सराहनीय : गोमाता की सेवा के लिए गोशाला ही खोल दी, आगे पढ़ें

दलबीर सिंह : भूना
बचपन से गाय की सेवा से जुड़े आईएएस मुकेश कुमार आहूजा के परिवार ने गोमाता की सेवा के लिए गोशाला ही खोल दी और करोड़ों रुपए खर्च करके सेवा भी स्वयं कर रहे हैं। वर्ष 2018 में दो गाय से शुरू हुई उनकी गोशाला में आज 125 गाय, बछड़े तथा गोवंश हैं। वे बूढ़ी गाय की सेवा को सबसे बड़ा धर्म मानते हैं। उनके इस अभियान से गांव के काफी प्रतिष्ठित परिवार भी जुड़े हुए हैं।
गांव सनियाना के पूर्व सरपंच स्वर्गीय रामस्वरूप नंबरदार के सात बेटे हैं, जिनमें छठे नंबर पर मुकेश कुमार आहूजा ने उच्च शिक्षा प्राप्त करके आईएएस बनकर बुलंदियों को छुआ। इन्होंने हरियाणा प्रदेश में कई उच्च पदों पर रहते हुए प्रशासनिक सेवाएं विभिन्न जिलों में प्रदान की। वर्तमान में उपायुक्त पंचकूला में दायित्व का निर्वाह कर रहे हैं।
दादी मां की विचारधारा को अपनाया
गांव सनियाना के पूर्व सरपंच रामस्वरूप आहुजा नंबरदार व उनकी पत्नी सत्यवंति ने दादी मां श्रीमती गणेशी बाई की गोसेवा एवं धार्मिक भावना से जुड़ी हुई विचारधारा को आगे बढ़ाया। आहुजा दंपति ने अपने बच्चों में अच्छे संस्कार पैदा किए और मानवता तथा गोवंश की सेवा के लिए प्रेरित किया। सनियाना के नंबरदार एवं 170 एकड़ जमीन के मालिक होने के बावजूद रामस्वरूप आहुजा ईमानदार एवं मिलनसार व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने अपने जीवन में गो सेवा को प्राथमिकता दी और जरूरतमंद लोगों की मदद में हमेशा अपने हाथ आगे बढ़ाएं। माता-पिता की प्रेरणा एवं उनके पद चिन्हों पर चलते हुए आईएएस मुकेश कुमार आहूजा व बड़े भाई सतीश कुमार आहूजा तथा परिवारिक सदस्यों ने सिरसा-चंडीगढ़ स्टेट हाईवे 2 पर गांव सनियाना में अपनी चार एकड़ जमीन गोशाला बनाने के लिए दान में दे दी। गोशाला निर्माण में सभी भाई एवं पूरे परिवार के लोग खुलकर समर्थन में आए। गोशाला का नाम श्रीमती गणेशी बाई गो सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट सनियाना रखा, जिसके चेयरमैन सतीश कुमार आहूजा को बनाकर गोसेवा के लिए नींव रखी। जो वर्तमान में गायों की परवरिश में दिन-रात एक किए हुए हैं। गोवंश की सेवा को लेकर आहूजा परिवार और इनके रिश्तेदार भी तन-मन-धन से गोशाला में जुड़े हुए हैं।
गोशाला परिसर में ही सेवादारों के निवास की व्यवस्था
श्रीमती गणेशी बाई गोशाला प्रबंधन के चेयरमैन सतीश कुमार आहूजा व रिटायर्ड लेफ्टिनेंट अशोक कुमार मेहता ने बताया कि गोवंश एवं गायों की देखरेख करने के लिए रात्रि चार बजे से ही सेवा भाव का कार्य शुरू हो जाता है। चारा देने, दूध निकालने से लेकर नहलाने, बीमारियों का इलाज करवाने की संपूर्ण व्यवस्था दिनभर की जाती है। इसके लिए आहूजा परिवार के लोग गो सेवा निस्वार्थ भावना के साथ मिलजुल कर रहे हैं। 24 घंटे कार्य होने के चलते गोशाला परिसर में ही सेवादारों के निवास की व्यवस्था की गई है। चेयरमैन सतीश कुमार आहूज ने बताया कि गोशाला में गोवंश के लिए चारे, आराम, साफ सफाई और स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित व्यवस्था की गई है। तेज गर्मी से बचाव के लिए यहां फव्वारा प्रणाली, गौवंश की स्वच्छता के लिए स्विंगिंग गाय ब्रश, स्वचालित स्नान के उपकरण आदि लगाए गए हैं। गोवंश की देखभाल के लिए विकसित की गई अत्याधुनिक सुविधाओं और उपकरणों की कार्य प्रणाली से गोशाला को आत्मनिर्भर बनाए जाने की कोशिशें चल रही है।
क्या कहते हैं गोशाला प्रबंधन के चेयरमैन
श्रीमती गणेशी बाई गोशाला प्रबंधन के चेयरमैन सतीश कुमार आहूजा ने कहा कि हमारी दादी गणेशीबाई प्रतिदिन दर्जनों गायों को रोटी खिलाती थी तथा सप्ताह में एक दिन उन्हें पानी से नहलाती थी। उनकी गोसेवा के कारण परिवार में हमेशा खुशहाली एवं शांति का सुकून रहा। उनके छोटे भाई मुकेश कुमार आहूजा आईएएस ने दादी के सपने साकार करने के लिए गोशाला अपनी जमीन में बनाने के लिए विचार किया, जिसको पूरे परिवार के लोगों ने स्वीकार किया और हाथों-हाथ गोशाला का निर्माण करवाया। उपायुक्त पंचकूला मुकेश कुमार आहूजा का कहना है कि गायत्री, गंगा और गाय भारतीय संस्कृति की धरोहर हैं। इनके बिना हमारी संस्कृृति अधूरी है। उनका कहना है कि युवा वर्ग को गोसेवा से जुड़ना चाहिए और अपनी संस्कृति को बचाना चाहिए।
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