पूर्व मंत्री सैलजा का बजट पर हमला, बोलीं- लोगों को निराश कर गया आम बजट

चंडीगढ़ : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा है कि केंद्रीय बजट में देश के आम आदमी के लिए कोई भी प्रावधान नहीं किए गए। महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की आमदनी बढ़ाने का कोई जिक्र तक नहीं किया गया। देश के आम आदमी को कोई भी खुशखबरी देने की बजाए केंद्रीय वित्त मंत्री ने रेलवे को निजी हाथों में सौंपने की सरकार की तैयारी का ऐलान जरूर कर दिया।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि 9 साल तक नौकरी पेशा लोगों की सुध न लेने वाली मोदी सरकार को अपने शासन के आखिरी साल में उनकी आधी अधूरी याद आई। इनके लिए कम से कम 10 लाख रुपये तक की आमदनी को टैक्स फ्री किया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा न करके इनकी पीड़ा को बरकरार रखा गया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने बजट में हरियाणा प्रदेश की अनदेखी पर दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि इस बजट से हरियाणा प्रदेश की जनता की उम्मीदों पर भी पानी फिर गया है। बजट में हरियाणा प्रदेश की जमकर अनदेखी की गई है। इसके लिए केंद्र सरकार के साथ-साथ हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार भी जिम्मेदार है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि किसान की आमदनी दोगुनी करने का वादा कर 2014 से सत्ता में बैठी मोदी सरकार ने अपने बजट में भी उनके लिए किसी तरह का प्रावधान नहीं किया। न तो स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने के लिए बजट में कोई राशि तय की और न ही फसल के दामों में बढ़ोतरी को लेकर किसी तरह का वित्तीय प्रावधान किया।
कुमारी सैलजा ने कहा कि महंगाई पर केंद्रीय वित्त मंत्री की चुप्पी से साबित हो गया है कि देश का वित्तीय प्रबंधन करने में केंद्र सरकार बुरी तरह से असफल रही है। रोजमर्रा के सामान की आसमान छू रही कीमतों से जनता को राहत देने के लिए किसी तरह का प्रावधान बजट में कहीं पर नजर नहीं आया। लगातार बढ़ रही बेरोजगारी को लेकर भी सरकार कोई रोड मैप पेश नहीं कर सकी।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस बजट में आम आदमी के लिए सिर्फ आंकड़ों की बाजीगिरी ही है। जो भी दिया गया है, वह अपने पूंजीपति मित्रों के लिए इंतजाम किया गया है। जनता तो पहले से ही जानती थी कि जिस सरकार ने 9 साल में उसे कुछ नहीं दिया, वह अब भी उन्हें कुछ देने वाली नहीं है। कितना अच्छा होता, वित्त मंत्री मनरेगा के मेहनतकश मजदूरों के बारे में बात करती। सीमा पर देश की रक्षा करने वाले जवानों के बारे में कुछ सोचतीं या फिर देश का पेट भरने वाले किसान के बारे में कुछ कहती।
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