगी शुरू हो गई हैं। कुछ शातिर लोगों ने पोर्टल पर दूसरों की जमीन पर बाजरे का रजिस्ट्रेशन कराकर सरकार से मिली भावांतर भरपाई को तो डकार लिया, अब किसानों को मिलने वाले मुआवजे को भी हजम करने के चक्कर में हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ सरकार को सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
बता दें कि अगर किसान समर्थन मूल्य पर अपनी फसल बेचना चाहता है तो उसे मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। रजिस्ट्रेशन के दौरान किसानों को पूरी जानकारी देनी होती हैं। उनके पास कितनी जमीन है तथा खेत में कौनसी फसल उगाई हुई हैं। लेकिन बहुत से ऐसे किसान होते है जो पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन नहीं कराते और प्राइवेट में ही अपनी फसल भेज देते हैं। ऐसे किसानों की लापरवाही का फायदा शातिर लोगों द्वारा उठाया जाता हैं। पिछले सीजन में भी इन लोगों ने सैकड़ों एकड़ जमीन का रजिस्ट्रेशन अपने नाम पर करा लिया और बाजरे पर मिलने वाली भावांतर भरपाई की राशि अपने खाते में डलवाकर हजम कर गए थे। अब किसानों को फसल खराब होने से मिलने वाले मुआवजे को भी यह लोग डकारने के चक्कर में थे। यह शातिर ठग लंबे समय से यह खेल खेलते आ रहे हैं लेकिन ओलावृष्टि से खराब हुई फसल के मुआवजे के लिए आवेदन करते समय कई ऐसे मामले उजागर हुए हैं। किसानों ने अपने स्तर पर ही मामलों को सुलझा लिया। अगर इसकी जांच की जाएं तो मोटा गबन सामने आ सकता हैं।
छोटे किसानों व गोल खाते की जमीन पर होता है गोलमाल
मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराकर मुआवजा तथा भावांतर भरपाई की राशि डकारने का खेल लंबे समय से चल रहा है। सिर्फ एक ही तरीके से नहीं बल्कि कई शातिर लोग कई तरीकों से किसानों को चपत लगा रहे हैं। ऐसे देखने में आता है कि गांव में कई ऐसे छोटे किसान होते है जिनके हिस्से में कम जमीन आती हैं। इस जमीन से जितना उत्पादन होता है, उससे इन किसानों का घर का ही काम चलता हैं। ऐसे किसान पोर्टल पर अपना रजिस्टे्रशन नहीं कराते। शातिर ठग इसका लाभ उठाकर खुद को काश्तकार दिखाकर अपने नाम से रजिस्ट्रेशन करा लेते हैं। शातिर लोगों ने भावांतर भरपाई योजना के तहत सरकार की ओर से जारी राशि भी डकार ली।
इसके अलावा शातिर लोग गोल खाते की जमीन पर भी यह खेल खेलते हैं। गोल खाते में एक जमीन के कई हिस्सेदार होते हैं। कई हिस्सेदार पूरी जमीन का ही रजिस्ट्रेशन अपने नाम पर करा लेते हैं। जमीन का दूसरे हिस्सेदार जब रजिस्ट्रेशन कराने लगता है तो पोर्टल पर दर्शाया जाता है कि इस जमीन का तो पहले ही रजिस्ट्रेशन हो चुका है। अब रजिस्ट्रेशन जिसका हुआ है, समर्थन मूल्य पर बेचने का अधिकार भी उसी का हो जाता है। सरकार की ओर से दी जाने वाली भावांतर भरपाई योजना की राशि से लेकर फसल खराब होने पर मुआवजा राशि तक भी उसके खाते में आती हैं। अधिकतर किसानों को यह जानकारी ही नहीं है कि इस गलती को ठीक कैसे कराएं।
पोर्टल पर ही समाधान
इस समस्या का समाधान मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर ही मौजूद हैं। लेकिन लोगों को इसकी जानकारी नहीं हैं। अगर किसी किसान की जमीन पर किसी दूसरे ने रजिस्ट्रेशन करा लिया है तो किसान पोर्टल पर जाकर ग्रीवेंस के ऑप्शन पर क्लिक करें। इसके बाद अपनी जमीन का किला नंबर, मुस्तिल नंबर तथा अन्य जानकारी देकर अपनी आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। आपत्ति दर्ज होने पर पटवारी की जिम्मेदारी होगी कि वह आपकी जमीन में हिस्सेदारी करके अलग रजिस्ट्रेशन कराएं।
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