खिलाड़ी से लेकर कोच तक कराटे के 'चौधरी' साबित हुए 'रजनेश'

खिलाड़ी से लेकर कोच तक कराटे के चौधरी साबित हुए रजनेश
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कराटे में मुकाम हासिल करने वाले रजनेश की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियों का जिक्र करें तो वे वर्ल्ड कराटे फेडरेशन से सिक्सथ डेन ब्लैक बेल्ट प्राप्त कर चुके हैं। उनके कई शिष्य भी अब गुरु बनकर बच्चों को कराटे के गुर सिखाकर उन्हें सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दे रहे हैं।

रवींद्र राठी : बहादुरगढ़

कहते हैं कि प्रतिभा किसी पहचान की मोहताज नहीं होती। जिनके पास ये हुनर होता है, वो कभी भी और कहीं भी किसी भी हाल में रहकर अपनी प्रतिभा की चमक को देश और दुनिया के सामने दिखा ही देते हैं। ऐसी ही अनोखी प्रतिभा के धनी हैं बहादुरगढ़ के रजनेश चौधरी। उन्होंने ना केवल बतौर खिलाड़ी खुद को साबित किया, साथ ही कोच और अंतरराष्ट्रीय जज के रूप में पहचान हासिल की है। हाल ही में जापान के टोक्यो में ओलंपिक के टेस्ट ट्रायल इवेंट में भी रजनेश भारत से बतौर रेफरी शामिल थे।

कराटे में मुकाम हासिल करने वाले रजनेश की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपलब्धियों का जिक्र करें तो वे वर्ल्ड कराटे फेडरेशन से सिक्सथ डेन ब्लैक बेल्ट प्राप्त कर चुके हैं। उनके कई शिष्य भी अब गुरु बनकर बच्चों को कराटे के गुर सिखाकर उन्हें सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दे रहे हैं।

बता दें कि बहादुरगढ़ में 17 जनवरी 1978 को जन्में रजनेश चौधरी के पिता बलबीर सिंह एयरफोर्स से सेवानिवृत्त हैं और मां राजबाला देवी गृहणी थी। मां-बाप का सपना डॉक्टर बनना था। जबकि रजनेश को बचपन से ही फाइटिंग का शौक था। बहादुरगढ़ स्थित मेन बाजार के सनातन धर्म वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद पिता के ट्रांसफर के कारण रजनेश भी जोधपुर चला गया। वहां 9वीं कक्षा में उसने कराटे सीखना शुरू किया। वहीं से स्कूली शिक्षा प्राप्त की। फिर वापस बहादुरगढ़ लौटने के बाद रोहतक के जाट हीरोज मेमोरियल कॉलेज से वर्ष 2000 में बीएससी उत्तीर्ण की। बदले हालात में दिल्ली से एमसीए किया और पांच साल कंप्यूटर सेंटर भी चलाया। लेकिन उनका शौक उनके प्रोफेशन पर भारी पड़ा। रजनेश ने बहादुरगढ़ में कराटे प्लेनेट की स्थापना की। रजनेश की शादी 2002 में शीतल चौधरी के साथ हुई। उनकी बेटी वंशिका 12वीं व बेटा आर्यन 9वीं कक्षा में पढ़ाई के साथ कराटे सीख रहे हैं।

करीब 30 साल से कराटे को समर्पित रजनेश चौधरी ने पहले झज्जर, फिर हरियाणा और बाद में भारत का भी प्रतिनिधित्व किया। एक खिलाड़ी के बाद कोच के तौर पर भी स्वयं को साबित किया। सबसे पहले रोहतक टीम के प्रभारी रहे, फिर झज्जर टीम का जिम्मा संभाला। कराटे एसोसिएशन हरियाणा के जनरल सेक्रेटरी बने। बतौर कोच रजनेश ने जिला व स्टेट से लेकर नेशनल स्तर के इवेंट करवाए। इसी बदौलत उन्हें नेशनल रेफरी भी बनाया गया। यह जिम्मेदारी बखूबी निभाने के बाद उन्हें एशियन रेफरी बनाया गया और आज रजनेश कराटे की दुनिया में वर्ल्ड के 'ए' ग्रेड जज हैं। कराटे एसोसिएशन हरियाणा के प्रेजिडेंट के साथ ही रजनेश वर्तमान में कराटे एसोसिएशन आॅफ इंडिया के मुख्य सचिव की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कराटे में पहचान हासिल करने वाले रजनेश 50 से ज्यादा देशों में अंतरराष्ट्रीय खेलों में जज की भूमिका निभा चुके हैं। वे एशिया वर्ल्ड चैंपियनशिप और वर्ल्ड प्रीमियर लीग में भी भाग ले चुके हैं।

कराटे खिलाड़ियों की बड़ी खेप तैयार की : बतौर खिलाड़ी हासिल किए हुनर से रजनेश ने कराटे खिलाड़ियों की बड़ी खेप तैयार की। उनके शिष्य भी आजकल नेशनल रेफरी और जज की भूमिका निभा रहे हैं। कई खिलाड़ी एशियन और विश्व स्तर पर भी अपनी पहचान जज के रूप में बना चुके हैं। हिसार की विजेता और गुरुग्राम के राजू समेत कुल 4 खिलाड़ी एशियन जज बन चुके हैं। वर्ल्ड कराटे फेडरेशन के 2 जज भी उनके संगठन से निकले हैं। उनसे प्रशिक्षित खिलाड़ी डिस्ट्रिक्ट, स्टेट, नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर अपनी प्रतिभा सिद्ध कर रहे हैं। उनके मार्गदर्शन में ही हरियाणा के हिसार की गर्ल्स टीम ने ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी में नंबर-1 की पॉजीशन प्राप्त की थी। रजनेश का मानना है कराटे सीख कर कोई भी युवक-युवती खुद को जहां खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर सकते हैं। वहीं विपरीत परिस्थितियों में अपनी और दूसरों की भी रक्षा कर सकते हैं। हर युवा विशेषकर युवती को सेल्फ डिफेंस के लिए खुद को तैयार करना चाहिए।

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