प्रदेश में पहली बार महम, पलवल और कैथल चीनी मिलों में बनेगा गुड़-शक्कर

राज कुमार बड़ाला : हांसी
महम, पलवल और कैथल चीनी मिलों के लिए वर्ष 2020-21 का पिराई सत्र ऐतिहासिक होने जा रहा है। क्योंकि इन चीनी मिलों में पहली बार गुड़ व शक्कर बनेगा। प्रदेश के किसी भी चीनी मिल में इस तरह के प्रयास पहले कभी नहीं किए गए। इन तीनों चीनी मिलों में पारंपरिक तरीके से गुड़ तैयार किया जाएगा। यह गुड़ पूरी तरह से कैमिकल फ्री होगा।
जल्द ही इन मिलों के बाहर गुड़ व शक्कर की बिक्री होते हुए दिखाई देगी। क्योंकि चीनी मिल प्रबंधन ने गुड़ व शक्कर बनाने की तैयारियां पूरी कर ली हैं। मिल के फैक्टरी एरिया में जहां पर चीनी तैयार होती है। उसके पास ही गुड़ शक्कर बनाने के लिए महम चीनी मिल में जैग्गरी यूनिट तैयार की गई है। यहां पर गुड़ शक्कर बनाने की रिहर्सल भी पूरी कर ली गई है। इस यूनिट की क्षमता 2 टन उत्पादन प्रतिदिन की है।
महम चीनी मिल के प्रबंध निदेशक जगदीप सिंह ढांडा ने बताया कि उनके पास अब तक जो सूचना है उसके मुताबिक 12 जनवरी को सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल मुख्यालय से जैग्गरी यूनिटों का शुभारंभ करेंगे। महम चीनी मिल यूनिट को चलाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। गुड़ व शक्कर बेचने के लिए महम चीनी मिल के बाहर भी रिटेल शॉप बनाई जाएगी। इस शॉप पर गुड़, शक्कर व चीनी बेची जाएगी। गुड़ ग्राहकों को क्यूब फोर्म में मिलेगा। ताकि ग्राहकों को खाते समय गुड़ तोड़ने में परेशानी न हो। क्यूब वाले गुड़ के पैकेट का वजन एक किलोग्राम होगा।लोगों की मांग को देखते हुए सरकार व मिल प्रबंधन ने महम चीनी मिल में गुड़ व शक्कर बनाने की यह नई शुरुआत की है। अभी तक गुड़ व शक्कर के रेट तय नहीं किए गए हैं। जल्द ही गुड़ व शक्कर के रेट भी तय किए जाएंगे। भिवानी, हिसार, जींद व रोहतक जिलों के ग्राहकों की मांग को ध्यान में रखते हुए महम चीनी मिल में जैग्गरी यूनिट लगाई गई है।
कोल्हू की तरह की यहां भी पौधे से तैयार की गई है सुकलाई
इस यूनिट में उस तरह गुड़ शक्कर तैयार किया जाएगा। जिस तरह खेत में लगाए जाने वाले कोल्हूओं में गुड़ शक्कर तैयार होते थे। यहां पर काेल्हूओं की तरह ही गन्ने का रस डालने व उसके पकाने के लिए कढाई सैट की गई हैं और उबलते रस में घुमाने के पलटे भी रखे गए हैं। गन्ने के रस से तैयार गर्म तरल गुड़ का घोल डालने के लिए चाक बनाए गए हैं। गुड़ शक्कर का पारंपरिक टेस्ट लाने के लिए यहां पर शुकलाई का भी प्रबंध किया गया है। एक खास किस्म का पौधा होता है उस पौधे को कूटकर और पानी में भिगोकर सुकलाई तैयार की जाती है। मिल में भी ऐसा ही किया गया है। कढ़ाई के नीचे पारंपरिक तरीके से ही आग जलाई जाएगी। पहले जहां सूखी खोई इसमें प्रयोग की जाती थी। अब यहां आग जलाने के लिए ईंधन के गुटके मंगवाए गए हैं। उन गुटकों को आग में झोंकने के लिए एक झोंका (कर्मचारी) भी होगा। जिसका काम ईंधन झोंकने का रहेगा।
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