रोहतक जिले में आफत बनी बारिश : 13 गांवों में किसानों के साढ़े पांच करोड़ रुपये डूबे, 4500 एकड़ धान तबाह

अमरजीत एस गिल : रोहतक
यह फोटो लाखनमाजरा क्षेत्र में बारिश से तबाही हुई फसल की है। ऐसी ही तस्वीरें जिले के 13 गांवों में हैं। इनमें खेतों में भरा अथाह जल देखकर कोई भी संवेदनशील व्यक्ति किसानों की हालत को लेकर सोचने लगेगा। पिछले दिनों प्रदेश में जकर बरसात हुई। लेकिन इस बारिश ने रोहतक जिले में धान को पूर्णरूप से नष्ट कर दिया। जब धान ही नहीं बचा तो यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि दूसरे फसलें कैसी होंगी। तेरह गांवों की जो रिपोर्ट हमें मिली हैं, उनके मुताबिक करीब 4500 एकड़ में हाल ही रोपी गई धान की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई है। जिससे किसानों का हाल बेहाल हो गया है। एक एकड़ की रोपाई पर किसान का 10-12 हजार रुपये खर्च आता है। इस हिसाब से देखें तो 4500 एकड़ फसल की रोपाई पर किसानों ने साढ़े चार करोड़ से पांच करोड़ 40 लाख रुपये खर्च किए । अब किसानों को सीधे-सीधे इतना नुकसान हो गया। प्रशासनिक आंकड़ा 4500 एकड़ मेें फसल खराब होने का है। अगर नष्ट हो चुकी फसल की विशेष गिरदावरी करवाई जाए तो खराब हुई फसल का आंकड़ा बढ़ेगा।
किसानों से जुड़े संगठनों का कहना है कि कम से 7-8 हजार एकड़ में धान फसल खराब हुई है। यह फसल पककर तैयार होती तो प्रति एकड़ 18 से 20 क्विंटल का उत्पादन होता। इस धान को किसान अगर 2 हजार रुपये प्रति क्विंटल बेचता तो उसकी जेब में प्रति एकड़ 36-40 हजार रुपये आते। इस हिसाब को सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ही 4500 एकड़ से गुना-भाग करते हैं तो किसानों को जेबाें में आगामी नवम्बर-दिसम्बर 16-18 करोड़ आते। इस पैसे से किसान धान की रोपाई पर लिए कर्ज को उतारता और अगली फसल की बिजाई पर खर्च लेता। अब किसान सदमे में हैं। किसानों की मांग है कि सरकार ने तुरंत खराब हुई धान की विशेष गिरदावरी करवाकर नुकसान की भरपाई करनी चाहिए।
इन गांवों में सबसे ज्यादा नुकसान
फरमाना बादशापुर, भैणी भैरो, खरैंटी, निंदाना, भराण, गुगाहेड़ी, लाखनमाजरा, खरैंटी, खेड़ी साध, चुलियाना, सांपला, मायना, करौंथा और शिमली में फसल खत्म हुई है। गिरावड़ गांव में धान को पानी ने तबाह किया है। इस गांव के किसान गत शुक्रवार को भारतीय किसान यूनियन के कार्यालय शिकायत लेकर पहुंचे थे। किसानों को भाकियू पदाधिकारियों ने आश्वास्त किया था कि सोमवार को इसको लेकर डीसी से मिला जाएगा।
बीते शुक्रवार ने बरपाया कहर
गत 30 जुलाई की शाम को हुई भारी बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेरा है। खासकर लाखनमाजरा क्षेत्र के कई गांवाें में। क्षेत्र मेंइससे पहले भी अच्छी-खासी बरसात हुई थी। धीरे-धीरे पानी निकासी हो रही थी कि इस बीच में फिर बारिश हो गई। चूंकि इस बार करीब तीन-सप्ताह देरी बारिश हुई है। इसलिए धान की रोपाई में देरी हुई। अगर बरसात जून के अंत में हाेती तो किसान समय से फसल की रोपाई कर लेते। जिसके चलते फसल की इतनी बढ़वार हो जाती है कि वह अत्याधिक पानी की मार को सह लेती। लाखनमाजरा लिंक ड्रेन की सही सफाई न होने की वजह से अब यह ओवरफ्लो हो चुकी है। केवल लाखनमाजरा गांव में ही करीब पांच सौ एकड़ फसल में 3 से 4 फीट तक पानी भरा है। किसान बिजेंद्र, जस्सू, प्रदीप, संजू, विक्की का कहना है कि ये समस्या आज की नहीं बल्कि कई सालों से बनी हुई है। ड्रेन की सही समय पर सही ढंग से सफाई ना होने के चलते हर साल जलभराव से फसल बर्बाद हो जाती है। कई बार तो इसके कारण गेहूं की फसल भी नहीं हो पाती, किसानों का कहना है कि अधिकारियों को हर बार बताया जाता है, मगर वे भी आते हैं, दौरा कर चले जाते हैं। किसानों की मांग है कि पानी की तुरंत निकासी के साथ साथ समस्या का स्थाई समाधान किया जाए।
पीड़ित किसानों ने बताया खर्च का हिसाब
एक एकड़ की रोपाई पर 2500 रुपये, रोपाई से पहले की गुडाई 500, जुताई के 4-5 हजार रुपये, पनीरी 1500 रुपये, किसान एक बैग डीएपी 1900 रुपये का खरीद खेत में डालता है। पांच-छह महीने की फसल में जितना किसान को खर्च करना पड़ता उसका 90 प्रतिशत रोपाई के समय ही आता है। इसके बाद सिंचाई करनी होती है और यूरिया खाद ही डालना पड़ता है।
बीमा भी नहीं मिलेगा
धान जलभराव से नष्ट होती है तो किसानाें को बीमा कम्पनी मुआवजा नहीं देती। किसानों की मांग है कि सरकार ने तुरंत खत्म हो चुकी फसल की विशेष गिरदावरी करवाई चाहिए। ताकि उन्हें मुआवजा का महरम लग सके। विशेष गिरदावरी जिला राजस्व विभाग सरकार के निर्देश पर करता है। विशेष गिरदावरी से पहले प्रशासन फौरी गिरदावरी करवाकर उसकी रिपोर्ट सरकार को भेजता है। इसके बाद ही सरकार विशेष गिरदावरी करवाती है।
मुआवजा दे सरकार : सरकार ने तुरंत विशेष गिरदावरी करवाकर प्रति एकड़ 35-40 हजार रुपये मुआवजा देना चाहिए। क्योंकि किसान ही देश का पेट भरता है। अगर वह ही भुखमरी का शिकार हो गया तो फिर बचेगा देश भी नहीं। जिन अधिकारियों ने खेतों का पानी निकालने के लिए ड्रेन सिस्टम को चुस्त-दुरूस्त नहीं करवाया, उनके खिलाफ मुख्यमंत्री ने संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए। आए साल अधिकारी ड्रेनों की सफाई में औपचारिकताएं पूरी करते हैं। चांद कुंडू।
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