महंगाई पर पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा ने उठाए सवाल, बोले - पेट्रोल-डीजल के रेट के साथ 35 और 80 का पहाड़ा पढ़ रही सरकार

चंडीगढ़। पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा ने पेट्रोल-डीजल के लगातार बढ़ते रेट, बिजली की महंगी दरों, खाद के रेट में बढ़ोतरी, रिकॉर्ड बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के मुद्दों को लेकर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं। हुड्डा चंडीगढ़ आवास पर पत्रकारों सम्मेलन के दौरान पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने सबसे पहले चंडीगढ़ को लेकर छिड़े विवाद पर कहा कि पंजाब-हरियाणा के बीच राजधानी, हिंदी भाषी क्षेत्र और एसवाईएल के पानी को लेकर विवाद है। हमारी प्राथमिकता है कि सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक हरियाणा को एसवाईएल का पानी मिले, बाकी मुद्दे उसके बाद आते हैं इसलिए कांग्रेस ने सरकार में रहते हुए और विधानसभा के विशेष सत्र में हरियाणा का पक्ष मजबूती से रखा।
भूपेंद्र हुड्डा ने प्रदेश के सामने खड़ी अन्य चुनौतियों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल के रेट में कभी 35 पैसे तो कभी 80 पैसे की बढ़ोत्तरी की जा रही है। ऐसा लग रहा है मानो सरकार तेल के रेट के साथ 35 और 80 का पहाड़ा पढ़ रही है। हरियाणा में कांग्रेस सरकार के दौरान पड़ोसी राज्यों से सस्ता पेट्रोल-डीजल मिलता था। बॉर्डर पर स्थित हर पेट्रोल पंप पर सबसे सस्ते तेल के बोर्ड लगे होते थे। लेकिन, अब इसके उलट वैट की दरें ज्यादा होने की वजह से हरियाणा में पड़ोसी राज्यों के मुकाबले महंगा तेल मिलता है, इसलिए हरियाणा के लोगों को पड़ोसी राज्यों के मुकाबले ज्यादा महंगा तेल खरीदना पड़ता है। इतना ही नहीं, सरकार ने डीएपी खाद के रेट को 1200 से बढ़ाकर 1350 रुपये कर दिया है। इसके अलावा बिजली की दरों में बढ़ोतरी करके हरियाणा सरकार ने प्रदेश की जनता पर एक और चोट मारने का काम किया है। सरकार प्रदेश में स्थित पावर प्लांट के उत्पादन को कम कर रही है और बाहर से महंगी बिजली खरीद कर जनता पर महंगाई का बोझ डाल रही है। इसलिए भवष्यि में कांग्रेस सरकार बनने पर जनता को महँगी बिजली से राहत देने के लिए गरीब परिवारों को मुफ्त बिजली और मध्यम वर्ग को किफायती रेट पर बिजली मुहैया करवाई जाएगी।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि गठबंधन सरकार के रवैये की वजह से प्रदेश में भ्रष्टाचार बेकाबू हो चुका है। खनन, शराब, रजिस्ट्री और भर्ती जैसे अनगिनत घोटालों को अंजाम दिया जा रहा है। लेकिन, सरकार सीबीआई जांच से भाग रही है। अगर सरकार पाक-साफ है तो वह उच्च स्तरीय जांच का सामना क्यों नहीं कर रही? आखिर सरकार किसे बचाना चाहती है? हुड्डा ने कहा कि किसान, मजदूर, गरीब, व्यापारी और कर्मचारी समेत हर वर्ग सरकार से नाराज है। रक्ति पदों को भरने के बजाय सरकार लगातार कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का काम कर रही है। कोरोना काल के दौरान अपनी जान पर खेलकर लोगों की जान बचाने वाले 2200 स्वास्थ्य कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है। प्रोत्साहन और दोगुनी सैलरी देने की बजाय सरकार ने इन कच्चे कर्मचारियों की रोजी-रोटी छीनने का काम किया है।
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