खाद किल्लत : डीएपी विक्रेताओं को रोजाना देनी होगी स्टॉक की जानकारी

हरिभूमि न्यूज. झज्जर
जिले में चल रही डीएपी किल्लत को दूर करने को लेकर कृषि विभाग उप निदेशक इंद्र सिंह ने खाद विक्रेताओं की मीटिंग लेते हुए उन्हें आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। मीटिंग के दौरान जिले भर से रिटेलर व डीलर्स ने भागीदारी की।
कृषि उप निदेशक ने कहा कि हर खाद विक्रेता को अपने यहां होने वाले डीएपी के स्टॉक की जानकारी को रोजाना स्टॉक बोर्ड पर प्रदर्शित करना होगा। खाद व बीज भंडारों पर साथ में बीज खरीदने या अन्य सामान खरीदने के साथ डीएपी बेचे जाने की शिकायतें मिल रही है। इसी के चलते विक्रेताओं को इस बात के भी निर्देश दिए गए कि रिटेलर द्वारा डीएपी बेचने पर किसी भी प्रकार की कंडीशन नहीं लगाई जाएगी। किसान अपनी मर्जी से जो खरीदना चाहेगा वो ले सकता है। इसके अलावा एक ग्रुप भी बनाया गया जिसमें सभी खाद विक्रेताओं द्वारा रोजाना प्रात: दस बजे अपने पास होने वाले डीएपी स्टॉक की जानकारी अपडेट करनी होगी। यदि कोई खाद विक्रेता इन आदेशों की अवहेलना करता है तो उसके विरुद्ध फर्टीलाइजर कंट्रोल आर्डर 1985 के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। जिसके चलते उनका लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।
आगामी दिनों में नहीं रहेगी डीएपी किल्लत : डीएपी आवक की जानकारी देते हुए कृषि उपनिदेशक ने बताया कि जिले में डीएपी की पूर्ति के लिए एक हजार बैग बृहस्पतिवार को आ जाएंगे इसके अलावा अगले दो दिनों में दूसरी खेप में किसानों के लिए मुहैया कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि शीघ्र ही डीएपी किल्लत से जिले के किसानों को छुटकारा मिलेगा। उन्हें फसल की बिजाई के लिए डीएपी की कमी नहीं रहेगी।
एसएसपी है डीएपी का बेहतरीन विकल्प : कृषि विभाग के गुण नियंत्रण निरीक्षक डॉक्टर जसबीर सिंह ने बताया कि डीएपी किल्लत का सामने कर रहे किसानों के लिए एसएसपी बैग एक बेहतरीन विकल्प है। इसका डेढ़ बैग अर्थात 75 किलोग्राम एसएसपी प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग में लाया जा सकता है। इसमें सल्फर की मात्रा अतिरिक्त होने के चलते सरसों की फसल के लिए यह अधिक उपयोगी है। इसके प्रयोग से तेल की मात्रा में इजाफा होता है।
एक एकड़ में 25 किलोग्राम डीएपी पर्याप्त : कृषि विभाग उपनिदेशक इंद्र सिंह ने बताया कि क्षेत्र के किसान फसल की बिजाई के समय एक एकड़ में डीएपी का 50 किलोग्राम का पूरा बैग प्रयोग में ला रहे हैं जो कि गलत है। हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की सिफारिश के मुताबिक 25 किलोग्राम डीएपी प्रति एकड़ पर्याप्त रहती है। किसानों द्वारा प्रयोग की जा रही डीएपी की अधिक मात्रा भूमि की उर्वरता को धीरे-धीरे कम करती जाती है। इसलिए किसानों को आधा बैग प्रतिएकड़ प्रयोग में लाए जाने की सलाह दी जाती है।
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