साल के अंत तक नहीं लगा नींव का पत्थर, हरियाणा के रेवाड़ी में बढ़ रहा AIIMS के शिलान्यास का इंतजार

नरेन्द्र वत्स : रेवाड़ी
हरियाणा के रेवाड़ी जिले के माजरा में प्रस्तावित एम्स के शिलान्यास में पूरा साल बीत गया, परंतु इंतजार खत्म नहीं हुआ। बार-बार शिलान्यास कराने के लिए केंद्रीय मंत्री से लेकर सीएम तक की ओर से पीएम मोदी से समय लिए जाने के दावे किया जा रहे हैं। पीएमओ की ओर से अभी तक एम्स के जल्द शिलान्यास संबंधी संकेत नहीं गए हैं। एम्स संघर्ष समिति एक बार फिर एक्टिव होते हुए नए साल में शिलान्यास की जंग छेड़ने की तैयारी कर रही है।
सीएम की वर्ष 2015 में मनेठी में एम्स खोलने की घोषणा के बाद केंद्र सरकार की इस परियोजना को अमलीजामा पहनाए जाने की राह आसान नहीं है। सीएम की घोषणा के बाद एम्स को लेकर क्षेत्र के लोगों ने बड़े-उतार चढ़ाव देखे हैं। जब मनेठी एम्स की संभावनाओं पर पानी फिरता नजर आया तो एम्स संघर्ष समिति का उदय हुआ। इस समिति के 127 दिन के आंदोलन के बाद एम्स खोलने की योजना को पंख लगने शुरू हुए थे। यह सारा साल एम्स के शिलान्यास तक बात पहुंचने में बीत गया। मनेठी में एम्स की संभावनाओं को केंद्र सरकार की वन एवं पर्यावरण सलाहकार समिति ने वहां की जमीन को अरावली वन क्षेत्र की जमीन बताते हुए खरिज कर दिया था। इसके बाद माजरा की ग्राम पंचायत व किसान जमीन देने को तैयार हुए, तो मुआवजे को लेकर मामला अटक गया था।
जब किसान सरकार की ओर से दी जाने वाली मुआवजा राशि को कम बताते हुए जमीन नहीं देने की जिद पर अड़े हुए थे, तो केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और प्रदेश के कैबिनेट मिनिस्टर डा. बनवारीलाल ने किसानों और सरकार के बीच कड़ी कार्य करते हुए किसानों को जमीन देने के लिए तैयार कर लिया था। किसानों ने अपनी जमीनें सरकार के पोर्टल पर अपलोड कर दी थी। इसके बाद जमीन की रजिस्ट्रियां सरकार के नाम कराने में ही में काफी समय बीत गया। जमीन की रजिस्ट्रियां शुरू कराने के लिए बार-बार पेंच फंसते गए, जिन्हें निकालने के लिए एम्स निर्माण के लिए गठित समिति को खूब पसीना बहाना पड़ा। आखिरकार आधा साल बीत जाने के बार यह कार्य शुरू हो सका था।
केंद्र ले चुका एम्स की जमीन का कब्जा
लगभग 198 एकड़ जमीन प्रदेश सरकार के चिकित्सा शिक्षा निदेशक के नाम होने के बाद इस जमीन को केंद्र सरकार के सुपुर्द कर दिया गया था। केंद्र सरकार परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण विभाग की टीम ने अक्टूबर माह में जमीन का औपचारिक रूप से कब्जा ले लिया था। जमीन पर केंद्र सरकार का कब्जा होने के बाद एम्स का जल्द शिलान्यास होने का रास्ता साफ हो चुका है, परंतु शिलान्यास को मूर्त रूप अभी तक नहीं मिला है।
पीएम मोदी से समय लिए जाने के दावे
एम्स का शिलान्यास जल्द कराने के लिए केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह पीएमओ से लगातार संपर्क बनाए रखने का दावा कर रहे हैं, तो दूसरी ओर सीएम मनोहरलाल की ओर से भी इसी तरह के दावे किए जा चुके हैं। पहले गुजरात और हिमाचल चुनावों में पीएम की व्यस्तता की बात कही जा रही थी। दोनों राज्यों में चुनाव होने के बाद भी शिलान्यास की कोई चर्चा नहीं चल रही है। इस साल से अब नए साल पर बात पहुंच चुकी है।
समिति का संघर्ष खड़े करता रहा कान
एम्स निर्माण की मांग को सरकार तक प्रमुखता से पहुंचाने के लिए गठित की गई एम्स संघर्ष समिति जब भी आंदोलन की चेतावनी देती है, एम्स की दिशा में कदम आगे बढ़ जाता है। समिति की ओर से नवंबर में शिलान्यास नहीं होने पर फिर से आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी थी, लेकिन नेताओं ने पीएम की व्यस्तता बताते हुए इंतजार बढ़ा दिया था। प्रधान श्योताज सिंह के अनुसार एम्स संघर्ष समिति ने नए साल में एक बार फिर बैठक का आयोजन करने के बाद एम्स का शिलान्यास कराने के लिए आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने का निर्णय लिया है।
निर्माण समिति उलझी रजिस्ट्रियों में
एम्स के लिए प्रस्तावित 210 एकड़ की जमीन में से अभी तक लगभग 10 एकड़ जमीन सरकार के नाम होना शेष है। यह जमीन छोटे-छोटे टुकड़ों में है। इनमें नाबालिग और एनआरआई की जमीनें शामिल हैं। इन जमीन के टुकड़ों को नाम कराने के लिए एम्स निर्माण समिति अभी भी पूरा जोर लगा रही है। समिति के प्रधान जगदीश यादव ने बताया कि सोमवार को भी कुछ हिस्सों की रजिस्ट्रियां कराई गई हैं।
जल्द शिलान्यास के प्रयास जारी
एम्स का जल्द शिलान्यास कराने के लिए सीएम मनोहलाल और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह पीएमओ से संपर्क साध चुके हैं। सरकार जल्द शिलान्यास कराने के लिए पूरा प्रयास कर रही है। शिलान्यास के साथ ही निर्माणकार्य शुरू करा दिया जाएगा। - डा. बनवारीलाल, कैबिनेट मिनिस्टर।
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