11 बरसों से मुफ्त पौधे बांट रहे फ्लावर मैन रामजी, अकेले मिशन शुरू किया आज सैकड़ों लोग जुड़ गए

महाबीर गोदारा : सिरसा
बिहार के गया के पास एक गांव में एक दुबले-पतले शख्स दशरथ मांझी ने हथौड़ा और छेनी लेकर 360 फुट लम्बी, 30 फुट चौड़े व 25 फुट ऊंचे पहाड़ को काट कर सड़क बना डाली। शासकीय-प्रशासकीय सहयोग की परवाह किए बिना पहाड़ काट सड़क बनाने वाले इस शख्स को माऊंटैन मैन की संज्ञा दी गई। इसी तरह की प्रेरक व रोचक कहानी है कि सिरसा के गांव दड़बी के रहने वाले पर्यावरणविद् डा. रामजी जयमल की। वे अब तक हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश में अरबों की संख्या में फूलों के पौधे बांट चुके हैं। 11 बरसों से यह सिलसिला जारी है।
रामजी जयमल स्वयं बीज तैयार करते हैं। अकेले मिशन शुरू किया आज सैकड़ों लोग साथ जुड़ गए हैं। सामाजिक संस्था आपसी के बैनर तले यह सिलसिला 11 बरस से जारी है। 2015 में पौध बांटने का आंकड़ा 1 करोड़ को पार कर गया। पिछले साल उन्होंने 10 करोड़ पौधे बांटे। इस बार हरियाणा, उत्तरप्रदेश व पंजाब के 12 शहरों में 50 जगहों पर पनीरी तैयार की है। उनकी इस संस्था से सीनियर आईएएस अधिकारी सुनील गुलाटी, आईपीएस. भारती अरोड़ा सहित अनेक लोग जुड़े हुए हैं। वे सही मायने में इंडिया के 'फ्लावर मैन' हैं। पर्यावरण की चिंताजनक स्थिति से प्रशासनिक मदद की इंतजार करने की बजाय डा. रामजी ने साल 2009 में दड़बी से मुहिम का आगाज किया। गांव में नीम, बरगद व पीपल के पेड़ लगाए। गांव के मुख्य मार्ग पर, स्वास्थ्य केंद्र परिसर में फूलदार पौधे लगाए। पहले साल उन्होंने हजारों पौधों की पनीरी तैयार कर मुफ्त बांटी। खास बात यह है कि हरियाणा की पांच जेलों को भी इस बार रामजी ने महकाया है।
43 किस्मों की पौध
डा. रामजी ने पर्यावरण प्रेमियों संग मिलकर फूलों की 43 किस्मों की पौध तैयार की है। पौध की संख्या करोड़ों में है। उन्होंने डेलिया, आइस, फ्लोक्स, स्वीट विलियम, कोसमॉस, कैलेनडूला, डेजी, स्टॉक, वॉल फ्लावर, पॉपी, कैलीफ्रोनिया पॉपी, नगरेट, लीफ वॉल फ्लावर, चांदनी जैसी किस्मों को तैयार किया है। 11 बरस से पौध तैयार करने के बाद डा. रामजी अब समतल क्षेत्र में भी ऐसी किस्मों को यहां तैयार करने लगे हैं, जो केवल पहाड़ी क्षेत्रों के अनुकूल मानी जाती हैं।
स्कूल व श्मशान में लगाए फूल
डा. रामजी के बारे में खास बात यह है कि लोगों में पर्यावरण की अलख जगाने के लिए रामजी जयमल ने अनूठा तरीका अपनाया। उन्होंने शिक्षा विभाग से संपर्क कर स्कूलों में पौधे लगावाए। फिर स्वयं शिक्षक पौधे लेने आने लगी। हरियाणा की एक दर्जन से अधिक जेलों को महकाया। इलाके के शमशानघरों की सूरत बदल डाली। उनका जोश, जज्बा व जुनून देख आज भारी संख्या में युवा उनकी मुहिम के साथ जुड़े हुए हैं।
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