Sonipat : चीनी मिल में लाखों रुपये के गोलमाल का मामला हुआ उजागर, पढ़ें- पूरा मामला

Sonipat : चीनी मिल में लाखों रुपये के गोलमाल का मामला हुआ उजागर, पढ़ें- पूरा मामला
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  • पेराई सत्र 2022-23 के दौरान मिल के खाते से कंपनी के खाते में ट्रांसफर की गई पेमेंट
  • चीनी मिल में तैनात कर्मचारियों के खाते में वेतन दूसरी कंपनी से डालने का आरोप
  • चीनी मिल के चेयरमैन तक को नहीं दी 70 लाख रुपये कंपनी के खाते में डालने की जानकारी

Sonipat News : दी सहकारिता चीनी मिल में चीफ इंजीनियर के हस्ताक्षरों को दुरूपयोग करने के आरोप का मामला अभी शांत नहीं हुआ है। वहीं वर्ष 2022-23 पेराई सत्र के दौरान चीनी मिल प्रबंधन की तरफ से निजी कंपनी के खाते में 70 लाख रुपये के गोलमाल करने का मामला सामने आया है। कंपनी के खाते में लाखों रुपये की पेमेंट जारी करने के लिए जिला उपायुक्त व चीनी मिल चैयरमैन तक को मिल प्रबंधन द्वारा नहीं दी गई। मामला संज्ञान में आने के बाद चैयरमैन ने जांच करवाने की बात कही है। वहीं पेराई सत्र के दौरान कर्मचारियों के खाते में दूसरी कंपनी से वेतन जारी करने का भी खुलासा हुआ है। इस संबंध में गुप्तचर विभाग ने संज्ञान लेते हुए मिल प्रबंधन से कुछ रिकार्ड देने के लिए पत्राचार भी किया है।

बता दें कि दी सहकारिता चीनी मिल में पक्के कर्मचारियों की कमी होने के चलते मिल प्रबंधन की तरफ से पेराई सत्र के दौरान कारखाने को चलाने सहित अन्य कई कार्यो का टेंडर जारी किया जाता है। हर साल टेंडर प्रक्रिया को प्रबंधन की तरफ से अमल में लाया जाता है। मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2022-23 के पेराई सत्र के दौरान मिल प्रबंधन की तरफ से टेंडर प्रक्रिया के लिए विज्ञापन जारी किया गया। जिसमें कागजी कार्यवाही पूरी होने के बाद आईसीसीपीएल कंपनी को दिया गया था। उक्त टेंडर की कीमत 5 करोड़ रुपये की थी। कंपनी की तरफ से 10 अगस्त 2022 को टेंडर लिया गया। जिसके बाद कंपनी कारखाने में अपना काम करने लगी। जानकारी मिली कि मिल प्रबंधन की तरफ से 70 लाख रुपये की नकदी दिनांक 2 फरवरी 2022 को एसके पावर ग्रुप पानीपत को जारी कर दी गई। जबकि कंपनी का टेंडर दूसरी कंपनी के नाम से मिल प्रबंधन द्वारा दिया गया है। लाखों रुपये की नकदी ट्रांसफर होने की जानकारी चीनी मिल के चेयरमैन व जिला उपायुक्त तक को नहीं दी गई है।

कर्मचारियों का वेतन भी दूसरी कंपनी से हुआ जारी

चीनी मिल प्रबंधन की तरफ से संसपेड चल रहे चीफ इंजीनियर ने आरोप लगाया कि मिल प्रबंधन की तरफ से टेंडर लेने वाली कंपनी के तहत मिल में तैनात किए कर्मचारियों का वेतन तक दूसरी कंपनी के खातें से जारी किया जाता था। उन्होंने बताया कि एक बार जो कंपनी मिल में टेंडर को लेती है। उसी के खाते से कंपनी द्वारा लगाएं कर्मचारियों का वेतन जारी होता है। जबकि मिल प्रबंधन की तरफ से नियमों पर ताक पर रखते हुए 70 लाख रुपये की नकदी दूसरी कंपनी के खाते में कागजों में गोलमाल करके डाल दी। वहीं कर्मचारियों का वेतन तक निजी कंपनी के खाते से करवाया गया। कर्मचारियों के वेतन से कुछ नकदी भी काटी गई। जिसका विरोध कर्मचारियों द्वारा किया गया था।

जीएसटी जमा नहीं करवा पाई थी, कंपनी दबाव बनाकर निजी कंपनी को दिया काम

पेराई सत्र वर्ष 2022-23 को चलाने व मिल के मरम्मत कार्य को करने के लिए पांच करोड़ रुपये में ठेका दिया गया था। ठेका कंपनी की तरफ से मिल में करीब 200 कर्मचारियों को तैनात किया गया। उक्त कंपनी की तरफ से लाखों रुपये की जीएसटी मिल से वसूली गई, लेकिन जीएसटी की नकदी विभाग में जमा नहीं करवाई गई। इस संबंध में मिल प्रबंधन की तरफ से उक्त कंपनी से कई बार पत्राचार किए गए। आनन-फानन में कंपनी की तरफ से मिल में कार्य करने का महज दो प्रतिशत ही भुगतान करने व दूसरी कंपनी को 98 प्रतिशत भुगतान करने की प्रक्रिया को मौखिक तौर से लाया गया। जिसके बाद से मिल प्रबंधन की तरफ से टेंडर लेने वाली कंपनी से कोई पत्राचार नहीं किया। वहीं कंपनी की तरफ से तैनात किए कर्मचारियों की कटौती कर दी गई।

रातों-रात कंपनी में कर दी नकदी ट्रांसफर, चेयरमैन तक को नहीं जानकारी

सोनीपत दी सहकारिता चीनी मिल में बतौर चेयरमैन जिला उपायुक्त होता है। मिल प्रबंधन की तरफ से टेंडर लेने वाली कंपनी के अलावा दूसरी कंपनी को 70 लाख रुपये की नकदी ट्रांसफर किए जाने के मामले में कोई कामेंट्स व निर्देश नहीं लिए गए। जबकि उक्त राशि लाखों रुपये की होने के चलते चेयरमैन के दिशा-निर्देश व उनके संज्ञान में मामले को लाना नियम के तहत होता है। जबकि इस संबंध में जिला उपायुक्त व चीनी मिल के चेयरमैन तक को जानकारी नहीं दी गई।

टेंडर प्रक्रिया एमडी चीनी मिल के निर्देशों के बिना नहीं होती फाइनल

चीफ इंजीनियर के हस्ताक्षरों का दुरुपयोग करके करोड़ों रुपये के टेंडर को हरियाणा ई-टेंडर की साइट पर डालने के आरोप में चीनी मिल एमडी डा. अनुपमा मलिक ने नकार दिया था। मामले में एमडी की तरफ से चीफ इंजीनियर पर मिल की छवि खराब करने का आरोप लगाया था। वहीं मामले में चीनी मिल के चेयरमैन ललित सिवाच का कहना है, करोड़ों रुपये के टेंडर का मिल की एमडी को जानकारी न होना, ऐसा हो नहीं सकता। उन्होंने समाचार-पत्रों में टेंडर प्रक्रिया को अमल में लाने के लिए खुद समाचार-पत्रों में विज्ञापन देेने के पत्र पर हस्ताक्षर किए हुए है।

लाखों रुपये की नकदी किसी दूसरी कंपनी व कर्मचारियों को टेंडर लेने वाली कंपनी की तरफ से भुगतान करने की बजाय दूसरी कंपनी से भुगतान करने का मामला संज्ञान में आया है। इस संबंध में जांच करवाई जायेगी। ऐसी प्रक्रिया को मेरे संज्ञान में मिल प्रबंधन की तरफ से नहीं लगाया गया। अगर ऐसे मिल प्रबंधन की तरफ से किया गया है, तो वह नियमों की अवहेलना है। मामले को लेकर एमडी चीनी मिल से बातचीत करने जांच करवाई जाएगी। -ललित सिवाच, जिला उपायुक्त व चेयरमैन चीनी मिल सोनीपत।

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