किसानों के लिए खुशखबरी, ढैंचे का बीज 80 प्रतिशत अनुदान पर मिलेगा

हरिभूमि न्यूज: अंबाला (बराड़ा)
साठी धान की खेती भूमि के लिए नुकसानदायक है। साथ ही गिरते भूजल के लिए भी इसे जिम्मेदार ठहराया जाता है। इसी वजह से राज्य सरकार की ओर से इसकी खेती पर रोक लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं। कृषि विभाग ने किसानों को गेहूं कटाई के बाद साठी धान की जगह हरी खाद के लिए प्रति एकड़ 12 किलोग्राम ढैंचा की बीज बिजाई कर जल साधनों के संरक्षण एवं भूमि को उपजाऊ शक्ति बढ़ावा देने की सलाह दी है।
विशेषज्ञों के अनुसार राज्य के किसान पारंपरिक खेती के रूप में धान गेहूं का फसल चक्र अपना कर दोनों फसलों के बीच के समय में साठी धान की फसल उगाकर अतिरक्ति आय का साधन बनाते रहे हैं, लेकिन साठी धान की खेती से पानी की बर्बादी व भूमि के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। प्रदेश भर में जिस तरह तेजी से भूजल स्तर नीचे गिरता जा रहा है, यह चिंता का विषय है। इसी बात के मद्देनजर पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने साठी धान की खेती पर रोक लगा दी थी। 15 मई से पूर्व धान की नर्सरी तथा 15 जून से पूर्व धान की रोपाई पर हरियाणा भूमिगत जल परिरक्षण अधिनियम 2009 के अधीन दंडनीय अपराध घोषित किया हुआ है।
उप कृषि निदेशक गिरीश नागपाल ने बताया कि हरियाणा सरकार द्वारा कृषि लागत कम करने व मृदा स्वास्थ्य मनाये रखने के उद्देश्य से, खरीफ मौसम में फसल विविधीकरण कार्यक्रम के तहत ढैंचे का बीज 80 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध करवाया जा रहा है। इच्छुक किसान यह बीज हरियाणा बीज विकास निगम की सभी दुकानों से प्राप्त कर सकते हैं। बीज लेने के लिये किसान को आधार कार्ड, वोटर कार्ड या किसान क्रेडिट कार्ड पहचान के तौर पर दिखाना होगा। उन्होंने कहा कि किसानों को दिए जाने वाले बीज का 80 प्रतिशत अनुदान कृषि एवं किसान कल्याण विभाग तथा 20 प्रतिशत स्वंय किसान द्वारा दिया जाएगा। एक किसान अधिकतम 60 किलोग्राम (5 एकड़ का) बीज अनुदान पर प्राप्त कर सकता है। किसान द्वारा अपना मोबाइल नम्बर दिया जाना भी अनिवार्य है।
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