करोडा़ें के घोटाले में भिवानी नगरपरिषद का पूर्व चेयरमैन और ईओ गिरफ्तार, जानें पूरा मामला

हरिभूमि न्यूज : भिवानी
नगरपरिषद के करोड़ों के चेक घोटाले में स्टेट विजिलेंस की टीम ने नगरपरिषद के पूर्व चेयरमैन रणसिंह यादव व कार्यकारी अधिकारी ( Executive Officer ) संजय यादव को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने उक्त दोनों को अदालत में पेश किया, जहां से दोनों को पूर्व चेयरमैन व ईओ को चार दिन के रिमांड पर भेज दिया गया। जिस वक्त पूर्व चेयरमैन व ईओ को अदालत में पेश किया गया, उस वक्त भारी पुलिस बल तैनात रहा। लोगों को अदालत के भवन से दूर रहने की हिदायतें दी गई।
जानकारी के अनुसार नप के पूर्व चेयरमैन रणसिंह यादव को पूछताछ के लिए इकनोमिक सेल में बुलाया गया। वहां पर स्टेट विजिलेंस की टीम ने पूछताछ शुरू की। पूछताछ के बाद टीम ने पूर्व चेयरमैन रणसिंह यादव व ईओ संजय यादव को अदालत में पेश किया। जहां से दोनों को चार-चार दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया। यहां यह बताते चले कि उक्त मामले की जांच पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा कर रही थी। सोमवार को ही सीएम ने नप मामले की जांच का जिम्मा स्टेट विजिलेंस को सौंप दिया और पांच सदस्यीय टीम का गठन किया। टीम ने इस मामले में शामिल पूर्व चेयरमैन रणसिंह यादव व ईओ को गिरफ्तार किया।
कृषि मंत्री ने सीएम से की थी जांच करवाने की मांग
एक दिन पहले ही प्रदेश के कृषि एवं पशुपालन मंत्री जेपी दलाल ने कहा था कि भिवानी नगर परिषद में बहुचर्चित करोड़ों रूपए के गबन और घोटाले के मामले की स्टेट विजिलेंस से जांच करवाई जाएगी, जिसके लिए उन्होंने स्वयं मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मिलकर जांच की मांग की थी। मुख्यमंत्री ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने कहा था कि गबन करने वाले चाहे कितने ही बड़े व्यक्ति क्यों न हों, किसी को भी बख्सा नहीं जाएगा।
सोशल मीडिया पर छाया रहा मामला
नगर परिषद के चर्चित चेक घोटाले मामले में आखिरकार मंगलवार को स्टेट विजिलेंस की टीम ने नगर परिषद के पूर्व चेयरमैन रणसिंह यादव व तत्कालीन कार्यकारी अधिकारी संयज यादव को गिरफ्तार कर चार दिन पूछताछ के लिए हासिल किया है। मंगलवार सुबह से ही सोशल मीडिया से लेकर शहर के बाजारों में हर किसी की जुबां पर नप चेयरमैन की गिरफ्तारी का मुद्दा छाया रहा। कभी गिरफ्तारी का मैसेज वायलर हुआ तो कभी यह कहा गया कि अभी तक नगर परिषद के चेयरमैन को गिरफ्तार नहीं किया गया है तथा उनसे सिर्फ पूछताछ के लिए बुलाया गया है। दोपहर बाद जब नगर परिषद के चेयरमैन व कार्यकारी अधिकारी को जब कोर्ट में पेश किया गया तो उससे पहले पूरे कोर्ट परिसर को पुलिस कर्मचारियों द्वारा खाली करवाया गया तथा उसके बाद उन्हें पेश किया गया।
स्टेट विजिलेंस को सौंपी गई थी जांच
उल्लेखीनय है कि भिवानी नगर परिषद का चेक घोटाला की जांच अब स्टेट विजिलेंस को सौंप दी गई है। इससे पहले इकनोमिक सेल जांच कर रही थी लेकिन इकनोमिक सेल की जांच धीमी होने व मुख्य आरोपितों तक न पहुंच पाने पर जांच स्टेट विजिलेंस को सौंपी गई। भिवानी नगर परिषद के चेक घोटाले में सीआइए-1 पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी । स्टेट विजिलेंस टीम व सीआइए-1 टीम ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करते हुए नप के निवर्तमान नप चेयरमैन रणसिंह यादव व तत्कालीन कार्यकारी अधिकारी संजय यादव को गिरफ्तार किया हैं। शहर में चर्चा का विषय तो यह भी बना रहा कि स्टेट विजिलेंस ने मंगलवार अल सुबह भी ताबड़तोड़ छापेमारी कर पूछताछ के लिए चार अन्य पार्षदों को भी हिरासत में लिया हैं लेकिन समाचार लिखे जाने तक उक्त सूचना की पुष्टी नहीं हो पाई।
शहर की छोटी सरकार में मचा हड़कंप
नगर परिषद के पूर्व चेयरमैन तथा कार्यकारी अधिकारी की गिरफ्तारी की सूचना के बाद निर्वतमान छोटी सरकार में भी हड़कंप मच गया है। प्रत्येक पूर्व पार्षद हर किसी के पास फोन घूमाकर यह पता करने में लगा रहा कि मामले में क्या कार्रवाई चल रही है। शहर की छोटी सरकार के बीच तकरार अक्सर हाउस मीटिंग में देखने को मिलती थी। कोई पार्षद जहां अपने वार्ड के विकास कायार्ें से असंतुष्ठ नजर आते थे तो कुछ चेयरमैन का पक्ष में नजर आते थे। ऐसे में अब जब चेयरमैन तथा कार्यकारी अधिकारी की गिरफ्तारी हो चुकी है तो छोटी सरकार यानि शहर के पूर्व पार्षदों में मचा हडकंप साफ नजर आ रहा है।
अब आगे क्या
स्टेट विजिलेंस की टीम ने नप के चेयरमैन तथा कार्यकारी की गिरफ्तारी तथा कोर्ट में पेशी के बाद चार दिन के पुलिस रिमांड पर हासिल किया है। टीम के सदस्य अब सारे मामले को लेकर सख्ती के साथ पूछताछ करेंगे तथा इस पूछताछ के दौरान चेयरमैन तथा कार्यकारी अधिकारी जिन जिन के नाम बताएंगे उन्हें भी पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है। ऐसे में अब जिन भी कर्मचारियों ने कोई गड़बड़ की होगी या उनका भी नपना लगभग तय है।
15 अप्रैल 2017 को बने थे चेयरमैन
नगर परिषद के निवर्तमान चेयरमैन रण सिंह यादव ने 15 अप्रैल 2017 को नगर परिषद के चेयरमैन की कुर्सी पर बैठे थे तथा इन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल भी पूरा किया था। अब स्टेट विजिलेंस की टीम द्वारा पूरे पांच सालों में जो जो विकास कार्य चेयरमैन के कार्यकाल के दौरान करवाए गए थे उन सभी का ब्यौरा भी मांगा जा सकता है। क्योंकि इन्हीं पांच सालों के दौरान नगर परिषद में विकास कार्यों के लिए सरकार की तरफ से करोड़ों रुपये की ग्रांट भेजी गई थी तथा इन ग्रांट का कहां कहां प्रयोग किया गया है यह जांच का विषय रहेगा।
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