फिल्म अभिनेता व निर्देशक सतीश कौशिक के पैतृक गांव में शोक की लहर

हरिभूमि न्यूज. कनीना/नारनौल : कनीना के छोटे से गांव धनौंदा में जन्मे फिल्म अभिनेता व निर्देशक सतीश कौशिक का निधन बुधवार रात डेढ़ बजे दिल्ली में हो गया। परिजनों के मुताबिक उनकी मौत हार्ट अटैक से हुई है। वह दिल्ली में एक फैमिली प्रोग्राम में शामिल हुए थे, वहां उनकी तबीयत खराब हो गई। परिजनों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया। जहां उपचार के दौरान सतीश कौशिक ने दम तोड़ दिया। उनका अंतिम संस्कार मुंबई में वर्सोवा श्मशाम भूमि में किया जाएगा। उन्होंने दो दिन पहले ही सात मार्च को जावेद अख्तर की जानकी कुटीर, जुहू में आयोजित की गई होली पार्टी में शामिल होने की फोटो भी ट्वीट पर शेयर कर सभी को होली की बधाई दी थी। उधर, सतीश कौशिक के निधन पर गांव में मातम छाया हुआ है।
कनीना। चचेर भाई को सांत्वना देते ग्रामीण। धनौंदा गांव पहुंचे सतीश कौशिक का स्वागत करते राजेंद्र नंबरदार व ग्रामीण। फाइल फोटो
महेंद्रगढ़ जिले के कनीना क्षेत्र में छोटा-सा गांव है धनौंदा। इस गांव में 13 अप्रैल 1956 को सतीश कौशिक का जन्म हुआ था। उन्होंने दिल्ली में रहकर स्कूली पढ़ाई पूरी की। फिर किरोड़ीमल कॉलेज से ग्रेजुएशन की। यहां से वह नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में पहुंचे और एडमिशन लिया। इसके बाद थिएटर में काम करने के बाद 1983 में बॉलीवुड में दस्तक दी। इसी बीच 1985 में उनकी शादी शशि कौशिक से हुई। जब उसका बेटा शानू कौशिक दो साल का था, तभी निधन हो गया था। उस हादसे से निकलने में सतीश कौशिक को बहुत समय निकल गया। साल 1987 में उन्होंने फिल्म मिस्टर इंडिया में काम किया और वहां से उनकी पहचान बनी। 1990 में राम लखन, 1977 में साजन चले ससुराल व दीवाना मस्ताना फिल्म में किरदार निभाया। इन तीन में से दो फिल्म में उनके अभिनय को देखते हुए उन्हें सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता का फिल्म फेयर अवॉर्ड दिया गया। उनके निधन की सूचना पाकर सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि देने की होड़ लगी है। गृह मंत्री अमित शाह से लेकर फिल्मी जगत के सितारें उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे है।
सतीश कौशिक के निधन का समाचार सुनते ही धनौंदा गांव में छाया मातम
फिल्म अभिनेता सतीश कौशिक का निधन अकेले धनौंंदा ही नहीं बल्कि समूचे महेंद्रगढ़ के लिए गहरी क्षति है। गुरुवार को उनके निधन का समाचार सुनकर धनोंदा गांव में मातम पसर गया। ग्रामीण सोशल मीडिया व मोबाइल के माध्यम से उनके निकट संबंधियों से संपर्क साधते रहे। सतीश कौशिक सामान्यतया छुट्टियों में उनका गांव आना बनता था। गांव में आयोजित होने वाले सामाजिक समारोह में शरीक होते थे।उनके आगमन की सूचना मिलने पर ग्रामीण भी खुशी से झूम उठते थे। वर्ष 2010-11 में पूर्व सीपीएस अनीता यादव, डीसी डाॅ. साकेत कुमार के कार्यकाल में उन्होंने धनौंदा में आयोजित सामाजिक समारोह के माध्यम से खेल स्टेडियम की नींव रखी थी। जब भी वे गांव पदार्पण करते थे, तभी ग्रामीण उनसे गांव के प्राचीन धार्मिक स्थल बाबा दयाल मंदिर, ठाकुर जी महाराज मंदिर सहित अनेक विकास कार्य करवाने की मांग करते थे। नतीजतन उनके द्वारा गांव में अनेक विकास कार्य करवाए गए।
हरियाणा फिल्म प्रमोशन बोर्ड के चेयरमैन थे
सतीश कौशिक हरियाणा फिल्म प्रमोशन बोर्ड के चेयरमैन थे, जिन के सानिध्य में प्रदेश के अनेक युवाओं को फिल्म जगत में कैरियर अपनाने का मौका मिल रहा था। गांव के निवासी व उनके पगड़ी बदल यार राजेंद्र नंबरदार ने बताया कि सालभर पूर्व वे गांव में आए थे। उनका रहना-सहना मुंबई में ही था। धनौंदा गांव में रह रहे उनके ताऊ के लड़के सुभाष कौशिक ने बताया कि छह भाई-बहनों में सतीश कौशिक सबसे छोटे थे। सतीश कौशिक के पिता सहित दो भाई थे। बड़े का नाम गोवर्धन व छोटे का नाम बनवारी लाल था। गोवर्धन राजस्थान के गंगानगर में रेलवे में कार्यरत था तथा बनवारी लाल मुनीम था। जो बाद में दिल्ली आ गए थे। उन्होंने हरिसन ताले की एजेंसी ली थी। दिल्ली के करोल बाग में ही सतीश कौशिक का जन्म हुआ था। उनकी बहन सुरस्ती देवी, शकुंतला देवी, सविता देवी, भाई ब्रह्मदत्त कौशिक, अशोक कौशिक व सतीश कौशिक थे। सतीश कौशिक की एक पुत्री है।
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