Rohtak PGI के डॉक्टर बने भगवान : जटिल ऑपरेशन कर 4 साल की मासूम बच्ची को नया जीवन दिया

पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय रोहतक (PGIMS) के चिकित्सक यूं ही पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध नहीं है। कुछ ऐसा ही कारनामा पीजीआईडीएस के मैक्सिलो एंड फैसियल सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ वीरेंद्र की टीम, निश्चेतन विभाग से डॉ टीना की टीम व न्यूरोसर्जरी विभाग से डॉ वरुण की टीम के चिकित्सकों ने एक 4 साल की मासूम बच्ची के मुंह में फंस चुके टिफन को निकाल कर उसे नया जीवन दान दिया है।
चिकित्सकों की इस उपलब्धि पर कुलपति डॉ अनीता सक्सेना, निदेशक डॉ एसएस लोहचब, चिकित्सा अधीक्षक डॉ ईश्वर सिंह व प्राचार्य डॉ संजय तिवारी ने बधाई देते हुए कहा कि चिकित्सकों द्वारा यह किया गया जटिल ऑपरेशन बेहद ही काबिले तारीफ है, उन्होंने ना केवल बच्चे की जान बचाई है बल्कि उसके दिमाग व चेहरे को भी कम से कम नुकसान पहुंचने दिया है।
इस जटिल ऑपरेशन के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए डॉ वीरेंद्र सिंह ने बताया कि गत दिवस जींद जिले के जुलाना निवासी अपनी 4 साल की बेटी को लेकर धनवंतरी एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में पहुंचे। बच्चे के परिजनों ने बताया कि उनकी बच्ची बेड से अचानक नीचे गिर गई और वहां नीचे रखे रोटी के टिफन में उसका मुंह बुरी तरह से धस गया । जब चिकित्सकों ने बच्ची की जांच की तो पाया कि एक खाना खाने का टिफिन बच्ची के सिर और जबड़े में फंसा हुआ था वही टिफिन में साबुन की टिकिया भी मौजूद होने से बच्चे को सांस लेने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
डॉ वीरेंद्र ने बताया कि उनके टीम के चिकित्सकों ने तुरंत मरीज का सिटी स्कैन करवाया ,जिसमें पाया गया कि टिफिन का काफी हिस्सा माथे में व जबड़े में फंस चुका है। यदि टिफिन को ड्रिल से काटा जाएगा तो उसकी कंपन से बच्ची के सिर को गंभीर नुकसान पहुंच सकता है और उसकी जान पर बन सकती है। उन्होंने बताया कि बच्ची को एनेस्थीसिया देना भी संभव नहीं थ , ऐसे में उन्होंने एनेस्थीसिया विभाग की डॉ टीना से संपर्क किया तो न्यूरोसर्जरी विभाग के साथ मिलकर एक टीम का गठन किया गया, जिसमें उनके विभाग से डॉ अंकिता, डॉ ए आकाश, डॉ दीप्ति छिक्कारा को शामिल किया गया।
वहीं न्यूरोसर्जरी विभाग से डॉ वरुण ,डॉ गौरव, डॉ विक्रम को शामिल किया गया वहीं निश्चेतन विभाग से डॉ सुधा, डॉ मनीषा, डॉ अमित ,डॉ रुचिका को शामिल किया गया। डॉ वीरेंद्र ने बताया कि तीनों विभागों की टीम ने एकजुटता के साथ धातु बर्स व धातु डिस्क की सहायता से टिफन को दो हिस्सों में काटने का निर्णय लिया ताकि काटने से होने वाली वाइब्रेशन दिमाग के हिस्से को ज्यादा नुकसान ना पहुंचा पाए और बीच में से टिफन को काटकर दो हिस्सों में बांटा गया। जबड़े के साइड में फंसे टिफन को बीच से काटकर पहले उसे निकाला गया जिसके बाद उस में फंसी साबुन की टिकिया को भी निकाल लिया गया।
डॉ वीरेंद्र ने बताया कि इसके बाद निश्चेतन विभाग ने बच्चे को एनेस्थीसिया दिया जिसके बाद बड़ी ही सावधानी से उसके माथे में फंसे टिफन को बाहर निकालकर बच्चे की बहुमूल्य जान को बचाया गया। उन्होंने बताया कि बच्चे को अभी न्यूरो सर्जरी विभाग के आईसीयू में चिकित्सकों की देखरेख में रखा गया है और जल्द ही उसे पूर्ण रूप से स्वस्थ होने पर घर भेज दिया जाएगा। डॉ टीना ने बताया कि यह अपनी तरह का एक अलग ही केस था जिसे चिकित्सकों ने एक टीम के रूप में सफलता से पूरा किया।
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