पीले पंजे का खौफ डीटीपी विभाग के चंद कर्मचारियों की काली कमाई का जरिया बना...

नरेन्द्र वत्स. रेवाड़ी। अवैध कॉलोनियों को विकसित होने से रोकने के लिए डीटीपी की ओर से नियमित रूप से तोड़फोड़ की कार्रवाई की जाती है, लेकिन पर्दे के पीछे की हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। पीले पंजे का खौफ विभाग के चंद कर्मचारियों की काली कमाई का जरिया बना हुआ है। इसका नमूना धामलाका से गढ़ी बोलनी लिंक रोड और बावल रोड के साथ-साथ कई अन्य स्थानों पर देखने को मिल रहा है। अवैध कॉलोनियों में निर्माण करने सिलसिला बदतस्तूर चल रहा है।
इस रोड पर इस समय दो दर्जन से अधिक निर्माण चल रहे हैं। जो निर्माण कुछ समय पूर्व डीटीपी की टीम ने तोड़ दिए थे, वहां फिर से निर्माण किए जा रहे हैं। निर्माण करने वाले लोगों को रास्ता भी विभाग की ओर से ही दिखाए जाने की बात सामने आ रही है। कई स्थानों पर पहले अस्थाई चारदिवारी का निर्माण कराया जा रहा है। इसके बाद चारदिवारी के अंदर मकान यह कमर्शियल दुकानें बनाई जा रही हैं। अस्थाई चारदिवारी का निर्माण सिर्फ इसलिए कराया जा रहा है कि सड़क से गुजरने वाले अधिकारियों की नजर अंदर होने वाले निर्माणकार्य पर नहीं पड़े। इस एरिया में निर्माण करने का ही बूम देखने को मिल रहा है। कंस्ट्रक्शन दिन-रात चल रहे हैं, जबकि डीटीपी की कार्रवाई चंद लोगों तक सिमटकर रह जाती है। बाईपास के पास तेजी से चल रहे निर्माणकार्य खुलकर इस बात के संकेत दे रहे हैं डीटीपी कार्यालय के इशारे के बिना इतने बड़े पैमाने पर निर्माण करना मुमकिन नहीं है।
निर्माण के इशारे के बाद तोड़ने का भय
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विभाग का एक कर्मचारी अवैध कॉलोनियों के खेल में पूरी तरह संलिप्त होकर मोटा माल खींच रहा है। पहले अवैध कॉलोनियों में निर्माण करने का इशारा विभाग की ओर से ही दिया जाता है। इसकी ऐवज में मामूली रकम वसूली जाती है। जब निर्माणकार्य पूरा हो जाता है, तो उसे तोड़ने के नाम पर मनमाना पैसा वसूल किया जाता है। भवन निर्माण पर मोटा पैसा लगाने वाले लोग दोहरे नुकसान के डर से सुविधाशुल्क देने को मजबूर हो जाते हैं। इस कार्य में कुछ प्रॉपर्टी डीलर भी भूमिका अदा कर रहे हैं।
तुरंत बदल रहे नए निर्माण की सूरत
जानकार सूत्रों के अनुसार अवैध कॉलोनियों में किए जा रहे नए निर्माण की सूरत का कार्य भी तेजी से किया जा रहा है। नए भवन बनाने के बाद उन पर इस तरह के रंग की पुताई की जाती है कि भवन दशकों पुराना नजर आता है। एक दर्जन से अधिक ऐसे भवनों पर इसी तरह की पुताई की जा चुकी है। डीटीपी की ओर से पुराने भवनों को तोड़फोड़ की कार्रवाई में छोड़ दिया जाता है। उनके निशाने पर नए होने वाले निर्माण ज्यादा होते हैं। भवन पुराना नजर आने के कारण उन पर विभाग का पीला पंजा नहीं चल पाता। यह सारा खेल भी विभाग की शह पर ही खेला जा रहा है।
प्रॉपर्टी डीलरों के ऑफिस में सेटिंग
विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अवैध कॉलोनियां विकसित करने का यह खेल कुछ ऐसे प्रॉपर्टी डीलरों के कार्यालयों में खेला जाता है, जिनकी कार्यालय के कर्मचारियों के साथ पुरानी जान पहचान है। सबसे अधिक चर्चा एक ही कर्मचारी के नाम की है, जो खुद को अफसर की तरह पेश करते हुए सारे खेल को अंजाम दे रहा है। सड़क से गुजरने वाले लोगों को अवैध रूप से हो रहे निर्माण दूर से ही नजर आ रहे हैं, परंतु डीटीपी विभाग के अधिकारियों की आंखों पर भ्रष्टाचार के चश्मे ने सब कुछ नजरअंदाज किया हुआ है।
खुद मुआयना करने के बाद लूंगा एक्शन
मुझे इस तरह के निर्माण की कोई जानकारी नहीं है। अभी मैं कहीं बाहर हूं। मंगलवार को खुद ऐसे एरिया का निरीक्षण किया जाएगा। जिस जेई के एरिया में अवैध निर्माण होते हुए पाए गए, उसी के खिलाफ तुरंत सख्त एक्शन लिया जाएगा। अवैध कॉलानियों को किसी भी सूरत में विकसित नहीं होने दिया जाएगा। - वेदप्रकाश, डीटीपी।
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