अपराध से तौबा, बनेंगी आत्मनिर्भर : सुनारियां जेल में महिला कैदी सीख रहीं कढ़ाई-सिलाई

विजय अहलावत. रोहतक
सुनारियां जेल में बंद 96 महिलाएं अब आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं। अपराध से तौबा कर लिया है और जेल में ही शिक्षा ले रही हैं। खेलों की ओर भी रुझान है। जेल प्रशासन ने इनके लिए विशेष तौर पर शिक्षकों की व्यवस्था भी की है। आठ मार्च को अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस है। ऐसे में जेल में बंद महिलाओं के हालात टटोले गए तो पता चला कि यहां महिलाओं का जीवन संवारने के लिए भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। इसका सुखद परिणाम उस समय आया था, जब कैदियों द्वारा रेजे के परिधान तैयार किए गए और इन्हें फैशन शो में जगह मिली। महिला बंदी और कैदियों को सिलाई-कढ़ाई, बेकरी, व्यंजन बनाने के प्रशिक्षण भी दिए जा रहे हैं। जहां उनके लिए लूडो, कैरमबोर्ड, शतरंज जैसे खेल की सुविधाएं हैं। हर माह उनकी समस्याएं सुनकर उनका निदान किया जाता है। यहां गौर करने लायक है कि हत्या के मामले में सबसे ज्यादा 51 महिलाएं जेल में बंद हैं।
74 अंडर ट्रायल, 22 को सजा
जेल में महिलाओं के लिए स्पेशल बैरक है। जहां उनकी सुरक्षा का पूरा प्रबंध किया गया है। जेल में इस समय करीब 96 महिलाएं बंद हैं। जिनमें से अंडर ड्रायल 74 और 22 को सजा हो चुकी है। कई महिलाओं को कोविड के दौरान पैरोल पर भेजा गया था। जिनकी पैरोल समयानुसार खत्म हो रही है और कैदी वापस आ रही हैं।
चोरी में 16, नशा बेचने के मामले में 12 महिलाएं बंद
जेल में अलग-अलग आपराधिक मामलों में महिला कैदी और बंदी हैं। सबसे ज्यादा मामले हत्या के हैं। इसके बाद चोरी और नशा अधिनियम के मामले हैं। हत्या के मामलों में 51 महिला कैदी जेल में बंद हैं। गैर इरादतन हत्या मामले में 10 महिलाएं जेल में हैं। चोरी के मामले में 16 महिलाएं जेल में बंद हैं। नशा अधिनियम के मामलों में 12 महिलाएं जेल में हैं। जबकि अन्य मामलों में सात महिलाएं जेल में हैं।
ज्यादातर महिलाएं 35 आयु वर्ग के आसपास
जेल में बंद ज्यादातर महिला कैदी और बंदी एक ही आयुवर्ग के आसपास हैं। वह करीब 35 वर्ष आयु की हैं। 20 से 30 वर्ष की 25 महिलाएं हैं। 31 से 40 वर्ष की 34 महिलाएं हैं। 41 से 50 वर्ष के बीच 20 महिलाएं हैं। 51 से 60 वर्ष के बीच की 11 महिलाएं हैं। 60 वर्ष से अधिक की 6 महिलाएं हैं।
बंदियों के लिए खेलों की भी सुविधा
जेल में बंद महिला बंदियों का ध्यान शिक्षा के साथ-साथ खेलों की ओर भी आकर्षित किया जा रहा है। जेल में शिक्षकों की भी तैनाती की गई है। जेल प्रशासन द्वारा महिला बंदियों के खेलने के लिए सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। महिला बंदियों के लिए इंडोर गेम में चेस, कैरमबोर्ड, लूडो आदि खेल सुविधाएं भी जेल में महिला बंदियों को दी जा रही है। जेल प्रशासन महिला बंदियों के स्वास्थ्य के लिए समय समय पर चैकअप कैंप लगाए जाते हैं। स्वास्थ्य विभाग की एक टीम जेल में ही तैनात रहती है। ज्यादा बीमार होने पर पीजीआई रैफर किया जाता है।
न्यायाधीश करते हैं दौरा
जेल में रहने वाले कैदियों एवं बंदियों की समस्याएं सुनने के लिए समय समय पर न्यायाधीश जेल का दौरा करते हैं। वह इस दौरान कैदियों को मिलने वाली खाने पीने की सुविधा, पेयजल, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधा का निरीक्षण करते हैं। इसके अलावा महिलाओं की समस्याएं सुनी जाती हैं। जेल में उन्हें घर जैसा माहौल देने के लिए प्रयास किया जाता है। इसके अलावा महिला आयोग और मानवाधिकार आयोग के सदस्य भी जेलों का निरीक्षण करते रहते हैं।
दो समय का खाना और मिल रहा दूध
महिलाओं को जेल मेनुअल के मुताबिक सुबह दूध के साथ नाश्ता करवाया जाता है। इसके बाद दोपहर और शाम को खाना दिया जाता है। शाम के समय चाय दी जाती है। इसके अलावा महिलाएं कैंटीन से सामान ले सकती हैं।
जरूरी सुविधाएं दी जा रही
जेल मेनुअल के मुताबिक, सभी महिला कैदियों, बंदियों को सभी जरूरी सुविधाएं दी जा रही हैं। समय समय पर स्वास्थ्य चैकअप करवाया जाता है। इसके अलावा व्यवसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाए जाते हैं। -सुनील सांगवान, जेल अधीक्षक
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS