अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2022 : गौतम बुद्ध की विशालकाय पीतल की मूर्ति में पर्यटकों को दे रही शांति का संदेश

- शिल्पकार प्रदीप चौरसिया ने महोत्सव में पर्यटकों के लिए गौतम बुद्ध की मूर्तियों को किया तैयार
- गौतम बुद्ध की मूर्ति की कीमत रखी 1 लाख 50 हजार रुपए
- भगवान तिरुपति बालाजी की भी मूर्ति बनी आकर्षण का केंद्र
कुरुक्षेत्र। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2022 के लिए अलीगढ़ के शिल्पकार प्रदीप चौरसिया ने पर्यटकों के लिए विशेष तौर पर भगवान गौतम बुद्ध की मूर्तियां तैयार की है। इसमें लेटे हुए भगवान बुद्ध की पीतल की मूर्ति में पर्यटकों को शांति का संदेश नजर आ रहा है। इस शिल्पकार ने भगवान गौतम बुद्ध की अलग-अलग डिजाइन की मूर्तियां तैयार की है। इस मूर्ति की कीमत 1 लाख 50 हजार रुपए रखी गई है। अहम पहलू यह है कि शिल्पकार ने महोत्सव में पर्यटकों के लिए भगवान श्री तिरुपति बालाजी की भी एक सुंदर मूर्ति तैयार की है। इस मूर्ति की कीमत भी 1 लाख 40 हजार रखी है।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में पिछले कई वर्षों से अलीगढ़ निवासी प्रदीप व दीपक चौरसिया पीतल से बनी मूर्तियों की शिल्प कला को लेकर आ रहे है। प्रदीप चौरसिया ने इस वर्ष स्टाल नंबर 151 पर पीतल की मूर्तियां सजाई है। उन्होंने विशेष बातचीत करते हुए कहा कि महोत्सव में हाथी के ऊपर उरली बनाकर लाए है। इस उरली में फूलों की सजावट या फुल भी लगाए जा सकते है। इसे घर के प्रवेश द्वार पर रखना शुभ भी माना जाता है। एक हाथी और उरली की कीमत 72 हजार रुपए रखी है। डेढ़ लाख रुपए की लागत से बड़ी लक्ष्मी की प्रतिमा सहित 250 रुपए से लेकर 1 लाख 60 हजार रुपए तक की अलग-अलग पीतल की प्रतिमाएं है। इसी प्रकार पीतल की मूर्ति में पत्थर की नक्काशी से भगवान श्रीकृष्ण के बचपन से लेकर गीता का संदेश देने तक के अलग-अलग 21 स्वरूपों को बखूबी दिखाने का प्रयास किया गया है। इस मूर्ति को अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में शिल्पकार प्रदीप चौरसिया तैयार करके लेकर आए है। पीतल की इन मूर्तियों को देखने के लिए हर किसी के कदम सहजता से रुक जाते है।
उन्होंने कहा कि महोत्सव में पिछले कई सालों से आ रहे है और हर बार पर्यटकों के लिए कुछ नया लेकर आते है। भगवान श्रीकृष्ण-राधा की विशाल पीतल की मूर्ति तैयार की है। इस मूर्ति के चारों तरफ पीतल का बार्डर बनाया गया है, इस बार्डर पर भगवान श्रीकृष्ण के जेल-कोठरी में जन्म लेने, मामा कंस को मारते हुए, ताडक़ा को मारते हुए, यशोद्घा मां से डंडे से मार खाते हुए सहित महाभारत तक की लीलाओं को दिखाने का अनोखा प्रयास किया गया है। इस प्रतिमा को तैयार करने में एक शिल्पकार को दो महीने का समय लग जाता है और प्रतिमा में लगे पीतल के साथ-साथ पत्थर से मीनाकारी करके सजाया गया भी गया है। इस प्रतिमा के अलावा भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के पीतल से बने रथ के साथ-साथ अलीगढ़ के ताले और अन्य प्रतिमाएं खिलौने और समान तैयार करके लेकर आए है। इस महोत्सव में प्रशासन की तरफ से पुख्ता इंतजाम किए गए है।
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