सिरसा में पांचों किसान हुए रिहा तो बलदेव सिंह ने तोड़ा आमरण अनशन, किसान बोले- हमारी जीत हुई

हरिभूमि न्यूज. सिरसा
हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर की गाड़ी पर हुए हमले के मामले में देशद्रोह जैसी संगीन धाराओं के तहत गिरफ्तार किए गए पांच किसान वीरवार सायं जमानत मिलने के बाद रिहा होकर किसानों के बीच पहुंचे। पिछले 6 दिनों से एसपी कार्यालय के घेराव को लेकर लघुसचिवालय के बाहर बैठे किसानों ने साथियों की रिहाई पर खुशी जताते हुए इसे अपनी जीत बताया है। साथियों की रिहाई की मांग को लेकर लघुसचिवालय के बाहर आमरण अनशन पर बैठे वृद्ध बलदेव सिंह ने भी आमरण अनशन खत्म करने का फैसला लिया। किसान नेता दलजीत सिंह दलेवाल व कुलवंत सिंह संधू ने जूस पिलाकर बलदेव सिंह का अनशन तुड़वाते हुए कहा कि सरकार की हर तानाशाही व अन्याय पूर्ण कदमों का डटकर विरोध किया जाएगा।
किसानों ने साथियों के धरनास्थल पर पहुंचने पर अपनी जीत के नारे लगाए। किसानों की जमानत मिलने के साथ ही जिला प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है। उल्लेखनीय है कि हरियाणा विधानसभा के डिप्टी स्पीकर रणबीर सिंह गंगवा बीती 11 जुलाई को चौ. देवीलाल विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद जब वापस निकल रहे थे तो वहां प्रदर्शन कर रहे किसानों ने काले झंडे दिखाकर विरोध जताया और उनकी गाड़ी पर पत्थर भी फेंका गया। सिरसा की सिविल लाइन थाना पुलिस ने इस संबंध में किसान नेता प्रह्लाद सिंह भारूखेड़ा सहित 100 लोगों के खिलाफ देशद्रोह जैसी संगीन धाराओं के तहत मामला दर्ज करते हुए पांच लोगों को गिरफ्तार कर लिया।
जिलेभर के किसान शहीद भगत सिंह स्टेडियम में एकत्रित होने के बाद एसपी कार्यालय में पहुंचे और साथियों की रिहाई की मांग की। प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए किसान नेता राकेश टिकैत भी सिरसा पहुंचे और एसपी कार्यालय के घेराव के लिए चल पड़े। किसानों को पुलिस ने एसपी कार्यालय पहुंचने से पहले ही रोक लिया, जिसके बाद किसान वहीं धरने पर बैठ गए। अगले दिन किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा आमरण अनशन पर बैठ गए। इस दौरान स्थानीय किसान नेताओं व जिला प्रशासन के बीच कई दौर की बातचीत हुई, लेकिन बेनतीजा रही।
संघर्ष की जीत हुई
जेल से रिहा होकर पहुंचे युवा किसान साहेब सिंह निवासी खैरपुर ने कहा कि संघर्ष की जीत हुई। वे रिहा हो गए हैं। उन्होंने कहा कि मेरी परीक्षाएं थीं जो जेल मेंं जाने की वजह से बाधित हुई हैं। अब से विश्वविद्यालय प्रशासन से मांग करेंगे कि उनकी परीक्षा दोबारा करवाई जाए। उधर, हरियाणा किसान मंच के प्रदेशाध्यक्ष प्रह्लाद सिंह भारूखेड़ा ने किसानों की रिहाई को संयुक्त मोर्चा की जीत बताते हुए कहा कि जब तक तीनों कृषि कानून रद्द नहीं हो जाते, उनका संघर्ष जारी रहेगा। भारूखेड़ा ने बताया कि प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार किए गए साथियों की रिहाई के लिए जमानत करवाने को कहा था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने 23 जुलाई को होने वाले दो घंटे के सिरसा शहर बंद के फैसले को भी वापस ले लिया है। याद रहे कि किसानों के लघुसचिवालय के बाहर पड़ाव को देखते हुए सिरसा में धारा 144 लगा दी गई थी और अद्र्धसैनिक बल सहित करीबन 23 कंपनियां सिरसा में तैनात की गई, ताकि कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ न सके। उधर, सिरसा के उपायुक्त अनीश यादव ने बताया कि पांच किसानों की जमानत हुई है। उन्होंने कहा कि किसान नेताओं को पहले ही उनकी ओर से स्पष्ट कर दिया था कि वे कानूनी रास्ता अपनाएं। अब कानूनी प्रक्रिया के तहत किसानों को जमानत मिल गई है।
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