डीजल ले लो ! डीजल ले लो ! की आवाज से गूंजेंगी अब गांव-देहात की गलियां

राज कुमार बड़ाला : हांसी
अब डीजल खरीदने के लिए उपभोक्ताओं को पेट्रोल पंप (Petrol pump) पर नहीं जाना पड़ेगा। डीजल बेचने के लिए तेल कंपनियां उनके घर, फैक्ट्री व संस्थान पर ही पहुंच जाएंगी। क्योंकि पेट्रोलियम कंपनियों (Petroleum companies) ने गांव-गांव व गली-गली घूमकर डीजल (Diesel) बेचेने का फैसला लिया है। केंद्र सरकार (Central government) की एक महत्वाकांक्षी योजना के तहत देश के विभिन्न जिलों में यह योजना शुरू हो गई है।
हांसी के एक पेट्रोल पंप संचालक ने बताया कि हिसार के उकलाना में मोबाइल टैंकर चालू कर दिया गया है। जल्द ही वे भी हांसी में यह मोबाइल टैंकर लेकर डीजल बेचने का काम शुरू करेंगे। कुछ औपचारिकताएं पूरी होनी बाकि हैं, उसके बाद हांसी क्षेत्र में गांव-गांव, गली-गली और चौक चौराहे पर उनकी गाड़ी जाएगी। जिसको भी जरूरत होगी वह उपभोक्ता डीजल खरीद सकेगा। जिस भी उपभोक्ता को डीजल की जरूरत होगी, वह फोन पर डीजल अपने घर, खेत, संस्थान व फैक्टरी में डीजल मंगवा सकेगी। रूटीन में उनकी गाड़ी शहर व गांव में घूमेगी। जिसको भी जरूरत होगी वह डीजल खरीद सकेगा। ये छोटी गाड़ियां होंगी, जो छोटी-छोटी गलियों व छोटे रास्तों में भी पहुंच सकेंगी।
किसानों के लिए यह योजना काफी कारगर साबित होगी। उन्हें ट्रैक्टर, कंबाइन मशीन व ट्यूबवैल ईंजन के लिए डीजल की जरूरत होती है। तेल खत्म होने पर उन्हें काम छोड़कर गांव से शहर जाना पड़ता है। पेट्रोल पंप तक जाने व आने में डीजल का खर्च होता है और ऊपर से टाइम भी खराब होता है। वहीं उद्योग धंधे चलाने वाले लोगों को भी इसका काफी फायदा होगा। क्योंकि अब फैक्टरी में ही डीजल पहुंच जाएगा। मालिक के सामने ही डीजल की रीडिंग निकलेगी और बिल बनेगा। डीजल खरीदने के लिए पंप पर जाने वाले फैक्टरियों के कर्मचारी भी अब हेराफेरी नहीं कर सकेंगे।
भिवानी में कई पेट्रोल पंप संचालकों ने शुरू कर दी है सेवा
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के हिसार मंडल कार्यालय में कार्यरत सेल्स आफिसर रमेश कुमार ने बताया कि भिवानी जिले में 8-10 पेट्रोल पंप संचालकों ने बाऊजर बनाए हैं। इनमें से कई पेट्रोप पंप संचालकों ने सेवा देनी शुरू कर दी है। हिसार व आस पास के जिलों से भी कई पंप मालिकों ने इसके लिए आवेदन किया है। डीजल के छोटे टैंकर जो बनाए जाते हैं, उनको बाऊजर कहते हैं। ये बाऊजर 6 हजार, तीन हजार व चार हजार लीटर के होंगे। छह हजार लीटर का बाऊजर 25 लाख रुपए में तैयार होता है। जिस पर जीपीएस सिस्टम लगा होता है। जहां जहां बाऊजर जाएगा, उसकी लोकेशन का पता चल सकेगा। साथ ही यह भी पता चलेगा कि बाऊजर में से कितने डीजल की बिक्री हो चुकी है और कितना शेष है। इस योजना से किसान को खेत में ही अपने ट्रैक्टर, कंबाइन और डीजल इंजन के लिए डीजल मिलेगा। विभिन्न उद्योगों, व खनन आदि से जुड़े लोग अपने कार्य स्थल पर ही डीजल मंगवा सकेंगे।
यह योजना काफी खर्चीली है और इसमें रिस्क भी अधिक है
ऑल हरियाणा पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन के प्रदेश सचिव नकुल अग्रवाल ने बताया कि केंद्र सरकार ने मोबाइल पेट्रोल पंप की यह जो योजना शुरू की है, यह काफी खर्चीली है और इसमें रिस्क भी अधिक है। एक्सप्लोसिव विभाग के कई नियम व शर्तें होती हैं। उनका भी पालन करना होता है। ऐसे ही कहीं भी डीजल नहीं बेचा जा सकता। बाऊजर को वहां पर भेजा जाएगा, जहां पर मशीनें लगी होती हैं। वहां पर बाऊजर भेजा जाना उचित है या नहीं, यह कौन तय करेगा। इससे एक्सप्लोसिव विभाग के नियमों का उल्ल्ंघन हो सकता है। नकुल अग्रवाल ने कहा कि 2018 से पहले देश में सभी पांचों कंपनियों के 70 हजार पेट्रोल पंप थे। 2018 में 65 हजार और आवेदन मांगे गए थे। जो अब नए पेट्रोल पंप खुल रहे हैं, वे उसी के तहत हैं। पेट्रोल पंपों पर कहां भीड़ लगी हुई है। मोबाइल वैन बनाकर डीजल बेचने की आवश्यकता नहीं है।
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