पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा बोले- प्रदेश में कानून-व्यवस्था का निकला दिवाला, आज न आम आदमी सुरक्षित और न ही विधायक

पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि बीजेपी-जेजेपी सरकार के दौरान हरियाणा में कानून व्यवस्था का दिवाला निकल चुका है। इस सरकार ने प्रदेश को अपराधियों के लिए शरणस्थली बना दिया है। हालात ऐसे हो गए हैं कि आज ना आम आदमी सुरक्षित है और ना ही विधायक। प्रदेश के 6 विधायकों को अब तक जान से मारने की धमकी मिल चुकी है लेकिन पुलिस के हाथ अब भी खाली हैं। प्रदेश में असुरक्षित माहौल होने की वजह से उद्योगपति यहां निवेश करने से कतरा रहे हैं। इसलिए उद्योग और परियोजनाएं हरियाणा से लगातार दूसरे राज्यों में पलायन कर रहे हैं। इसका खामियाजा प्रदेश के युवाओं को सर्वाधिक बेरोजगारी के तौर पर भुगतना पड़ रहा है।
हुड्डा ने पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने याद दिलाया कि 2005 में उनकी सरकार आने से पहले भी प्रदेश में कानून व्यवस्था का ऐसा ही हाल था। लेकिन उनकी सरकार ने प्रदेश से अपराध और अपराधियों का सफाया किया। कानून व्यवस्था बेहतर होने के चलते प्रदेश में जमकर निवेश हुआ और हरियाणा विकास के मामले में नंबर वन बना। उस वक्त जापान का 70% निवेश अकेले गुड़गांव में हुआ था। लेकिन बीजेपी और बीजेपी-जेजेपी सरकार के दौरान हालात बिल्कुल विपरीत हो चुके हैं। ऐसा लग रहा है मानो प्रदेश में सरकार नाम की चीज नहीं है। क्योंकि अपनी जिम्मेदारियों को दरकिनार कर सरकार सिर्फ घोटालों को अंजाम देने में लगी है। रजिस्ट्री, शराब, धान खरीद, भर्ती, फार्मेसी और अमृत योजना जैसे घोटाले रोज उजागर हो रहे हैं। हरियाणा में गठबंधन की नहीं बल्कि घोटालों की सरकार चल रही है। जांच के नाम पर खानापूर्ति के लिए कमेटी तो बना दी जाती है लेकिन उसकी रिपोर्ट कभी सामने नहीं आती। हुड्डा ने कहा कि अगर सरकार पाक साफ है तो वह इन घोटालों की सीबीआई जांच से क्यों भाग रही है।
चंडीगढ़ को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रदेश सरकार को राजधानी पर क्लेम कमजोर नहीं करना चाहिए। 60-40 के अनुपात में हरियाणा का चंडीगढ़ पर पूर्ण अधिकार है। अगर इसी अनुपात में हरियाणा को अलग राजधानी बनाने के लिए मुआवजा मिले तो वह लाखों करोड़ों रुपए बनता है। अगर इसी अनुपात में हरियाणा को मुआवजा और हिंदी भाषी क्षेत्र मिलते हैं तो हरियाणा अपनी अलग राजधानी बनाने के लिए तैयार है। लेकिन मौजूदा सरकार लगातार प्रदेश के अधिकारों पर कुठाराघात करने में लगी है। अपनी ही राजधानी में विधानसभा की जमीन के लिए केंद्र सरकार ने 10 एकड़ जमीन की 500 करोड रुपये की कीमत लगाई है। इससे स्पष्ट है कि सरकार चंडीगढ़ पर हरियाणा के अधिकार को कमजोर कर रही है।
इसी तरह एसवाईएल पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने और प्रदेश से लेकर केंद्र तक में भाजपा की सरकार होने के बावजूद इस फैसले को लागू नहीं करवाया जा रहा। भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में भी परंपरागत तौर पर हरियाणा की सदस्यता(सिंचाई) को खत्म कर दिया गया और प्रदेश सरकार चुप्पी साधे बैठी रही। इसीलिए बोर्ड की तरफ से प्रदेश को मिलने वाले पानी और नौकरियों में लगातार कटौती हो रही है।
हिसार के खेदड़ में आंदोलनरत किसान की मौत पर नेता प्रतिपक्ष ने शोक प्रकट किया। उन्होंने कहा कि सरकार की हठधर्मिता के चलते किसान को जान गंवानी पड़ी। सरकार को समझना होगा कि हठ और लठ के दम पर सरकार नहीं चल सकती। इसके लिए लोगों का दिल जीतना पड़ता है। उन्होंने मांग की कि सरकार किसानों पर दर्ज सभी केस रद्द करे, मृतक किसान के परिवार को मुआवजा और नौकरी दे।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS