पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह के बगावती तेवर : बाजरे को भावांतर योजना में शामिल करने पर अपनी ही सरकार पर उठाए सवाल

पूर्व मंत्री बीरेंद्र सिंह के बगावती तेवर : बाजरे को भावांतर योजना में शामिल करने पर अपनी ही सरकार पर उठाए सवाल
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बीरेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार विशेष गिरदावरी करवाकर किसानों को मुआवजा दे। कई क्षेत्रों में कपास की फसल शत-प्रतिशत खराब हो चुकी है। इसके अलावा धान की फसल भी खराब हुई है। परंतु बीमा कंपनियां बहाने बनाकर किसानों को मुआवजा देने से मना करती हैं।

हरिभूमि न्यूज. उचाना ( जींद )

ऐलनाबाद उप चुनाव को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा कि किसान और खेती इस उपचुनाव में प्रभावी मुद्दा है। इस चुनाव के परिणाम हरियाणा की आने वाली राजनीति क्या होगी उसको तय करेंगे। आज प्रदेश में किसान आंदोलन एक बड़ा मुद‍्दा है। वे राजीव गांधी महाविद्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। बीरेंद्र सिंह ने कहा कि इस बार कपास की फसल में काफी नुकसान गुलाबी सुंडी से हुआ है। जिन किसानों ने फसल बीमा करवाया है, उनको मुआवजा देने में कोई किंतु-परंतु नहीं होनी चाहिए। बीमा कंपनियां कभी फार्म पूरा नहीं है, कभी कुछ कह कर रही हैं। वो इस प्रकार के बहाने बनाकर किसानों को मुआवजा देने से मना करती हैं। इन सभी किंतु-परंतु को हटाकर तुरंत किसानों को मुआवजा देना चाहिए।

बीरेंद्र सिंह ने कहा कि विशेष गिरदावरी करवाकर किसानों को मुआवजा सरकार दे। उचाना ही नहीं बल्कि कई क्षेत्रों में कपास की फसल शत-प्रतिशत खराब हो चुकी है। इसके अलावा धान की फसल भी खराब हुई है। उन्होंने कहा कि कई सालों में पहली बार ऐसा हुआ है जब मानसून काफी लेट तक है। मानसून लेट होने के चलते इस बार पीआर धान में नमी है। किसान पीआर धान में खुद पानी डालकर तो नहीं लाता है। ऐसे में जो पीआर धान की नमी प्रतिशत तय की गई है उसको बढ़ाया जाए ताकि किसान अपनी फसल मंडी में आते ही बेच सकें। फसल में इस बार नमी अधिक होने का कारण मानसून देरी तक होना भी है।

बाजरे को भावांतर योजना में शामिल करने पर उठाए सवाल

प्रदेश सरकार द्वारा बाजरे को भावांतर योजना में शामिल करने पर पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने सवाल उठाते हुए कहा कि इस योजना का साधारण किसान को बड़ा लाभ होने वाला नहीं है। इससे किसान की बजाए व्यापारी को लाभ होगा। आज किसान का बाजरा 1400 रुपए प्रति क्विंटल के आस-पास बिक रहा है। 600 रुपये प्रति क्विंटल सरकार द्वारा किसान को देने के बाद भी जो एमएसपी बाजरे का निर्धारित किया है उतना किसान को नहीं मिल रहा है।

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