बड़ी रैली करेंगे पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह, बोले- राजनीति से नहीं चुनावी राजनीति से लिया है संन्यास

उचाना ( जींद )
पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा कि उन्होंने राजनीति से नहीं बल्कि चुनावी राजनीति से संन्यास लिया है। भविष्य में वो मार्गदर्शक के रूप में राजनीति में सक्रिय रहेंगे। किसानों का जब आंदोलन चल रहा था तो स्पष्ट रूप से कहा था कि सरकार किसानों की मांगें माने। रास्ता हमेशा बातचीत से निकलता है। सरकार ने किसानों की मांग को मानते हुए तीनों कृषि कानून रद्द किए। किसान, मजदूर के हितों के लिए पहले भी संघर्ष करते रहे हैं भविष्य में भी वो संघर्ष करते रहेंगे। किसान, गरीब के हकों की लड़ाई किसी से लड़नी पड़े वो पीछे नहीं हटेंगे। पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह शनिवार को उचाना में राजीव गांधी महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। सर्व समाज, युवाओं द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया था।
जब भाजपा में शामिल हुए थे उससे बड़ी रैली करेंगे
पूर्व केंद्रीय मंंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा कि वे कांग्रेस छोड़कर जब भाजपा में शामिल हुए थे उस समय लाखों लोगों की भीड़ जुटाकर रैली की थी। अगली साल 26 जनवरी को बड़ी रैली करेंगे। यह रैली भाजपा में जब वो शामिल हुए थे उससे बढ़ी रैली होगी। 25 मार्च को उनके जन्मदिन पर उचाना में सम्मेलन करेंगे। इसमें उनके हरियाणा के राजनीति जो साथी रहे उनको बुलाएंगे। उन्होंने कहा कि राजनीति फैसले कभी दिल से नहीं दिमाग से लिए जाते हैं। जो भी राजनीति फैसला होगा वो मेरे पर छोड़ दो। जो भी फैसले करूंगा वो खुद हित के लिए नहीं आप लोगों के हित के लिए करूंगा। जब मैं कांग्रेस में था जब भ्रष्टाचार की बात आती थी तो जब कहने से पीछे नहीं हटा, लोगों के हितों की बात होती थी तो वो कहने से पीछे नहीं हटे थे। किसान की बात वो हमेशा करेंगे अगर किसान की बात करना पाप है तो बेशक उन्हें पार्टी से निकाल दे वो किसान, मजदूरों के हितों की बात कहने से पीछे नहीं हटेंगे।
किसानों के मन में था जमीन जाने का डर
किसान आंदोलन पर बीरेंद्र सिंह ने कहा कि किसानों को एमएसपी खत्म होने का डर नहीं था उन्हें तीनों कृषि कानूनाें के कारण अपनी जमीन जाने का डर था। इसी डर के चलते वो धरनों पर बैठे रहे और कामयाब हो गए। शिक्षा से ही क्षेत्र मजबूत होता है। हमारे क्षेत्र में शिक्षा का अभाव रहा है। यहां पर उच्च शिक्षा होनी चाहिए। हरियाणा में आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य की कमी है। विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्र में कोई बीमार हो जाए तो दवा नहीं, पढ़ाई जो होनी चाहिए वो नहीं है। जहां बच्चे पढ़ने वाले होते है वहां अध्यापक नहीं, जहां अध्यापक है वहां बच्चे नहीं। जहां दोनों है वहां किताबें नहीं। ये जो कमी है उनको दूर करना होगा। अपने जीवन में हमेशा साफ छवि, ईमानदारी की राजनीति की है।
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