किसानों काे बड़ा तोहफा : धान की सीधी बिजाई करने पर इतने रुपये देगी हरियाणा सरकार

सुरेन्द्र असीजा : फतेहाबाद
भूजल स्तर के अधिक दोहन के कारण प्रदेश सरकार ने धान की सीधी बिजाई को बढ़ावा देने का फैसला किया है। धान की सीधी बिजाई करके पानी की 25 फीसदी तक बचत की जा सकती है। इसके अलावा इसकी फसल भी 10 दिन पहले पककर तैयार हो जाती है। इसके अलावा किसान की फसल लागत में भी कटौती आएगी। प्रदेश सरकार ने सीधी बिजाई को प्रोत्साहन देने के लिए प्रति एकड़ 4 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि देने का फैसला किया है। इसके लिए किसान को मेरी फसल- मेरा ब्यौरा पार्टल पर पंजीकरण करवाना अनिवार्य होगा।
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि मानसून के दौरान ही रोपे गए धान से किसान को फायदा ज्यादा मिलता है, जबकि इससे पूर्व रोपे गए धान में पानी की खपत अत्यधिक होती है। यह बिजाई मशीन से होगी जिस कारण किसान को लेबर की भी बचत होगी। किसान अपने संसाधनों से सिंचाई करता है तो खर्च भी अधिक बैठता है और भूजल दोहन भी होता है। पानी और बिजली की बचत को लेकर कृषि विभाग ने इस बार धान की सीधी बिजाई पर बल दिया। विभाग ने सीधी बिजाई पर किसानों को प्रेरित करने के लिए 4 हजार प्रति एकड़ अनुदान की घोषणा की और जिले में 9 हजार एकड़ भूमि पर सीधी बिजाई का लक्ष्य रखा गया।
सीधी बिजाई की किस्में व समस्याएं
पूसा बासमती 1509, पीबी 1401, 1121 आदि किस्मों की किसान सीधी बिजाई कर सकते हैं। सीधी बिजाई में किसान को खरपतवार की समस्या ज्यादा रहेगी। जिसके लिए वह कीटनाशक का छिड़काव कर सकता है। लौह तत्व की कमी हो सकती है, जिसके लिए फास्फेट सल्फेट का छिड़काव किया जाता है।
कैसे हो रही धान की पारंपरिक खेती
गेहूं के बाद जिले में नरमे या धान की खेती की जाती है। धान की फसल के लिए खेत में पौध तैयार की जाती है। इसमें 24 घंटे पानी खड़ा रहना आवश्यक होता है। मानसून की बरसात न आने पर ये पौध सूख भी जाती है। इस पौध से किसान खेतों में धान की रोपाई करते हैं। इसमें पानी की लागत काफी होती है। प्राकृतिक संसाधन न होने पर किसान बिजली और डीजल पर निर्भर है, जिस पर खर्च भी काफी आता है।
कैसे होती है सीधी बिजाई
आधुनिक तकनीक से अब गेहूं की तरह धान की सीधी बिजाई होने लगी है। इसमें पौध तैयार होने में लगने वाला समय तो बचता ही हैए साथ ही पानी का दोहन भी कम होता है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार सीधी बिजाई से 20 से 25 प्रतिशत पानी की बचत होती है। इसके अलावा 20 से 30 प्रतिशत बिजली की बचत भी होती है। इसमें लेबर की कमोबेश कम जरूरत पड़ती है। इस योजना को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार द्वारा किसान को 1 से 15 जून तक 4 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।
किसानों को इस बार मानसून से काफी उम्मीदें
फतेहाबाद जिले में बारिश के लिहाज से पिछले चार साल का मानसून किसानों की उम्मीद पर खरा नहीं उतरा। लेकिन इस बार मौसम विभाग पूरे प्रदेश में अच्छे मानसून की उम्मीद जता रहा है। ऐसे में इसलिए भी धान के प्रति किसानों का विश्वास बढ़ा है।
पानी की 25 फीसदी की बचत
सीधी बिजाई से पानी की 25 फीसदी की बचत होगी वहीं किसान का लेबर पर भी खर्च कम होगा। सीधी बिजाई का धान, रोपाई वाले धान से 10 दिन पहले पक जाता है। जिसके बाद किसान अगली फसल से पहले पराली प्रबंधन कर सकता है। -डॉ. राजेश सिहाग, कृषि उपनिदेशक, फतेहाबाद।
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