दूध से ज्यादा महंगी हुई पशुओं की खुराक : तूड़ी के भाव ने सभी रिकार्ड तोड़़े, पशुपालक सस्ते दामों पर बेच रहे अपने पशु

महाबीर यादव : हांसी
मौसम की बेरूखी से गेहूं की कम पैदावार से जहां किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है वहीं तूड़ी की महंगाई की मार से पशुपालक भी नहीं बच पा रहे हैं। दूध से महंगी खुराक होने के कारण पशुपालकों ने अपने पशुओं को बेचना शुरू कर दिया है। जिस भैंस की कीमत बाजार में 70 से 80 हजार रुपये थी अब उसकी कीमत 50 से 60 हजार रुपये रह गई है। दूध ना देने वाले पशुओं का पालन भी पशुपालकों को भारी पड़ रहा है। पशुपालकों के सामने सबसे बड़ी समस्या तूड़ी को लेकर आ रही है। अबकि बार तूड़ी के भाव ने पिछले कई सालों के रिकार्ड को तोड़ दिया है। तूड़ी के भाव 1200 रुपये प्रति क्विंटल तक जा पहुंचे हैं। ऐसे में पशुपालक के लिए पशु पालना घाटे का सौदा साबित हो रहा है।
पेट्रोलियम पदार्थ और रसोई गैस को बढ़ती कीमतों से किसान और पशुपालक भी उतने ही परेशान हैं जितने नौकरी पेशा और मध्यम वर्ग के लोग हैं भूसा, खल, चूरी, चोकर बिनौला गुड और अन्य पशु आहार महंगा हो गया है इसलिए पशुपालक अपने खूंटे पर पशुओं की संख्या कम कर रहे हैं गर्मी में पशुओं के दूध देने की क्षमता कम हो गई है। इसलिए दूध बेचकर भी पशुपालक अपने पशुओं को भरपूर खुराक नहीं दे पा रहे हैं इसलिए पशु भी कमजोर हो रहे है और उनकी कीमत भी कमजोर हो रही है। मजबूरी में पशुपालक अपने पशुओं को बेच रहे हैं। पशुपालकों का कहना है कि एक पशु को कम से कम रोजाना 300 की खुराक की आवश्यकता है। लेकिन उससे दूध दो ढाई सौ रुपये का मिल रहा है। 50-60 रुपये रोजाना घर से देना पड़ रहा और सुबह से लेकर रात तक उनकी सेवा में गुजर रहे हैं। ऐसे में कोई दूसरा काम कर लेंगे तो वह पशु पालकों से अच्छा रहेगा।
> 5 0 रुपये लीटर में दूधिया ले रहा दूध
> 4 से 5 लीटर प्रतिदिन दूध कम दे रही भैंस
> 60 -70 रुपये लीटर बाजार में बिक रहा दूध
एक दुधारू पशु की प्रतिदिन की खुराक
> 8 से 10 किलो तक सुखा भूसा प्रतिदिन भूसा
> 10 से 15 किलो हरा चारा
> 2 किलो खल प्रतिदिन
> 3 किलो चौकर प्रतिदिन
> 2 किलोग्राम बिनौला प्रतिदिन
> 1 किलो गुड़ प्रति सप्ताह
> 250 मिली सरसों का तेल प्रति सप्ताह
पशुओं की खुराक का बाजार में ये है भाव
> तूड़ी- 1200 क्विंटल
> हरा चारा - 400 क्विंटल
> खल 4200 क्विंटल
> बिनौला 4800 क्विंटल
> चना 5200 क्विंटल
> चुरी 3000 क्विंटल
> चोकर 2200 क्विंटल
> गुड़ 3400 क्विंटल
> सरसों तेल 170-180 रुपये लीटर
पिछले सालों के मुकाबले इस साल गेहूं की आधी हुई पैदावार
बेमौसमी बारिश के कारण गेहूं की फसल पर ज्यादा असर पड़ा है। जल भराव के कारण किसानों की गेंहू की फसल नष्ट हो गई। हर वर्ष जहां एक एकड़ में गेहूं 16 से 25 क्विंटल गेहूं की पैदावार होती थी वहीं अबकि बार एक एकड़ में 10 से 15 क्विंटल की पैदावार हुई है। कम पैदावार के चलते ही तूड़ी की भी काफी कमी हुई है। सरकार की ओर से भी चारे के संकट को देखते हुए एक जिले से दूसरे जिले में तूड़ी भेजने पर रोक लगा दी थी।
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