इस राम से भगवान ने की नाइंसाफी, पर हुनर ऐसा कि जानकर हैरान रह जाएंगे

इस राम से भगवान ने की नाइंसाफी, पर हुनर ऐसा कि जानकर हैरान रह जाएंगे
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रोहतक में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के गेट नंबर दाे के पास आपको एक युवा बैठा मिलेगा। जो ना तो बाेल सकता है और ना ही सुन सकता है, पर भगवान ने हुनर देकर कलाकार भी बनाया है।

मनोज सेवाल/ सन्नी एन कौशिक : रोहतक

जिस बच्चे ने होश संभालते ही कस्सी, तसले, कुदाली और मां-बाप को दिहाड़ी मजदूरी करते देखा हो वह मजबूत तो बन जाता है लेकिन मजबूरी कभी उसका पीछा नहीं छोड़ती। उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh) के सीतापुर में जन्मे एक मुक बधिर ( Dumb and Deaf ) बच्चे ने छोटी सी उम्र में ही रेत पर उंगलियां चलाकर दूसरों की शक्लें उकेरना शुरू कर दिया था। पर ना उसे कोई शाबाशी देने वाला था और ना ही गाइड करने वाला। दो वक्त का पेट भरने के लिए मेहनत की आग में तपते मां-बाप के पास समय ही नहीं था अपने बच्चे के हुनर को परखने का, पर उसने ना उम्मीद छोड़ी और ना ही हिम्मत।

माता-पिता के मजदूरी पर जाने के बाद वह खुद ही अपने हुनर को तरासने में जुट जाता। एक दिन उसके माता-पिता ने देखा कि उनका बेटा राम दूसराें की शक्लों को हुबहु पेंसिल से कागज पर उतार देता है। तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। काम के लिए जगह-जगह भटकता यह परिवार एक महीने पहले अब रोहतक ( Rohtak ) में आ चुका है। यहां भी उनका बेटा रंगों की दुनिया में खोया रहता है। अब मां- बाप भी चाहते हैं कि उनका बेटा मजबूरी में उनकी तरह मजदूर बनने की बजाय इसी हुनर के साथ आगे बढ़े।

रोहतक में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय ( Maharishi Dayanand University ) के गेट नंबर दाे के पास आपको एक युवा बैठा मिलेगा। ये राम प्रताप है जिसके साथ भगवान ने ऐसी नाइंसाफी की कि वह ना तो बोल पाता है और ना ही सुन पाता है। पर भगवान ने इसे हुनर भी ऐसा दिया है जो हर किसी में नहीं होता। राम प्रताप किसी का चेहरा देखकर उसकी हुबहु शक्ल ( Sketch) कागज पर उकेर देता है। लोग उस से पोर्टरेट बनवाने आते हैं और अपनी खुशी से जो रुपये दे देते हैं राम स्वीकार कर लेता है। इससे राम को पैसों के साथ-साथ लोगों का हौसला और प्यार भी मिलता है जो उसकी असली कमाई है।


अपने परिवार के साथ राम प्रताप ( नीली टी-शर्ट में )

जन्म से सुन और बोल नहीं सकता रामप्रताप

हरिभूमि ( Haribhoomi ) टीम ने रामप्रताप के माता-पिता से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि रामप्रताप जन्म से ना सुन सकता है और ना ही बाेल सकता है। जब वह छोटा था तो उसका कई जगह इलाज भी करवाया पर कोई असर नहीं हुआ। डॉक्टरों ने ऑपरेशन के लिए करीब दो लाख का खर्च बताया और कहा कि जान बचने की गारंटी नहीं है। अब रामप्रताप की उम्र 18 साल है और आठवीं तक पढ़ाई की है। उसने जब से कलम पकड़ना शुरू किया था वह तब से ही तस्वीरें बना रहा है। उन्होंने बताया कि रामप्रताप को तस्वीरें बनाने का इतना जुनुन है कि वह सुबह उठते ही दैनिक दिनचर्या के बाद लोगों के स्कैच बनाने निकल पड़ता है। इसे पहले दो-तीन दिन दिहाड़ी करने के लिए भेजा पर उसकी रूचि केवल तस्वीरें बनाने में ही थी। वह सुबह उठते ही इसी काम में लग जाता है और रात तक लगा रहता है।

मां-बाप करते हैं दिहाड़ी मजदूरी

रामप्रताप की मां खिलौनों की फैक्टरी में काम करती हैं और पिता मजदूरी करते हैं। वह इकलौता बेटा है और दो छोटी बहने हैं। रामप्रताप की इच्छा है कि वह तस्वीरें बनाकर इतना पैसा कमाए कि अपने पूरे घर का खर्चा चला सके और अपनी दो छोटी बहनों की शादी करवा सके। उन्होंने बताया कि उन्हें रामप्रताप को तस्वीरें बनाता देख अब अच्छा लगता है, वह कमाई भी करने लगा है, कभी घर में 500 रुपये लेकर आता है तो किसी दिन साै। रामप्रताप को आस पड़ोस के एरिया में सभी लोग जानने लगे हैं और उससे स्नेह भी रखते हैं। राम को इस बात को कोई मलाल नहीं है कि वह सुन और बोल नहीं सकता। उसके अनुसार भगवान ने उसे जैसा बनाया है वह उसी में बहुत खुश है। परिजनाें ने बताया कि वे रामप्रताप को आगे बढ़ाने के लिए पूरी काेशिश करते हैं और उसका पूरा साथ देते हैं।

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