जल प्रबंधन व बचत के लिए अच्छी पहल : किसानों व शहरवासियों को पानी की जानकारी स्क्रीन पर मिलेगी

जल प्रबंधन व बचत के लिए अच्छी पहल : किसानों व शहरवासियों को पानी की जानकारी  स्क्रीन पर मिलेगी
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पेयजल के महत्व के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से स्थानीय सिंचाई भवन के बाहर इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले स्क्रीन लगाई गई है। इस स्क्रीन के माध्यम से जिला की विभिन्न नहरों में होने वाले पानी की आपूर्ति के बारे में जानकारी आमजन को मिल सकेगी।

रोहतक। उपायुक्त यशपाल ने जल प्रबंधन में नागरिकों से सहयोग देने का आह्वान किया है और कहा कि आमजन की सहभागिता से ही पानी का उचित प्रबंधन व बचत की जा सकती है। उपायुक्त यशपाल ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान आमजन को पेयजल के महत्व के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से स्थानीय सिंचाई भवन के बाहर इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले स्क्रीन लगाई गई है। इस स्क्रीन के माध्यम से जिला की विभिन्न नहरों में होने वाले पानी की आपूर्ति के बारे में जानकारी आमजन को मिल सकेगी।

उपायुक्त यशपाल ने कहा कि जल का जीवन से गहरा संबंध है। पृथ्वी पर उपलब्ध जल का जितना प्रयोग हो रहा है, उससे अधिक जल प्रदूषित हो रहा है और व्यर्थ बहकर बर्बाद हो रहा है। इसलिए आज जल प्रबंधन की बहुत जरूरत है। उन्होंने कहा कि जिला में मुख्य रूप से नहरों के तीन ग्रुपों जेएलएन ग्रुप, सुंदर ग्रुप व भालोट सब ब्रांच ग्रुप के माध्यम से पानी की आपूर्ति होती है। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले स्क्रीन के माध्यम से आमजन को यह जानकारी मिल पाएगी कि नहर के कौन से ग्रुप में किस तिथि से कब तक पानी की आपूर्ति होगी। उन्होंने कहा कि इस स्क्रीन के लगने के बाद आमजन को किसी से पूछताछ करने की जरूरत नहीं पड़ेगी और स्क्रीन को देखकर पता चल जाएगा कि जिला में पानी की उपलब्धता कितनी है। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ-साथ शहर के लोगों को भी पानी की आपूर्ति के बारे में जानकारी मिल जाएगी।


यशपाल ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की स्पष्ट गाइडलाइन है कि डे्रनों के अंदर अनट्रीटेड पानी ना डाला जाए, ऐसा करने से प्रदूषण बढ़ता है। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति ड्रे्रेनों में अनट्रीटेड पानी डाल रहा है तो इसकी सूचना सिंचाई विभाग के दूरभाष नंबर 01262-252658 पर अवश्य करें ताकि ऐसे लोगों के खिलाफ ट्रिब्यूनल की हिदायतों के अनुसार कार्रवाई अमल में लाई जा सके। उन्होंने बताया कि जिला में लगभग 70 छोटी-बड़ी डे्रनें हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ट्रिब्यूनल की हिदायतों के अनुसार कोई भी फैक्ट्री अथवा उद्योग ट्रीटमेंट करके ही पानी को ड्रेन में डाल सकते हैं। सिंचाई भवन के मुख्य द्वार पर इलेक्ट्रॉनिक्स डिस्प्ले स्क्रीन की स्थापना के अवसर पर विभाग के चीफ इंजीनियर विजेंद्र सिंह नारा, एससी दिनेश राठी, एक्सईएन रामनिवास तथा एसडीओ उदय भान सांगवान आदि मौजूद थे।

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