Fatehabad में दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी करने का फर्जीवाड़ा पकड़ा, 80 लोगों को जारी किए गए झूठे प्रमाण पत्र

Fatehabad News : सिविल सर्जन कार्यालय फतेहाबाद में दिव्यांग प्रमाण जारी करने का फर्जीवाडा (Fraud) सामने आया है। इस मामले में डाटा एन्ट्री ऑप्रेटर/क्लर्क द्वारा चिकित्सा अधिकारियों के डिजिटल साइन का दुरूपयोग करते हुए फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र (Fake Disability Certificates) जारी कर दिए गए ।
पुलिस को दी शिकायत में सीएम फ्लाइंग हिसार से इंस्पैक्टर रिछपाल ने कहा है कि उन्हें फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी होने बारे सूचना मिली थी। इस पर जांच की गई तो पता चला कि किसी व्यक्ति का दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाये जाने के लिए डाक्टरों की टीम द्वारा सम्बंधित व्यक्ति का चिकित्सीय परीक्षण करने के बाद एक मूल्यांकन शीट तैयार की जाती है। उस मूल्याकंन शीट के आधार पर दिव्यांग प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।
फर्जीवाड़े का ऐसे हुआ खुलासा
8 जुलाई 2022 को डाटा एंट्री आप्रेटर दीपेश बैनीवाल द्वारा दिव्यांग दविन्द्र सिंह निवासी न्यू फ्रैंडस कालोनी टोहाना का दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाने के लिए उसकी मूल्यांकन शीट पोर्टल पर अपलोड करने लगा तो पाया कि पोर्टल पर दविन्द्र का दिव्यांग प्रमाण पत्र 5 जुलाई को ही सिविल सर्जन फतेहाबाद द्वारा 42 प्रतिशत दिव्यांग दिखाकर जारी किया जा चुका था। डाक्टरों के बोर्ड द्वारा तैयार मूल्याकंन शीट में दविन्द्र सिंह की दिव्यांगता 40 प्रतिशत से कम दर्शाई गई थी जबकि उसके प्रमाण पत्र में दिव्यांगता 42 प्रतिशत प्रदर्शित हो रही थी। इस पर दीपेश ने अपने स्तर पर की जांच की तो पता चला कि 21 जून 2022 से 8 जुलाई 2022 तक सिविल सर्जन कार्यालय फतेहाबाद द्वारा कुल 240 दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी हुए हैं, जिनमें से 39 प्रमाण पत्र बिना मूल्याकंन शीट के अपलोड करके जारी किए गए है। इस पर दीपेश ने तत्कालीन सिविल सर्जन संगीता मेहता अबरोल को अवगत करवाया कि दिव्यांगता पोर्टल बारे जानकारी कम होने के कारण वह पूर्व क्लर्क विक्रम से मदद लेता रहता है और पोर्टल के पासवर्ड उसके व विक्रम दोनों के पास थे। 22 जून को दीपेश ने पोर्टल का पासवर्ड बदला तो पोर्टल लॉक हो गया था। इस पर दीपेश के बताने पर विक्रम ने 23 जून 2022 को पोर्टल का नया पासवर्ड बना दिया। दीपेश ने कहा कि विक्रम ने ही नए पासवर्ड का गलत प्रयोग करके निजी लाभ हेतु फर्जी प्रमाण पत्र बनाए हैं। विक्रम ने 2 जुलाई को स्वयं का भी विकलांगता प्रमाण पत्र बगैर डाक्टरी जांच के ही बना लिया था।
प्रमाण पत्रों में मूल्याकंन से ज्यादा दिखाई दिव्यांगता
शिकायत के अनुसार दविन्द्र सिंह ने मार्च 1998 में 42 प्रतिशत विकलांगता प्रमाण पत्र बनवाया था। शिक्षा विभाग के आदेश पर 15-20 साल पुराने विकलांगता सर्टिफिकेट को पुन: मूल्याकंन करवाने पर दविन्द्र सिंह ने जब डॉक्टरी जांच करवाई तो मूल्याकंन शीट पर डाक्टरों की कमेटी द्वारा 40 प्रतिशत विकलांगता दर्शाई गई। जांच के दौरान मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. गिरीश ने बताया कि दीपेश जुलाई 2022 में हितेश निवासी भोडिय़ाखेड़ा के दिव्यांग सर्टिफिकेट की वेरिफिकेशन के लिए उसके पास आया था जबकि हितेश की दिव्यांगता की जांच उसने नहीं की। 23 फरवरी 2022 को हितेश का दिव्यांगता प्रमाण पत्र 45 प्रतिशत दिव्यांग दिखाकर जारी हुआ था। हितेश वन विभाग में वन रक्षक पद पर भर्ती हो गया और बाद में मानसिक बिमारी बढऩे पर उसने जुलाई 2022 में वन रक्षक से त्यागपत्र दे दिया था। इसी प्रकार रितिका सिंगला निवासी कृष्णपुरा मोहल्ला फतेहाबाद की मूल्याकंन शीट में दिव्यांगता 50 प्रतिशत थी। यह मूल्याकंन शीट भी अपलोड नहीं की गई और रितिका के दिव्यांगता प्रमाण पत्र में दिव्यांगता 100 प्रतिशत दिखाई गई। यह प्रमाण पत्र क्लर्क रवि द्वारा अपलोड करना पाया गया।
922 प्रमाण पत्रों की सत्यता संदिग्ध पाई गई, 80 प्रमाण पत्र झूठे मिले
इस फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद सिविल सर्जन द्वारा विकलांगता प्रमाण पत्रों की सत्यता जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई7 जांच कमेटी ने 1 जनवरी 2018 से 31 जुलाई 2022 तक 3769 प्रमाण पत्रों की जांच की, जिसमें से 922 प्रमाण पत्रों की सत्यता संदिग्ध पाई गई। 922 में से 842 प्रमाण पत्र संदिग्ध श्रेणी में लिए गए जबकि 80 विकलांगता प्रमाण पत्र झूठे पाए गए। इन 80 में से 6 झूठे विकलांग प्रमाण पत्र क्लर्क रवि द्वारा व 74 झूठे प्रमाण पत्र क्लर्क विक्रम द्वारा बनाए गए पाए गए। इन 80 लोगों में से 19 ने जिला समाज कल्याण विभाग से विकलांगता पेंशन का लाभ प्राप्त किया। इनमें से 6 सुखराज अमानी, राजेश कुम्हारिया, सोहन नहला, सतबीर समैण, बबली कौर जमालपुर शेखां व बलवंत भरपूर की पेंशन विभाग द्वारा बंद कर दी गई। पुलिस ने दोनों क्लर्कों विक्रम व रवि के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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