आंख दिखाने की 'राव' की पॉलिसी को जनभावना से जोड़ राजनीति में 'आरती' का पहला कदम

आंख दिखाने की राव की पॉलिसी को जनभावना से जोड़ राजनीति में आरती का पहला कदम
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26 फरवरी को मायन में आंख दिखाने से पहले सितंबर 2021 में पटौदा में संगठन व पार्टी को चैलेंच दे चुकी हैं आरती राव, राजनीतिक चुनौती से निपटने के लिए एंटी रामपुरा हाउस राजनीति चेहरों का कैरियर चौपट करने की नीति भी यथावत।

मोहन भारद्वाज : रेवाड़ी

जनभावनाओं का सहारा लेकर 'राव इंद्रजीत सिंह' ने अपने चार दशक के कार्यकाल में हमेशा अपने एजेंडे को ही आगे बढ़ाया है। जिसमें क्षेत्र के उभरते दूसरे नेताओं के पर कतरकर स्वयं को मिलने वाली राजनीतिक चुनौती को खत्म करना रामपुरा हाउस की प्राथमिकता रहा है। यही कारण है, कि अहीरवाल की राजनीति हमेशा उनके ईद-गिर्द घूमती रही है।

10 साल तक मनमोहन सरकार मंत्रीमंडल का हिस्सा रहे राव इंद्रजीत सिंह 2014 के चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बनने की हरसत लेकर भाजपा में आने के बाद मोदी मंत्रीमंडल का हिस्सा बने हुए हैं, परंतु मुख्यमंत्री बनने इच्छा अभी भी एक सपना बना हुआ है। जिसकी टिस समय-समय पर उनके शब्दों में झलकती रही है। 2019 के चुनाव में बेटी को विधानसभा चुनाव में उतारने की हसरत टिकट ना मिलने की अधूरी ही रह गई। जिसे क्षेत्र की अस्मिता व भावनाओं से जोड़कर 2024 के चुनाव से पहले आरती राव भी पिता के नक्शे कदम पर निकल पड़ी हैं।

क्षेत्र की भावना से जोड़कर शहीद सम्मान दिवस पर 23 सितंबर 2021 को पटौदा से अपने पिता की आंखों में आंख डालकर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, सांसद धर्मबीर, रमेश कौशिक व डॉ. अरविंद शर्मा सहित प्रदेश सरकार के मंत्री व विधायकों की मौजूदगी में हर हाल में 2024 का चुनाव लड़ने की चुनौती देने के छह माह बाद महेंद्रगढ़ के मायन में शनिवार को अपने दम पर आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में फिर से अपनी पुरानी बात दोहराते हुए आंख दिखाने में कोई संकोच नहीं दिखाया। नांगल चौधरी में आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन के मंच पर पूर्व विधायक बिमला चौधरी व एचएसएस बोर्ड के पूर्व सदस्य डॉ. हंसराज यादव के सिवाय भले ही कोई बड़ा चेहरा नजर नहीं आया हो, परंतु पर्दे के पीछे रामपुरा हाउस से जुड़े छोटे-बड़े ( मंत्री से विधायक ) तक सभी नेताओं की भूमिका पहले से तय थी।

नरबीर के साथ निशाने पर अभय

रामपुरा हाउस के लिए कर्नल रामसिंह के बाद राव नरबीर सिंह बड़ी चुनौती बने हुए थे। 2019 के चुनाव में राव नरबीर सिंह की टिकट कटने का कारण राव इंद्रजीत सिंह को ही माना जा रहा है। नांगल चौधरी से लगातार दो चुनाव जीतने से राजनीति में डॉ. अभय सिंह का कद बढ़ा है। ऐसे में डॉ. अभय अब रामपुरा हाउस का अगला निशाना हो सकते हैं। आरती के पहले कार्यकर्ता सम्मेलन के लिए मायन को चुनने को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।

ऐसे खेला भावानात्मक कार्ड

कार्यकर्ता सम्मेलन में आरती राव ने रेवाड़ी व महेंद्रगढ़ को अपने दादा व पिता की कर्मभूमि बताते हुए 2009 के परिसमन का जिक्र कर पहले लोगों के सामने भावनात्मक कार्ड फेंका। अपने पिता को निजामपुर लॉजिस्टक हैब और रेवाड़ी-महेंद्रगढ़ कॉरिडोर का श्रेय देकर बिना नाम लिए डॉ. अभय सिंह पर निशाना भी साधा।

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