Fatehabad : नगरपरिषद के बैंक खातों में पड़े 54 करोड़, काम के लिए तरस रहे शहरवासी

- प्रधान-उपप्रधान की खींचतान के चलते अटका शहर का विकास
- नगर परिषद के पार्षद खामोश होकर देख रहे तमाशा
Fatehabad : नगरपरिषद के प्रधान व उपप्रधान की आपसी खींचतान के चलते शहर के बुनियादी विकास को लेकर भी लोग तरस रहे है। नगरपरिषद के पास इस समय 54 करोड़ रुपए की भारी भरकम राशि बैंक खातों में पड़ी हुई है, लेकिन विकास के नाम पर एक ईंट भी नहीं लग रही। विकास कार्य हो भी कैसे, मई के बाद अब तक नगर परिषद हाऊस की बैठक ही नहीं हो पाई। इस बारे में प्रधान का कहना है कि पिछले काम ही अभी नहीं हो रहे तो आगे बैठक करने का कोई औचित्य नहीं है। वहीं सभी 27 पार्षद खामोशी से तमाशा देख रहे हैं। शहरवासी उस दिन को कोस रहे हैं, जब इन लोगों को जिताकर विकास कार्यों के लिए परिषद में भेजा था।
अपने कामों को लेकर शहरवासी नगरपरिषद के चक्कर काट-काट कर परेशान हो चुके हैं लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही। लोगों को प्रोपर्टी टैक्स, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, एनओसी, एसेसमेंट आदि अनेक कार्यों के लिए नगरपरिषद जाना पड़ता है लेकिन सिरचढ़े लिपिक उनकी एक नहीं सुनते। इसका मुख्य कारण प्रधान राजेन्द्र खिची और उपप्रधान सविता टुटेजा के बीच कुर्सी को लेकर लड़ाई का होना है। पिछले दिनों नगरपरिषद में उपप्रधान की कुर्सी अलग लगवाई तो प्रधान पक्ष के पार्षद भी नाराज हुए। प्रधान का कहना है कि उन्हें पूरे शहर ने चुना है। उपप्रधान का कोई हक नहीं बनता कि वह उनके बराबर अलग से दफ्तर बनाएं। इस खींचतान का सबसे ज्यादा कोई फायदा उठा रहा है तो वह नगरपरिषद के क्लर्क है।
नारंग जैसे कुछ पार्षद ही कर रहे आवाज बुलंद
हालांकि ऐसा भी नहीं है कि सभी पार्षद खामोश है। जागरूक पार्षद मोहन लाल नारंग जैसे 8-10 पार्षद हैं, जिन्होंने नगरपरिषद में मुख्य मुद्दों को लेकर अपनी आवाज बुलंद की है। उनमें चाहे बंदरों को पकड़ने का मामला हो, चाहे शौचालयों की सफाई या शहर में अतिक्रमण हटाने का। अनेक ऐसे मौके आए, जब इन पार्षदों ने आवाज बुलंद की लेकिन इनकी आवाज नगरपरिषद में मचे शोरगुल में दबकर रह गई।
पार्षदों ने अपने ही कार्यालय में दिया था धरना
शहर में नई शामिल हुई बाहरी कालोनियों के पार्षदों ने अपने वार्डों में बरसाती पानी निकासी, पेयजल व्यवस्था, साफ-सफाई, गलियों के निर्माण की मांग रखी। उनकी भी एक नहीं सुनी गई। थक-हार उन्हें परिषद के अंदर ही धरना लगाना पड़ा। हालांकि अभी भी उनकी मांगें ज्यों की त्यों पड़ी है।
कोई ठेकेदार काम करने को तैयार नहीं
नगरपरिषद के पास इस समय 54 करोड़ की राशि बैंकों में सेविंग खाते में पड़ी है। इसके बावजूद विकास कार्य नहीं हो रहे। हालांकि विकास कार्यों के एस्टीमेट बनाए जा रहे हैं, टेंडर भी लगाया जाता है लेकिन उसके बाद प्रक्रिया इतनी सुस्त है कि काम होते-होते काफी समय लग रहा है। पहले फाइनेंस कमेटी, फिर अप्रूवल कमेटी, फिर पेमेंट कमेटी, इन सबके हाथों से फाइलें गुजरने के बाद ही ठेकेदार को पैमेंट हो पाती है इसलिए कोई ठेकेदार काम करने को तैयार नहीं है।
एक ही ठेकेदार पर 4 करोड़ के ठेके, नहीं हो रहा काम
कुछ पार्षदों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उपप्रधान का नगरपरिषद पर एकाधिकार है और इसी के चलते उसने अपने खासमखास ठेकेदार को 4 करोड़ से ज्यादा के ठेके दे रखे हैं और वह भी माइनस में। कोई ओर ठेकेदार टेंडर लेना भी चाहे तो इन दरों पर काम नहीं कर सकेगा। ऐसे में प्रधान भी सबकुछ देखकर खामोश हैं। शहरवासी भी चाहते है कि काम हो लेकिन अब ऐसा होता नजर नहीं आ रहा। नगर परिषद के प्रधान राजेंद्र खिची ने कहा कि पिछली बैठक में जो काम पास हुए थे, अभी वह भी पूरे नहीं हुए इसलिए अभी मीटिंग का कोई औचित्य नहीं बनता। पिछले काम पूरे होने के बाद ही हाऊस की बैठक बुलाई जाएगी ताकि आने होने वाले कामों की स्वीकृति दी जा सके।
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