वाह रे व्यवस्था. . .एंबुलेंस के लिए ढाई घंटे तक अस्पताल के मुख्य द्वार पर तड़पती रही बच्ची, पत्रकार ने की मदद

हरिभूमि न्यूज. कैथल
भले ही सरकार व स्वास्थ्य विभाग गरीबों को स्वास्थ्य सेवाएं देने के कितने ही दावे करे इसकी हकीकत उस समय सामने आई मानस गांव की 8 वर्षीय बच्ची एंबुलेंस के लिए नागरिक अस्पताल के मुख्य गेट पर ढाई घंटे तक तड़पकर इंतजार करती रही। बच्ची के पिता ने सभी चिकित्सकों से सहायता की गुहार लगाई लेकिन बदले में उसे तिरस्कार ही मिला। अस्पताल प्रशासन के लंबे इंतजार के बाद पत्रकार मोहन नायक ने मानवता का फर्ज निभाते हुए अपनी जेब से बच्ची के लिए एंबुलेंस का प्रबंध किया तथा उसे पटियाला भिजवाया। मानस गांव के लीला राम ने बताया कि उनकी 8 वर्षीय बेटी खुशी को बीमारी के चलते 17 अक्टूबर को कैथल के नागरिक अस्पताल में दाखिल करवाया गया था।
बीमारी गंभीर होने तथा खून की कमी होने के कारण खुशी को बाल रोग विशेषज्ञ डा. अनिल अग्रवाल द्वारा पटियाला रेफर किया गया था लेकिन उनके पास पैसे न होने के कारण उन्होने चिकित्सक से एंबुलेस मुहैया करवाने की गुहार लगाई थी। उसने बताया कि इसके लिए वह पीएमओ डा. रेनू चावला के पास भी गए लेकिन रेनू चावला ने कहा कि वे एंबूलेस नहीं दे सकती। बीपीएल बच्ची 8 वर्ष की है। इसके लिए एंबूलेंस की कोई सुविधा नहीं है। उन्होंने कहा कि वे आपातकाल में बैठे चिकित्सक डा. आशीष मित्तल से भी मिले लेकिन उन्होंने उनको डांटा और फटकारते हुए कहा कि वे उनके लिए एंबुलेंस कहां से लाएं। बाद में इसकी सूचना मीडिया को मिली तो कैथल टीवी के पत्रकार मोहन नायक अपनी टीम के साथ अस्पताल में पहुंचे तथा बच्ची की नाजुक स्थिति बारे जिला प्रशासन को अवगत करवाया। बाद में बच्ची की हालत गंभीर होने तथा एंबूलेस में देरी होते देख मोहन नायक ने अपनी जेब से तीन हजार रुपये में पटियाला के लिए एंबुलेंस का प्रबंध कर बच्ची को रेफर करवाया।
बच्ची को एंबुलेंस के लिए ले जाते उसके परिजन।
स्वास्थ्य मंत्री से करेंगे शिकायत
बच्ची के पिता लीला राम व उनके परिजनों ने कहा कि सरकार व स्वास्थ्य मंत्री गरीबों के लिए पूरी तरह से मेहरबान है लेकिन चिकित्सक अपनी मनमर्जी कर रहे हैं तथा गरीबों से बदतमीजी भी करते हैं। उन्होंने कहा कि वे ऐसे चिकित्सकों की शिकायत स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से भी करेंगे।
बीपीएल के तहत एंबुलेंस देने का प्रावधान नहीं
पीएमओ डा. रेनू चावला ने बताया कि बाल विशेषज्ञ डा. अनिल अग्रवाल ने बच्ची खुशी की हालत को देखते हुए उसे पटियाला रेफर किया था। बच्ची की आयु 5 वर्ष से अधिक है। इस कारण बीपीएल के तहत एंबुलेंस देने का प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि परिवार वाले उन्हें ओपीडी के बाहर मिले थे। उन्होंने कार्यालय बुलाया था लेकिन कोई भी परिजन उनसे दोबारा नहीं मिला।
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